क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर पूरे किए 10 साल, NASA ने शेयर की खास सेल्फी
पड़ोसी ग्रह मंगल पर जीवन की तलाश जारी है और इसपर लंबे वक्त से काम कर रहे क्यूरियोसिटी रोवर ने 10 साल पूरे कर लिए हैं। NASA ने इस मौके पर रोवर की एक सेल्फी शेयर की है, जिसमें यह मंगल ग्रह की सतह पर दिख रहा है। पिछले 10 साल में इसने कई परेशानियों और चुनौतियों का सामना करते हुए भी महत्वपूर्ण डाटा धरती पर भेजा है। आइए क्यूरियोसिटी के लाल ग्रह पर सफर के बारे में जानते हैं।
रोवर ने गेल क्रेटर में क्लिक की सेल्फी
क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर पिछले 10 साल में कुल 29 किलोमीटर का सफर तय किया है। रोवर ने इस दौरान ग्रह से 41 चट्टानों और मिट्टी के नमूने जुटाए हैं। 10वीं एनिवर्सरी पर NASA ने रोवर की एक फोटो शेयर की, जो इसने सोल (सौर दिवस) 2082 या 15 जून, 2018 को गेल क्रेटर में खुद क्लिक की थी। इस फोटो को मार्स हैंड्स लेंस इमेजर या माह्ली (Mahli) की मदद से क्लिक किया गया।
6 अगस्त, 2012 को मंगल पर लैंड हुआ रोवर
NASA के मार्स साइंस लैबोरेटरी (MSL) मिशन को नेशनल रिसर्च काउंसिल का साथ मिलने के बाद 2003 में क्यूरियोसिटी पर काम शुरू हुआ। नौ साल की मेहनत और दो अरब से ज्यादा खर्च के बाद 6 अगस्त, 2012 को रोवर ने मंगल ग्रह की सतह को छुआ। यह रोवर मंगल ग्रह के दक्षिणी हिस्से में स्थित गेल क्रेटर में उतरा और इसने तस्वीरें और डाटा भेजने का अपना काम शुरू कर दिया।
साल 2013 में पहली बार की चट्टानों की ड्रिलिंग
मंगल ग्रह पर सक्रिय शुरुआत के बाद रोवर को फरवरी, 2013 में पहली बार एक चट्टान में ड्रिल करने का मौका मिला, जिसका मकसद नमूने इकट्ठा करना था। इस नमूने से उसे सल्फर, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस और कार्बन के संकेत मिले। जीवन की संभावनाएं तलाश रहे रोवर को बड़ी सफलता तब मिली, जब इसके SAM (सैंपल एनालिसिस एट मार्स) टूल को लाल ग्रह पर कार्बनिक पदार्थों की मौजूदगी का पता चला।
मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया
क्यूरियोसिटी ने पूरा एक दशक मंगल ग्रह पर अपना काम और रिसर्च करते हुए बिताया है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण खोज मंगल ग्रह पर तरल अवस्था में पानी की मौजूदगी से जुड़ी रही। इसने पता लगाया कि गेल क्रेटर में तरल अवस्था में पानी के अलावा जीवन की संभावनाओं के लिए जरूरी रसायनिक और पोषक तत्व लाखों वर्ष तक मौजूद थे। हालांकि, इसके रेडिएशन सेंसर्स को ग्रह पर हाई-एनर्जी रेडिएशंस मिले हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
माउंट शार्प की ओर बढ़ रहा है क्यूरियोसिटी रोवर
क्यूरियोसिटी रोवर अब माउंट शार्प की ओर बढ़ रहा है और यह मास्टकैम की मदद से ग्रह की सतह पर खुद नेविगेशन करने में सक्षम है। अब रोवर जिस क्षेत्र में जा रहा है, वहां बड़ी मात्रा में सल्फेट की मौजूदगी हो सकती है। क्यूरोसिटी अगले कुछ साल इस क्षेत्र में बिताएगा, जहां गेडिज वैलिस चैनल जैसे टारगेट तय किए गए हैं, जो माउंट शार्प पर बाढ़ जैसी स्थितियों में बने होंगे।
पुराना होने के चलते सावधानी बरत रहा है रोवर
क्यूरियोसिटी का अभियान 687 दिनों तक चलना था, लेकिन यह अब 10 साल पूरे कर चुका है। जाहिर सी बात है कि रोवर पर पुराना होने का असर पड़ा है। इसके व्हील्स पंक्चर हो गए हैं और हर एक किलोमीटर पर इनकी जांच की जा रही है। साथ ही इंजीनियर्स तय कर रहे हैं कि रोवर ऐसा रास्ता ना चुनें, जिसपर नुकीली चट्टानें हो सकती हैं। रोवर को कई शॉर्ट सर्किट्स और कंप्यूटर रीबूट्स का सामना भी करना पड़ा है।
न्यूजबाइट्स प्लस
पृथ्वी के बाहर केवल मंगल ही ऐसा ग्रह है, जहां भविष्य में इंसान बस सकते हैं। शुक्र और बुध पर औसतन तापमान 400 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहता है। वहीं, बृहस्पति आदि ग्रह गैस से बने हुए हैं और यहां तापमान बेहद ठंडा है।