
चंद्रयान-2: विक्रम से संपर्क साधने में जुटा है ISRO, चांद पर दिन होने का इंतजार
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 के तहत भेजे गए विक्रम लैंडर से संपर्क करने की कोशिशें बंद नहीं की है।
लगभग तीन सप्ताह पहले विक्रम का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था। उसके बाद से उससे दोबारा संपर्क साधने की कोशिशें जारी हैं।
ISRO प्रमुख ने बताया, "यह अभी संभव नहीं है। वहां रात है। इसके बाद हम फिर से कोशिश शुरू करेंगे। लैंडिंग साइट पर रात होने की वजह से रोशनी नहीं है।"
प्रयास
चांद पर दिन होने के बाद होगी फिर की जाएगी कोशिश
जब सिवन से पूछा गया कि विक्रम से संपर्क साधने का प्रयास जारी रहेगा तो उन्होंने कहा कि चांद पर दिन होने के बाद फिर से प्रयास किए जाएंगे।
ISRO के एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि इतने समय बाद विक्रम से संपर्क होना काफी मुश्किल है, लेकिन इसके लिए प्रयास जारी रखे जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस बात की भी चिंता है कि कहीं हार्ड लैंडिंग के कारण विक्रम को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा है।
चंद्रयान-2
पहली कोशिश में चांद पर उतरने में सफल नहीं हुआ भारत
भारत ने चंद्रयान-2 मिशन के जरिए चांद की सतह पर उतरने की कोशिश की थी। यह भारत की पहली कोशिश थी।
इस मिशन के तहत चंद्रयान-2 में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर भेजा गया था।
ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगा रहा, जबकि लैंडर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी।
लैंडिंग के बाद रोवर इससे बाहर आता और चांद की सतह पर प्रयोग करता, लेकिन लैंडिंग से पहले लैंडर का संपर्क टूट गया।
जानकारी
लैंडिंग से 90 सेकंड पहले टूटा था विक्रम का संपर्क
लैंडर को 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरना था, लेकिन तय समय से महज 90 सेकंड पहले इसका कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया। उस वक्त यह चांद की सतह से सिर्फ 2.1 किलोमीटर ऊपर था।
चंद्रयान-2
ISRO ने चंद्रयान-2 मिशन को बताया 98 प्रतिशत सफल
ISRO प्रमुख के सिवन ने हाल ही में कहा था कि चंद्रयान-2 मिशन 98 प्रतिशत सफल रहा है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजे गए ऑर्बिटर में आठ उपकरण लगे हैं और ये बिल्कुल ठीक तरह से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में ऑर्बिटर को एक साल के लिए तैयार किया गया था, लेकिन अब इस बात की पूरी संभावना है कि यह लगभग सात सालों तक वैज्ञानिक प्रयोगों में मदद करेगा।
NASA
अंधेरे के कारण NASA नहीं ले पाई विक्रम की फोटो
NASA ने लुनर ऑर्बिटर की मदद से चांद की सतह पर विक्रम का पता लगाने की कोशिश की थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।
NASA के लुनर रिकोनेसेंस ऑर्बिटर ने उस जगह की तस्वीरें भेजी हैं, जहां विक्रम को लैंड होना था, लेकिन अंधेरे के कारण वह विक्रम की तस्वीर नहीं ले पाया। जो तस्वीरें मिली हैं, उनका अध्ययन किया जा रहा है।
NASA अब चांद पर दिन होने के बाद फिर से विक्रम की फोटो लेने की कोशिश करेगी।
गगनयान मिशन
गगनयान मिशन पर जुटा ISRO
विक्रम की असफलता को भूलाकर ISRO अब अतंरिक्ष में मानव भेजने के मिशन पर जुट गया है। इस मिशन को गगनयान नाम दिया गया है।
सिवन ने कहा, "हम गगनयान मिशन को अगले साल तक पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए हम कई विकल्पों पर काम कर रहे हैं।"
इस मिशन के तहत तीन भारतीयों को साल 2022 में 7 दिनों के लिए अंतरिक्ष भेजा जाएगा। इसके लिए 10,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।