गगनयान मिशन: कोरोना वायरस संकट के कारण इस साल नहीं भेजी जाएगी मानवरहित उड़ान

गगनयान मिशन की तैयारियों के लिए इस साल निर्धारित मानवरहित उड़ान तय समय पर नहीं भेजी जाएगी। कोरोना वायरस संकट के चलते इस उड़ान का समय इस साल के अंत से टालकर अगले साल कर दिया गया है। इसके बारे में जानकारी देते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल के शेड्यूल में यह उड़ान शामिल नहीं है। इस बार केवल सैटेलाइट लॉन्चिंग का शेड्यूल है।
इस अधिकारी ने यह भी बताया कि मानवरहित उड़ान टलने की वजह से पूरे मिशन की समयसीमा पर असर पड़ेगा और इसमें देरी हो सकती है। ISRO 2022 में गगनयान मिशन को लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
ISRO के प्रमुख के सिवन ने भी इसकी पुष्टि ही है। TOI से बात करते हुए उन्होंने बताया, "मौजूदा हालात को देखते हुए इस साल मानवरहित उड़ान संभव नहीं है। इस साल हम GiSAT समेत पांच-छह मिशनों पर काम कर रहे हैं। GiSAT की लॉन्चिंग को एक बार पहले टाला जा चुका है।" सिवन ने कहा कि आने वाले दिनों में इन मिशनों के बारे में जानकारी सार्वजनिक की जाएगी।
गगनयान मिशन के तहत तीन एस्ट्रोनॉट्स को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजने और वापस लाने की तैयारी चल रही है। हालांकि, इस पर कितने लोगों को कितने दिनों के लिए भेजा जाता है, इसका अंतिम निर्णय टेस्ट फ्लाइट के बाद लिया जाएगा। इन एस्ट्रोनॉट्स को लॉ अर्थ ऑरबिट (LEO) में भेजा जायेगा। अधिकतर सैटेलाइट इसी ऑरबिट में भेजे जाते हैं। इस पूरे मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
मिशन की तैयारियों में जुटे ISRO की योजना एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजने से पहले दो मानवरहित उड़ान भेजने की है। इनके जरिये तैयारियों को जांचा-परखा जाएगा। भारत सरकार ने इस मिशन के लिए 2022 की समयसीमा तय की है। अगर तय समय पर यह मिशन लॉन्च करना है तो ISRO को अगले साल ही दोनों मानवरहित उड़ानें भेजनी होगी। इन उड़ानों के जरिये मिले नतीजों और सबक के आधार पर गगनयान मिशन में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
हालांकि, अगले साल ही दोनों मानवरहित उड़ानें लॉन्च की जाएंगी, इस पर अभी भी संदेह बना हुआ है। इस बारे में बताते हुए सिवन ने कहा, "मानवरहित उड़ानों में हमारा मकसद ह्यूमनॉयड (आदमी से मिलता-जुलता रोबोट) को ले जाना है। यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि अगले साल दोनों उड़ानें जा पाएंगी या नहीं। आने वाले महीनों में इस पर फैसला होगा। अगर कोरोना संकट जारी रहा तो इन्हें फिर टाला जा सकता है।"
टेस्टिंग के लिए भेजे जाने वाले ह्यूमनॉयड का नाम व्योममित्र रखा गया है। यह दो भाषाएं बोलने समेत कई दूसरे काम करने में सक्षम है। व्योममित्र बात कर सकती हैं, लोगों को पहचान सकती है और एस्ट्रोनॉट्स द्वारा किए जाने वाले कामों की नकल कर सकती है। व्योममित्र आगे और दायें-बायें झुक सकती है। उड़ान के दौरान यह प्रयोगों को अंजाम देगी और लगातार कंट्रोल रूम के संपर्क में रहेगी। व्योममित्र का मतलब 'आकाश का दोस्त' होता है।
भारत के पहले मानव युक्त अतंरिक्ष मिशन पर जाने के लिए चुने गए भारतीय वायुसेना के चार पायलटों को ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया था। इन चारों की रूस के गैगरीन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) में चल रही ट्रेनिंग वहां लागू लॉकडाउन के चलते रुक गई थी, लेकिन अब यह एक बार फिर शुरू हो गई है। ISRO और रूस की सरकारी स्पेस कंपनी ग्लॉवकॉस्मोस के अनुबंध के तहत इन एस्ट्रोनॉट्स को वहां ट्रेनिंग दी जा रही है।