चंद्रयान-2 के बाद अब टिकी हैं ISRO के इन मिशन पर नजरें
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भले ही अपनी पहली कोशिश में चांद की सतह पर पहुंचने से चूक गया हो, लेकिन उसका सफर देश को गौरवान्वित करने वाला रहा है। रविवार को ISRO ने विक्रम लैंडर की लोकेशन पता लगा ली है इससे संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। इन सबके बीच ISRO के भविष्य के मिशनों को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है। आइये, जानते हैं भविष्य में भेजे जाने वाले पांच ऐसे मिशन के बारे में।
अगले साल तक भेजा जाएगा आदित्य L1
आदित्य L1 भारत का पहला ऐसा मिशन है, जिसके तहत सूरज के कोरोना और इसके वातावरण का अध्ययन किया जाएगा। कोरोना सूरज की बाहरी सतह है जो इसके हजारों किलोमीटर ऊपर एक डिस्क के रूप में दिखती है। यह मिशन 2019-20 में श्रीहरिकोटा से PSLV रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। फिलहाल NASA का पार्कर मिशन इस मिशन पर लगा है। अगले साल तक भारत भी सूरज के रहस्यों को जानने की रेस में शामिल हो जाएगा।
गगनयान मिशन का हो रहा बेसब्री से इंतजार
साल 2018 के स्वतंत्रता दिवस पर देश के नाम दिए संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत 2022 तक अंतरिक्ष में मानव भेजेगा। इसके लिए ISRO गगनयान स्पेसक्राफ्ट तैयार कर रहा है। लगभग 10,000 करोड़ की लागत वाला यह मिशन भारत का अब तक का सबसे बड़ा मिशन होगा। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो ISRO दिसंबर, 2021 में अंतरिक्ष में मानव मिशन भेज देगा। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायुसेना के पायलटों का चयन जारी है।
2022-23 में जाएगा मंगलयान-2
ISRO 2022-23 तक भारत का दूसरा मंगल मिशन मार्स ऑर्बिटर-2 भेजने की योजना बना रहा है। इसके लिए ISRO ने फ्रांस की CNES स्पेस एजेंसी से हाथ मिलाया है। दोनों मिलकर अगले साल तक इसका मॉड्यूल तैयार कर लेेंगे।
मंगल के बाद जाएंगे शुक्र पर
अपने आकार, गुरुत्वाकर्षण और सरंचना के कारण शुक्र ग्रह को पृथ्वी की 'जुड़वा बहन' कहा जाता है। धरती की बजाय सूरज के 30 प्रतिशत नजदीक होने के कारण उस पर सौर किरणें ज्यादा मात्रा में होती है। इसलिए ISRO इसका अध्ययन करना चाहता है। ISRO शुक्रयान मिशन के तहत शुक्र ग्रह के वातावरण और इसकी सतह का अध्ययन करेगा। हालांकि, अभी तक इस मिशन पर जाने वाले पेलोड्स और मॉड्यूल के बारे में जानकारी नहीं आई है।
भारत बनाएगा अपना स्पेस स्टेशन
अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा भारत अब अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की योजना बना रहा है। ISRO प्रमुख के सिवन ने इसकी जानकारी देते हुए बताया था कि यह एक छोटा मॉड्यूल होगा, जिसका मुख्य उपयोग माइक्रोग्रैविटी प्रयोगों के लिए किया जाएगा। 2022 में गगनयान के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद ही इस योजना को आगे बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने कहा था कि अगले 5-7 साल में इसकी अवधारणा पर काम किया जाएगा।