प्रवासी मजदूरों को 15 दिनों में घर भेजा जाए, केस भी वापस हों- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मामले में मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों की आदेश दिया कि सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कर उन्हें अगले 15 दिनों के भीतर उनके घर भेजा जाए। साथ ही उनके खिलाफ लॉकडाउन उल्लंघन के केस वापस लिए जाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यों की मांग पर केंद्र को 24 घंटे के भीतर अतिरिक्त ट्रेनें उपलब्ध करानी होंगी।
मजदूरों की स्किल मैपिंग की जाए- कोर्ट
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राज्य सरकारें लगभग एक करोड़ मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कर उनके रोजगार के क्षेत्र के बारे में जानकारी जुटाएं। इससे उन्हें राज्य के भीतर काम देने में मदद मिलेगी। बेंच ने कहा कि जिला प्रशासन घर लौटे प्रवासी मजदूरों से जुड़ी सभी जानकारियां जुटाएं। मजदूरों की स्किल मैपिंग की जाए ताकि उन्हें रोजगार देने में आसानी हो। कोर्ट ने मजदूरों के लिए लिए काउंसलिंग सेंटर बनाने को कहा है।
सरकारों को कोर्ट में सौंपनी होगी जानकारी
बेंच ने यह भी कहा राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारें मजदूरों से जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर कोर्ट में सौंपे। साथ ही हलफनामा दायर कर बताएं कि मजदूरों को रोजगार देने के लिए क्या योजना बनाई गई है।
मजदूरों के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाए- कोर्ट
बेंच में जस्टिस अशोक भूषण के साथ जस्टिस संजय के कौल और एमआर शाह भी शामिल थे। बेंच ने यह भी कहा कि पैदल, साइकिलों और दूसरे माध्यमों से लॉकडाउन के दौरान अपने घर लौटने वाले सभी प्रवासी मजदूरों के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाएं। गौरतलब है कि कई जगह पर मजदूरों के खिलाफ लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में केस दर्ज कर लिए गए थे। कई जगहों पर पुलिस ने मजदूरों पर बर्बरता दिखाई थी।
8 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
अब इस मामले की सुनवाई 8 जुलाई को होगी। उस दिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मजदूरों के लिए योजना, उनके लिए रोजगार सृजन आदि की स्कीमों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी। गौरतलब है कि प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। उसके बाद से इस मामले में कई बार सुनवाई हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश जारी किए हैं।
पिछले सुनवाई के दौरान केंद्र ने दी थी यह जानकारी
5 जून को पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए 15 दिन का समय दिया था। उस दिन केंद्र ने कोर्ट को बताया था कि 3 जून तक लगभग 1 करोड़ प्रवासी मजदूरों को देश के अलग-अलग हिस्सों से उनके घर भेजा जा चुका है। केंद्र ने यह भी कहा था कि अब तक 90 प्रतिशत मजदूर पहुंच गए हैं और बाकी को अगले दो सप्ताह में भेज दिया जाएगा।
लॉकडाउन लागू होने के बाद लाखों मजदूरों ने किया था पलायन
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बिना कोई समय दिए 25 मार्च से लॉकडाउन का ऐलान कर दिया था। इसके बाद काम-धंधे बंद होने के कारण लाखों की संख्या में मजदूरों का पलायन शुरू हो गया। बड़ी संख्या में बच्चों के साथ महिला औऱ पुरुष मजदूर पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घर की तरफ निकल पड़े। इस दौरान हुए हादसों में 150 से ज्यादा मजूदरों की मौत हुई थी।