NASA के आर्टेमिस 1 अंतरिक्ष अभियान का हिस्सा बने भारतीय वैज्ञानिक अमित पांडेय
भारत और इसकी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मान रही है और हर क्षेत्र में देश के लोग खुद को साबित कर रहे हैं। NASA के अगले बड़े अंतरिक्ष अभियान आर्टेमिस 1 के साथ अब अमित पांडे नाम के भारतीय वैज्ञानिक का नाम जुड़ा है। उत्तराखंड स्थित हल्द्वानी के मूल निवासी अमित पांडे सीनियर साइंटिस्ट के तौर पर आर्टेमिस 1 मिशन का हिस्सा बने हैं। वह लॉकहीड मार्टिन में काम करते हैं, जो NASA के कॉन्ट्रैक्टर्स में से एक है।
अमित ने अपने अकाउंट से किया ट्वीट
लॉकहीड मार्टिन की ओर से शेयर किए गए वीडियो को रीट्वीट करते हुए अमित ने लिखा, 'चांद हम आ रहे हैं। मुझे इससे प्यार है।' एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "1960 के दशक में अमेरिका ने अपोलो प्रोग्राम लॉन्च किया था, जिससे तहत अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर कदम रखे थे। अब NASA एक लंबा मून प्रोग्राम लॉन्च कर रही है, जिससे अंतरिक्ष यात्री चांद पर रहकर शोध कर सकें।"
BHU से बीटेक करने के बाद अमेरिका गए अमित
अमित पांडे मूल रूप से उत्तराखंड के गोरापड़ाव के रहने वाले हैं। हल्द्वानी के केंद्रीय विद्यालय में स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने उन्होंने केंद्रीय विद्यालय, रायबरेली से इंटरमीडिएट किया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से बीटेक करने के बाद साल 2003 में वह अमेरिका चले गए। 2005 में यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना से मास्टर्स करने के बाद साल 2009 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड से पीएचडी. और कई विषयों पर रिसर्च की।
कई अमेरिकी कंपनियों में काम कर चुके हैं अमित
अमित पिछले कई साल से बतौर वैज्ञानिक अमेरिकी कंपनियों में काम कर रहे हैं। पीएचडी. पूरी करने के बाद उन्होंने अमेरिकी रक्षा कंपनी रोल्स रॉयल में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। अपने काम के अलावा वह यूट्यूब पर करियरपीडिया नाम का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी मैनेज करते हैं, जिसकी मदद से वह छात्रों को फ्री करियर गाइडेंस दे रहे हैं। अमित भारत से अमेरिका पढ़ने जाने वाले छात्रों की मदद भी करते रहे हैं।
क्या है NASA का नया आर्टेमिस 1 मिशन?
आर्टेमिस 1 मिशन के तहत NASA इसके डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन सिस्टम्स, ओरियन स्पेसक्राफ्ट का इंटीग्रेटेड फ्लाइट टेस्ट करने जा रही है। इसका एक्सप्लोरेशन ग्राउंड फ्लोरिडा को बनाया गया है और स्पेसक्राफ्ट को स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) की मदद से चांद तक भेजा जाएगा। ओरियन का काम चांद की कक्षा में चक्कर लगाना होगा और SLS 10 सैटेलाइट्स के साथ जाएगा, जो रिसर्च का काम करेंगे। यह NASA के दूरगामी मिशन की शुरुआत और उनकी दिशा में पहला कदम भर है।
चांद पर रहकर शोध करेंगे अंतरिक्ष यात्री
NASA की योजना एक बार फिर अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर भेजने की है। साल 1972 के बाद इंसानों के कदम चांद पर नहीं पड़े हैं। सब सही रहा तो अगले कुछ साल में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की तर्ज पर चांद पर प्रयोगशाला का निर्माण किया जाएगा। इस तरह अंतरिक्ष से जुड़े प्रयोग और शोध करने के लिए धरती से उपकरण और यात्री चांद तक भेजे जाएंगे। इस महत्वपूर्ण मिशन को कई चरणों में अंजाम दिया जाएगा।
इस महीने के आखिर में लॉन्च
29 अगस्त, 2022 को होने वाले आर्टेमिस 1 लॉन्च में जोहर, हेल्गा और कंपोस नाम के पुतले भेजे जा रहे हैं। इनकी मदद से अंतरिक्ष यात्रियों पर यात्रा के दौरान पड़ने वाले प्रभाव को परखा जाएगा।