गगनयान मिशन पर कोरोना वायरस का असर, लॉकडाउन के कारण रुकी एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग
पिछले साल के अंत में शुरू हुए कोरोना वायरस (COVID-19) ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। इसका असर भारत के अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' पर भी पड़ा है। दरअसल, रूस में लॉकडाउन की वजह से यूरी गागरिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर बंद हो गया है। इस वजह से यहां चार भारतीय एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग भी रुक गई है। भारतीय वायुसेना से चुने गए इन चारों एस्ट्रोनॉट्स ने फरवरी में ट्रेनिंग शुरू की थी।
12 महीने तक चलेगी ट्रेनिंग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पिछले साल जुलाई में अपने एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेनिंग देने के लिए रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ग्लॉवकॉस्मोस से समझौता किया था। इसके तहत वायुसेना से चुने गए एक ग्रुप कैप्टन और तीन विंग कमांडर को ट्रेनिंग के लिए इस साल रूस भेजा गया था। ट्रेनिंग सेंटर के प्रमुख ने बताया कि 12 महीने का ट्रेनिंग प्रोग्राम खासतौर पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
ट्रेनिंग में क्या-क्या शामिल?
एक साल के इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में स्पेस ट्रेनिंग और फिजिकल कंडीशनिंग भी शामिल है। इस दौरान एस्ट्रोनॉट्स को सर्वाइवल कोर्स (विषम परिस्थितियों में बचने के गुर) भी सिखाए जाएंगे। इसमें एस्ट्रोनॉट्स को बताया जाएगा कि अगर धरती पर लौटने के दौरान उनका स्पेसक्राफ्ट जंगल या पानी आदि में लैंड होता है तो उन्हें क्या करना है। अभी तक इन्हें मॉस्को से लगे जंगली और दलदली इलाके में ट्रेनिंग दी जा रही थी।
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान मिशन के तहत तीन एस्ट्रोनॉट्स को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी चल रही है। हालांकि, इस पर कितने लोगों को कितने दिनों के लिए भेजा जाता है, इसका अंतिम निर्णय टेस्ट फ्लाइट के बाद लिया जाएगा। इन एस्ट्रोनॉट्स को लॉ अर्थ ऑरबिट में भेजा जायेगा। यह धरती से 2,00 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अधिकतर सैटेलाइट इसी ऑरबिट में भेजे जाते हैं। मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
इन एस्ट्रोनॉट्स का चयन किसने किया है?
ISRO ने गगनयान मिशन के लिए पायलटों के चयन की जिम्मेदारी एयरफोर्स के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन को सौंपी थी। यहां वायुसेना ने रूस के एयरोस्पेस मेडिसिन एक्सपर्ट ओलेग वालेरियेविच कोतोव की मदद से 60 में से चार पायलटों को चुना है। कोतोव को 526 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का अनुभव है। रूस से लौटने के बाद ISRO में इन पायलटों की ट्रेनिंग होगी। यहां उन्हें गगनयान मिशन से जुड़े कामों की ट्रेनिंग मिलेगी।
टेस्ट फ्लाइट पर भेजी जाएगी व्योममित्र
माना जा रहा है कि ISRO 2022 में गगनयान मिशन को लॉन्च करेगा। उससे पहले दो टेस्ट फ्लाइट भेजी जाएंगी। इनसे मिले नतीजों और सबक के आधार पर मिशन में कुछ बदलाव किये जा सकते हैं। टेस्ट फ्लाइट में हाफ ह्यूमनॉयड (इंसान से मिलता-जुलता रोबोट) भेजा जाएगा। ISRO ने कुछ समय पहले इस ह्यूमनॉयड की झलक दिखाई थी। यह एक 'महिला' है और इसका नाम व्योममित्र रखा गया है, जिसका मतलब 'आकाश का दोस्त' होता है।