#NewsBytesExplainer: नासा एस्ट्रोयड से इकट्ठा कर लाए गए सैंपल का क्या करेगी?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपना पहला सैंपल रिटर्न मिशन पूरा किया है। इस मिशन में एक एस्ट्रोयड से धरती पर सैंपल लाया गया है। बेन्नू नाम के एस्ट्रोयड से 120 करोड़ मील की यात्रा करने के बाद साइंस कैप्सूल धरती पर सैंपल लेकर उतरा। इस मिशन का नाम ओरिजिन्स, स्पेक्ट्रल इंटरप्रिटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन एंड सिक्योरिटी - रेजोलिथ एक्सप्लोरर (ओसिरिस-REx) था। यह समझते हैं कि नासा ने यह सैंपल क्यों इकट्ठा किया और इससे क्या हासिल किया जाएगा।
कब हुई थी मिशन की शुरुआत?
लगभग 8,000 करोड़ रुपये की लागत वाले इस मिशन को 8 सितंबर, 2016 को लॉन्च किया गया था। 20 अक्टूबर, 2020 को इसने सैंपल इकट्ठा किया और 10 मई, 2021 को धरती के लिए इसकी वापसी की तैयारी हो गई। माना जाता है कि बेन्नू जैसी कार्बन-समृद्ध चट्टानों ने अरबों साल पले पृथ्वी पर जीवन की नींव रखी थी और इससे सौरमंडल के विकास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है।
सैंपल को जॉनसन स्पेस सेंटर में किया जाएगा प्रॉसेस
जिस कैप्सूल में सैंपल भरा था, उसे पृथ्वी की सतह से लगभग 1 लाख किलोमीटर ऊपर से ओसिरिस-REx अंतरिक्ष यान से गिराया गया। कैप्सूल रक्षा विभाग के यूटा परीक्षण और प्रशिक्षण रेंज में पैराशूट के जरिए धरती पर उतरा। अब विश्लेषण के लिए ओसिरिस-REx कैप्सूल को ह्यूस्टन, टेक्सास में जॉनसन स्पेस सेंटर ले जाया जाएगा और यहीं सैंपल को प्रोसेस किया जाएगा। नासा के अपोलो मिशन के दौरान चांद से लाए गए सैंपल को भी यहीं प्रोसेस किया गया था।
इससे नासा क्या करेगी?
ओसिरिस-REx अंतरिक्ष यान ने बेन्नु एस्ट्रोयड से लगभग 250 ग्राम सैंपल इकट्ठा किया है। इससे नासा के और दूसरे वैज्ञानिकों को सौरमंडल के शुरुआती चरण को समझने में मदद मिल सकती है। ओसिरिस-REx कार्यक्रम से जुड़ी मेलिसा मोरिस ने बताया कि नासा सौरमंडल में क्षुद्रग्रहों की जांच के लिए ओसिरिस-REx जैसे छोटे मिशनों में निवेश करती रहती है। इससे इस बारे में सुराग मिल सकता है कि सौरमंडल कैसे बना और विकसित हुआ।
सैंपल को इस तरह से रखा जाएगा सुरक्षित
इस मिशन में बेन्नू की परिक्रमा करने और नमूने को इकट्ठा करने के लिए सटीक नेविगेशन की आवश्यकता थी। मिशन की सफलता नासा के नेविगेशन सटीकता को दर्शाती है। ओसिरिस-REx मिशन द्वारा इकट्ठा किए गए सैंपल पर धरती के वातावरण का किसी भी तरह का प्रभाव न पड़े, इसके लिए नमूने को नाइट्रोजन पर्ज नाम की प्रक्रिया से गुजारना होगा। इसके बाद ही नमूने को विश्लेषण के लिए खोला जाएगा। नाइट्रोजन पर्ज सैंपल को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया है।
सैंपल के विश्लेषण से ये जानने का किया जाएगा प्रयास
द वर्ज के मुताबिक, ओसिरिस-REx के प्रमुख अन्वेषक डेंट लॉरेटा ने कहा, "हम समझना चाहते हैं कि जो चीजें आज जीव विज्ञान में उपयोग की जाती हैं क्या वे प्राचीन एस्ट्रोयड में बनी थी और वे बाहरी अंतरिक्ष से पृथ्वी पर आई थी?" लॉरेंटा ने इसके लिए प्रोटीन बनाने वाले अमीनो एसिड और जीन बनाने वाले न्यूक्लिक एसिड का उदाहरण दिया। सैंपल के विश्वलेषण से यह जानने का प्रयास होगा कि जीवन के लिए जरूरी तत्व पृथ्वी पर कैसे आए।
इस सिद्धांत का स्पष्ट होना है महत्वपूर्ण
दरअसल, यह स्पष्ट होना महत्वपूर्ण है कि सिद्धांत यह नहीं है कि जीवन स्वयं कहीं और उत्पन्न हुआ और पृथ्वी पर लगाया गया, बल्कि यह है कि जीवन के बुनियादी तत्व अरबों वर्ष पहले एस्ट्रोयड द्वारा यहां पहुंचे होंगे। बता दें, जीवन के बुनियादी तत्वों को अक्सर कार्बनिक यौगिकों के रूप में जाना जाता है। यह दशकों से एक सिद्धांत रहा है, लेकिन इसका परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों को एस्ट्रोयड सामग्री तक पहुंने की आवश्यकता है।
एस्ट्रोयड्स के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष यान पर उपकरणों का प्रयोग अच्छी शुरुआत
किसी एस्ट्रोयड का दौरा करना और उसका अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष यान पर उपकरणों का उपयोग करना एक अच्छी शुरुआत है। हालांकि, जिस तरह का विस्तृत विश्लेषण वैज्ञानिक करना चाहते हैं, उसे करने के लिए एक बहुत बड़ी प्रयोगशाला की आवश्यकता है। ऐसी प्रयोगशाला, जो एक मील चौड़े सिंक्रोट्रॉन (एक प्रकार का पार्टिकल एक्सलरेटर) जैसे उपकरणों से सुसज्जित है। हालांकि, इसे अंतरिक्ष यान में फिट करना लगभग असंभव होगा।
एस्ट्रोयड से जुड़ी जांचों के लिए ये है दूसरा तरीका
ऐसी स्थिति में एस्ट्रोयड से जुड़ी जांचों के लिए एक दूसरा तरीका मेटियोरिट्स (उल्कापिंड) का अध्ययन करना है। ये एस्ट्रोयड सहित ऐसे पदार्थ के टुकड़े हैं, जो अंतरिक्ष से आते हैं और पृथ्वी की सतह पर गिरते हैं। इस शोध का अधिकांश भाग इन छोटे टुकड़ों को ही नमूनों के रूप में इस्तेमाल करते हुए किया गया है। हालांकि, इस तरह के शोध में 2 समस्याएं होती हैं, जिससे शोध और विश्लेषण बहुत बेहतर नहीं होता।
दूसरे तरीके में है ये खामी
पहली समस्या तो यह है कि जब कोई मेटियोरिट्स गिरता है तो यह नहीं पता होता कि वह सौरमंडल में कहां से आया है। शोधकर्ता इसकी उत्पत्ति को नहीं जान सकते हैं और यह भी पता नहीं कर सकते कि यह किसके करीब था। दूसरी बात यह है कि जब तक कोई मेटियोरिट्स पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरेगा और उतरेगा, तब तक वह रास्ते में अन्य पदार्थों के संपर्क में आएगा और स्थानीय पर्यावरण से दूषित हो चुका होगा।
नए मिशन के लिए काम करेगा ओसोरिस-REx मिशन
सैंपल से भरे कैप्सूल को नीचे गिराने के बाद ओसिरिस-REx अंतरिक्ष यान का प्रारंभिक कार्य समाप्त हो गया है। हालांकि, अंतरिक्ष यान अभी भी अंतरिक्ष में है और अब यह कोई दूसरा नमूना नहीं इकट्ठा कर सकता, लेकिन इसमें अभी भी पावर और प्रोपल्सन सिस्टम है। इसके सभी वैज्ञानिक उपकरण अभी भी काम कर रहे हैं। अब यह यान ओसिरिस-APEX बन जाएगा, जो अपने नए लक्ष्य एपोफिस एस्ट्रोयड की तरफ बढ़ जाएगा, जहां वह वर्ष 2029 तक पहुंचेगा।
जापान भी ला चुका है ऐसा सैंपल
सैंपल को अंतरिक्ष से सुरक्षित धरती पर लाने के लिए ओसिरिस-REx जैसे मिशन काम आते हैं, जिसके जरिए नासा पहली बार किसी एस्ट्रोयड का नमूना लाई है। इससे पहले जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने अपने हायाबुसा और हायाबुसा 2 मिशनों में 2 एस्ट्रोयड नमूने एकत्र किए थे। हायाबुसा मिशन ने बहुत कम सैंपल इकट्ठा किया था, लेकिन वर्ष 2020 का हायाबुसा 2 मिशन रयुगु एस्टेरॉयड्स से लगभग 5 ग्राम सैंपल लाने में कामयाब रहा था।