ISRO ने लॉन्च किया RH-560 साउंडिंग रॉकेट, जानें इसके बारे में सब कुछ
क्या है खबर?
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने शुक्रवार को RH-560 साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किया है।
इस रॉकेट को भेजने का मकसद सामान्य हवाओं और प्लाज्मा डायनमिक्स में होने वाले बदलावों की स्टडी करना है।
आसान भाषा में समझें तो साउंडिंग रॉकेट को आयनमंडल में भेजा जाता है, जो प्लाज्मा वाली आशिंक-आयोनाइज्ड वायुमंडलीय परत है और इसकी मदद से वायुमंडलीय हवाएं के डाटा का विश्लेषण किया जाएगा।
यह डाटा मौसम से जुड़े वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है।
जानकारी
क्या होते हैं साउंडिंग रॉकेट्स?
साउंडिंग रॉकेट्स अपनी एटिमोलॉजी को ट्रेस करते हैं या मौसम से जुड़ी जानकारी मापते हैं।
ये रॉकेट्स अंतरिक्ष से डाटा जुटाने के लिए वैज्ञानिक प्रयोगों को लॉन्च करते हैं।
ऐसे रॉकेट सामान्य रूप से एक से चार स्टेज के बीच में सॉलिड प्रोपलेंट-बेस्ड इंजन की मदद से लॉन्च किए जाते हैं, जिससे इनकी कीमत और जटिलता दोनों कम रहे।
ये रॉकेट 50 से 1,300 किलोमीटर के बीच पांच से 20 मिनट तक के लिए अंतरिक्ष में पेलोड भेज सकते हैं।
स्टडी
आयनमंडल की स्टडी के लिए 460 किमी रेंज में भेजा गया रॉकेट
ISRO के इस दो-स्टेज वाले साउंडिंग रॉकेट RH-560 को सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC), श्रीहरिकोटा रेंज से लॉन्च किया गया है।
RH-560 रोहिणी सीरीज का साउंडिंग रॉकेट है, जो फ्रेंच स्ट्रोम्बोली इंजन डिराइव टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करता है और इसे 470 किलोमीटर के अधिकतम एल्टिट्यूड तक भेजा जा सकता है।
यानी कि इसकी मदद से आयनमंडल और वायुमंडलीय हवाओं में प्लाज्मा ऐक्टिविटी की स्टडी करना पहले के मुकाबले आसान हो जाएगा।
पेलोड
लेकर जा सकता है 100 किलोग्राम वैज्ञानिक पेलोड
ISRO ने इंडीजीनियसली-मेड साउंडिंग रॉकेट्स साल 1965 से लॉन्च करने शुरू कर दिए थे।
इनकी मदद से बाद में लॉन्च किए गए स्पेस लॉन्च प्रोग्राम के लिए जरूरी डाटा जुटाया गया।
RH-560 आयनमंडल तक 100 किलोग्राम वजन तक का पेलोड लेकर जा सकता है।
अपने Mk II अवतार में RH-560 रॉकेट मौजूदा बेस्ट साउंडिंग रॉकेट है और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वीइकल (ATV) के तौर पर स्क्रैमजेट प्रोजेक्ट में इसका इस्तेमाल हो रहा है।
रिसर्च
जापान की एजेंसी और ISRO के बीच साझेदारी
बीते 11 मार्च को ISRO और जापान ऐरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के बीच बाइलेटरल मीटिंग हुई।
दोनों अंतरिक्ष संगठन एकसाथ मिलकर रिसर्च का काम करेंगे और प्रोफेशनल एक्सचेंज प्रोग्राम के साथ एकदूसरे की क्षमताएं शेयर कर सकेंगे।
जापान और भारत पहले ही अर्थ ऑब्जर्वेशन, सैटेलाइट नेविगेशन और लूनर रिसर्च के बारे में जानकारी जुटाने के लिए आपसी सहयोग कर रहे हैं।
नए रॉकेट से मिलने वाली जानकारी पर भी दोनों देश मिलकर काम करेंगे।