कुमारस्वामी बोेले- ISRO मुख्यालय में मोदी का आना अपशगुन, इसी वजह से टूटा विक्रम से संपर्क
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजे गए विक्रम लैंडर का संपर्क टूटने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी को वजह बताया है। उनके इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया है। कुमारस्वामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का ISRO मुख्यालय में आना वैज्ञानिकों के लिए अपशगुन साबित हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी की वजह से ही सात सितंबर को कंट्रोल रूम का विक्रम लैंडर से संपर्क टूटा है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
वैज्ञानिकों की मेहनत का श्रेय लेने की कोशिश में प्रधानमंत्री- कुमारस्वामी
मैसूर में पत्रकारों से बात करते हुए कुमारस्वामी ने कहा, "वो (प्रधानमंत्री मोदी) ऐसे दिखा रहे थे जैसे उन्हें खुद ही चंद्रयान-2 की लैंडिंग करवानी थी।" "ये वैज्ञानिकों की मेहनत थी, उन्होंने 10-12 साल इस पर मेहनत की है। कैबिनेट ने इसे 2008-09 में पास कर दिया था। वो यहां आकर यह दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि यह मिशन उनकी वजह से शुरू हुआ है। उनका ISRO सेंटर में आना वैज्ञानिकों के लिए अपशगुन साबित हुआ है।"
विक्रम की लैंडिंग देखने के लिए ISRO मुख्यालय में मौजूद थे प्रधानमंत्री
भारत ने चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की सतह पर उतरने की कोशिश की थी। इस मिशन के तहत भेजे गए विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर लैंड करना था। प्रधानमंत्री मोदी खुद इस ऐतिहासिक क्षण को देखने के लिए बेंगलुरू स्थित ISRO मुख्यालय में मौजूद थे, लेकिन लैंडिंग से 90 सेकंड पहले कंट्रोल रूम से विक्रम का संपर्क टूट गया। इस तरह चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की भारत की यह कोशिश नाकाम रही।
पहले भी साध चुके हैं मोदी पर निशाना
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कुमारस्वामी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा था कि मोदी अपने चेहरे पर चमक लाने के लिए मेकअप करते हैं और फिर कैमरे के सामने आ जाते हैं। इसलिए मीडिया केवल मोदी को दिखाता है। आगे उन्होंने कहा था कि वे सुबह उठकर एक बार नहाते हैं और फिर अपना चेहरा अगले दिन धोते हैं। इस कारण कैमरों पर उनके चेहरे अच्छे नहीं दिखते, जिस वजह से मीडिया के लोग उनका चेहरा नहीं दिखाते।
लैंडर से संपर्क साधने में जुटा है ISRO
ISRO के वैज्ञानिक लगातार विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश में जुटे हैं। चंद्रयान-2 के तहत भेजे गए ऑर्बिटर से ली गई तस्वीर में पता चला है कि विक्रम चांद की सतह पर पड़ा हुआ है और यह एक तरफ झुक गया है। ISRO डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) के जरिए विक्रम से संपर्क करने की कोशिश में लगा हुआ है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA भी विक्रम से संपर्क करने में भारत की मदद कर रही है।
NASA कर रही मदद
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, NASA की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रही है। साथ ही अपने मून ऑर्बिटर से विक्रम की लैंडिंग साइट की तस्वीर लेने की कोशिश में है। NASA इन जानकारियों को ISRO के साथ साझा करेगी। बता दें कि NASA ने ISRO की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिशों की तारीफ करते हुए कहा था कि यह सफर प्रेरणा देने वाला है।