
चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान से अलग हुआ, सॉफ्ट लैंडिंग के और करीब पहुंचा
क्या है खबर?
चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम को आज अंतरिक्ष यान के प्रोपल्शन (प्रणोदन) मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर लिया गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।
ISRO ने बताया कि अब भारत के अब 3 यान चांद के चक्कर लगा रहे हैं।
अब 18 अगस्त को लगभग शाम 4 बजे डीबूस्टिंग के जरिए लैंडर मॉड्यूल को थोड़ी निचली कक्षा में उतारा जाएगा, इससे ये चांद के और करीब पहुंच जायेगा।
ट्विटर पोस्ट
ISRO ने दी जानकारी
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 17, 2023
Meanwhile, the Propulsion Module continues its journey in the current orbit for months/years.
The SHAPE payload onboard it would
☑️ perform spectroscopic study of the Earth’s atmosphere and
☑️ measure the variations in polarization from the clouds on…
चांद
सॉफ्ट लैंडिंग है मिशन की सफलता
चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने की उम्मीद है। चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग ही मिशन की सफलता और चुनौती है।
चांद के दक्षिणी ध्रुव में वैज्ञानिकों को बर्फ और पानी मिलने की उम्मीद है। नासा की वेबसाइट के मुताबिक, चांद पर ह्यूमन एक्सप्लोरेशन को आगे बढ़ाने के लिए पानी बहुत जरूरी है।
लैंडिंग के बाद अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस उपलब्धि को हासिल करने वाला भारत चौथा देश होगा।
लैंडिंग
लैंडिंग के बाद लैंडर से बाहर निकलेगा रोवर
लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिग के बाद उसके भीतर रखा रोवर बाहर निकलेगा और चांद की सतह पर अपने निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति करेगा।
लैंडर विक्रम रोवर प्रज्ञान की तस्वीर लेगा। रोवर चांद की सतह के एक टुकड़े, जिसे रेगोलिथ कहा जाता है, को पिघलाने के लिए अपने लेजर बीम का उपयोग करेगा और इस प्रक्रिया में उत्सर्जित गैसों का विश्लेषण करेगा।
इसके अलावा भी लैंडर और रोवर चांद की सतह पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे और आंकड़े जुटाएंगे।
चुनौती
सॉफ्ट लैंडिंग के लिए ISRO के सामने है ये चुनौती
ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने कुछ समय पहले जानकारी दी थी कि सॉफ्ट लैंडिंग के लिए टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती हॉरिजॉन्टल (क्षैतिज) स्थिति वाले विक्रम लैंडर को वर्टिकल (लंबवत) रूप से उतारना है।
उनके मुताबिक, चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए लैंडर को कई मैन्युवर के जरिए वर्टिकल रूप में लाया जाता है।
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चंद्रयान-2 मिशन सॉफ्ट लैंडिंग में ही फेल हो गया था।
सफर
चंद्रयान-3 का अब तक का सफर
भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को ISRO ने लॉन्च किया था।
लॉन्चिंग के बाद इसने कुछ दिनों तक पृथ्वी की ऑर्बिट में चक्कर लगाए।
5 अगस्त को मिशन को लूनर ऑर्बिट इजेक्शन (LOI) के जरिए चांद के ऑर्बिट की तरफ बढ़ाया गया।
चांद की ऑर्बिट में कई मैन्युवर के जरिए इसकी ऑर्बिट को बदला जाता रहा।
16 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चांद की ऑर्बिट का अपना पांचवां मैन्युवर पूरा किया और अब लैंडिंग के करीब पहुंच गया।