रूस का लूना-25 मिशन चांद के प्री-ऑर्बिट लैंडिंग में प्रवेश करने में हुआ विफल
क्या है खबर?
रूस का चांद मिशन लूना-25 चांद की अपनी निर्धारित प्री-लैंडिंग ऑर्बिट में प्रवेश करने में सफल नहीं हो सका।
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के एक बयान के अनुसार, अंतरिक्ष यान शनिवार को ऑर्बिट में प्रवेश करने वाला था, लेकिन तकनीकी खामी के कारण लूना-25 सही से ऑर्बिट नहीं बदल सका।
इस बारे में अधिक विवरण न देते हुए एजेंसी ने कहा कि टीम स्थिति का विश्लेषण कर रही है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हुआ कि मिशन जारी है या नहीं।
रूस
11 अगस्त को रूस ने लॉन्च किया था मिशन
रूस ने लगभग 50 वर्ष बाद पहली बार अपने चांद मिशन लूना-25 को 11 अगस्त, 2023 को लॉन्च किया।
मॉस्को से इसकी लॉन्चिंग सोयुज 2.1 बी रॉकेट से की गई थी और उम्मीद थी कि यह 21 अगस्त को चांद की सतह पर उतर जाएगा।
रोस्कोस्मोस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि इतिहास में पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग होगी। उनके मुताबिक, अब तक हर कोई भूमध्यरेखीय क्षेत्र में उतरता रहा है।
उद्देश्य
लूना-25 का उद्देश्य
लूना-25 मिशन का उद्देश्य रोस्कोस्मोस ने बताया था कि लूना-25 मिशन का मकसद सॉफ्ट-लैंडिंग टेक्नोलॉजी को विकसित करना है।
इसके साथ ही चांद की आंतरिक संरचना पर रिसर्च करना और पानी की बर्फ समेत दूसरी जरूरी चीजों की खोज करना है।
बर्फ की खोज का उपयोग ऑक्सीजन और रॉकेट के लिए ईंधन तैयार करने के साथ ही पीने के पानी के लिए किया जा सकता है।
रूस ने इससे पहले 1976 में चांद पर मिशन लूना-24 उतारा था।
अनुमान
लूना-25 को लेकर लगाए जा रहे हैं ये कयास
स्पेस डॉट कॉम वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी इंटरनेट में लूना-25 को लेकर कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं।
अधिकतर लोग अनुमान लगा रहे हैं कि लूना-25 खो गया है। कुछ लोग यह तर्क भी दे रहे हैं कि यदि लूना-25 से जुड़ी कोई बड़ी दिक्कत नहीं होती तो अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस इसका जिक्र ही नहीं करती।
यदि लूना-25 मिशन वास्तव में फेल हो गया तो यह रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए बड़ा झटका होगा।
चुनौती
ये होती हैं चांद मिशनों की चुनौतियां
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जून में रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने लूना-25 मिशन को हाई रिस्क वाला बताया था।
उन्होंने कहा था कि इस मिशन के सफल होने की 70 फीसदी संभावना है।
दरअसल, चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग एक बड़ी चुनौती होती है।
सॉफ्ट लैंडिंग के लिए सटीक नेविगेशन गाइडेंस, सही समय पर थ्रस्टर का चलना और सही समय पर उसका धीमा होना बहुत जरूरी है। एक गड़बड़ी मिशन को एक झटके में फेल कर सकती है।
क्षेत्र
अन्य चांद मिशन
लूना-25 के अलावा कई और चांद मिशन चलाए जा रहे हैं।
भारत का चंद्रयान-3 भी 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा।
चीन वर्ष 2026 में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर एक रोवर भेजना चाहता है।
अमेरिकी एजेंसी नासा आर्टिमिस मिशन के जरिए चांद पर इंसानों को भेजने की तैयारी में है।
बता दें कि अभी तक अमेरिका, चीन और रूस चांद पर उतरने में सफल रहे हैं। इस कतार में अगला नंबर भारत का हो सकता है।