चंद्रयान-2: विक्रम लैंडर की साइट की तस्वीरे लेगी NASA, मिल सकती हैं अहम सूचनाएं
क्या है खबर?
चांद की सतह पर उतरने की कोशिश की तहत भेजे गए चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर मंगलवार को अहम सूचनाएं मिल सकती हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का सात सितंबर को विक्रम से संपर्क टूट गया था। उसके बाद से ISRO लगातार इससे संपर्क करने की कोशिश में जुटा है।
इस काम में अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA भी उसकी मदद कर रही है। मंगलवार को NASA विक्रम की ताजा तस्वीरें जारी कर सकती है।
मदद
विक्रम की लैंडिंग साइट की तस्वीरें लेगी NASA
नासा का लुनर रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर (LRO) मंगलावार को विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट के ऊपर से गुजरेगा।
इस दौरान यह उस जगह की तस्वीरें लेगा। NASA मंगलवार को LRO से ली गई इस साइट की तस्वीरों और दूसरी जानकारियों को ISRO के साथ साझा करेगी।
इससे ISRO को अपनी जांच में अहम मदद मिल सकती है। बता दें कि NASA ने ISRO की चंद्रयान-2 मिशन के लिए तारीफ की थी और इसे प्रेरणा देने वाली यात्रा बताया था।
जानकारी
NASA ऐसे कर रही है ISRO की मदद
NASA के डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर से विक्रम को सिग्नल भेजे जा रहे हैं। ये सेंटर स्पेन के मैड्रिड, कैलिफोर्निया के गोल्डस्टोन और ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में स्थित है। ये सिग्नल विक्रम को मिल रहे हैं, लेकिन वहां से जवाब नहीं मिल रहा।
कोशिश को झटका
लैंडिंग से ऐन पहले टूटा था विक्रम से संपर्क
ISRO ने चंद्रयान मिशन के तहत विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतारने का फैसला किया था।
सात सितंबर को इसे लैंड करना था, लेकिन लैंडिंग से 90 सेकंड पहले कंट्रोल रूम से इसका संपर्क टूट गया था।
उस वक्त यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर था। इसके बाद से ISRO इससे संपर्क करने की कोशिश कर रहा है।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने इसकी तस्वीरें भेजी थी, जिनसे पता चला कि इसमें टूट-फूट नहीं हुई है।
निराशा
लगभग खत्म हो चुकी है संपर्क की उम्मीद
विक्रम और उसमें मौजूद रोवर को 14 दिन तक चांद की सतह पर प्रयोग करने थे। चांद पर पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर दिन होता है।
इस दौरान वहां सूरज की रोशनी होती है। इसी रोशनी में विक्रम और रोवर काम करते। 20-21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी और इसी के साथ विक्रम से संपर्क की सारी उम्मीदें खत्म हो जाएँगी।
ऐसे में ISRO के पास अब विक्रम से संपर्क करने के लिए कम समय बचा है।
मिशन
चंद्रयान-2 मिशन 95 फीसदी सफल
बेशक भारत अपनी पहली कोशिश में चांद पर उतरने में सफल नहीं हो पाया है, लेकिन चंद्रयान-2 मिशन 95 फीसदी सफल हुआ है।
इसके तहत भेजा गया ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चांद के चारों ओर चक्कर लगा रहा है और वहां से जरूरी सूचनाएं और तस्वीरें ISRO को भेज रहा है।
यह 7.5 साल तक काम करता रहेगा और इस दौरान चांद से जुड़ी अहम सूचनाएं भेजेगा। ये सूचनाएं ISRO के अगले मिशनों में अहम भूमिका निभा सकती हैं।