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    देश के पहले उल्का वैज्ञानिक अश्विन शेखर के नाम पर रखा गया एस्ट्रोयड का नाम
    भारत के पहले मिटियॉर वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया एस्ट्रोयड का नाम

    देश के पहले उल्का वैज्ञानिक अश्विन शेखर के नाम पर रखा गया एस्ट्रोयड का नाम

    लेखन रजनीश
    Jul 25, 2023
    02:06 pm

    क्या है खबर?

    भारत के पहले मिटियॉर या उल्का वैज्ञानिक अश्विन शेखर को IIT में पढ़ने या नासा में काम करने का अवसर नहीं मिला, लेकिन उनके नाम पर एक छोटे ग्रह यानी एस्ट्रोयड का नाम रखा गया है।

    वर्ष 2000 में पृथ्वी से लगभग 5.87 करोड़ किलोमीटर दूर खोजे गए छोटे ग्रह का नाम (33928) अश्विनशेखर = 2000 LJ27 रखा गया है।

    शेखर उन 4 भारतीयों में से एक हैं, जिनके नाम पर एस्ट्रोयड के नाम रखे गए थे।

    योगदान

    खगोल वैज्ञानिक हैं शेखर

    शेखर बीते 2 वर्षों से फ्रांस की पेरिस ऑब्जर्वेट्री में एक खगोल विज्ञानी के रूप में काम कर रहे हैं।

    21 जून, 2023 को इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) ने इस क्षेत्र में शेखर के योगदान को सम्मानित किया।

    शेखर को उम्मीद है कि यह सम्मान भारत की युवा पीढ़ी, खासकर उनके जैसे छोटे गांवों के लोगों में वैज्ञानिक रुचि पैदा करेगा।

    शेखर सौर मंडल के एस्ट्रोयड्स, धूमकेतुओं (कॉमेट्स) और उल्का पिंडों (मीटियॉर्स) के ऑर्बिट का अध्ययन करते हैं।

    रिपोर्ट

    शेखर के काम का ये है महत्व

    दि प्रिंट के मुताबिक, शेखर ने बताया कि उनका अध्ययन सौरमंडल के इतिहास, उत्पत्ति और विकास को समझने में महत्वपूर्ण है।

    उनका काम अंतरिक्ष में अन्य पिंडों के कारण पृथ्वी पर टकराव के जोखिमों की गणना करने और बड़े उल्का पिंडों से सैटेलाइट्स और स्पेसक्राफ्ट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी उपयोगी है।

    हालांकि, जिस एस्ट्रोयड का नाम शेखर के नाम पर रखा गया है, वह बहुत छोटा है और पृथ्वी के लिए खतरा पैदा नहीं करता।

    पुरस्कार

    सम्मान मिलने पर शेखर ने कही ये बात

    शेखर ने कहा, "यह उन सभी लोगों के लिए एक सम्मान है, जिन्होंने मेरी तरह छोटे संस्थानों में काम और अध्ययन किया। मुझे कभी भी भारत के IIT या IIM में जाने का अवसर नहीं मिला। मैंने कभी नासा जैसी जगहों के लिए भी काम नहीं किया।"

    उन्होंने कहा कि यह उन लोगों को पहचान देने का सम्मान है, जो कभी भी शीर्ष कॉलेज या स्कूल में नहीं गए।

    केरल

    आसमान ने ब्रह्मांड के अध्ययन के लिए किया प्रेरित

    केरल के पलक्कड़ के एक छोटे से शहर ओट्टापलम में पले बढ़े शेखर ने कहा, "मेरे दादा-दादी मुझे रात की ट्रेन पकड़ने के लिए रेलवे स्टेशनों पर ले जाते थे और केरल में नीला नदी के तट पर आकाश तारों से भरा होता था।"

    उन्होंने कहा, "रेलगाड़ियों और आसमान ने मुझे बचपन से ही प्रेरित किया।"

    इसने उन्हें ब्रह्मांड का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया और वो अपनी सफलता का श्रेय केरल की अपनी जड़ों को देते हैं।

    नाम

    पहले भी लोगों के नाम पर रखे गए हैं छोटे ग्रहों के नाम

    3 अन्य भारतीय वैज्ञानिको के नाम पर भी छोटे ग्रहों के नाम रखे गए थे।

    इनमें कैलटेक के खगोलशास्त्री कुमार केंवटरमणी, नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के सीनियर फ्लाइट डायनमिक्स इंजीनियर अशोक के वर्मा और मंगल ग्रह जैसे विभिन्न ग्रहों पर बर्फीली सतहों का अध्यय करने वाले प्लेनेटरी जियोलॉजिस्ट रुतु पारेख हैं।

    इनसे पहले रवींद्रनाथ टैगोर, गायक पंडित जसराज और शतरंज मास्टर विश्वनाथ आनंद के नाम पर एस्ट्रोयड्स के नाम रखे गए हैं।

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