मंगल ग्रह की सतह पर उतरा NASA का पर्सिवियरेंस रोवर, भेजी पहली तस्वीर
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA का पर्सिवियरेंस (Perseverance) रोवर शुक्रवार को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की सतह पर उतर गया। इस रोवर को अब तक मंगल पर भेजा गया सबसे उन्नत एस्ट्रोबॉयोलॉजी लैब माना जा रहा है। करीब छह महीने पहले लॉन्च किए गए पर्सिवियरेंस रोवर ने बीती रात लगभग 02:25 मिनट पर मंगल की सतह को छू लिया था। रोवर के लैंड करने के बाद NASA ने इससे मिली पहली तस्वीर भी जारी कर दी है।
दुर्गम जेजेरो क्रेटर पर लैंड हुआ रोवर
पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल का सबसे दुर्गम माने जाने वाले जेजेरो क्रेटर पर लैंड किया है। बताया जाता है कि कभी यहां पानी हुआ करता था, लेकिन अब यहां गहरी खाईयां, नुकीले पहाड़ और पत्थर बचे हैं। जैसे ही इस छह पहियों वाले रोवर ने मंगल पर लैंड किया, कैलिफॉर्निया की NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री में जश्न का माहौल शुरू हो गया। पर्सिवियरेंस को मंगल ग्रह की सतह पर उतारना बेहद चुनौतीपूर्ण काम था।
'खौफ के सात मिनट'
रोवर की लैंडिंग से पहले NASA की लैबोरेट्री में बैठेे वैज्ञानिकों को 'खौफ के सात मिनटों' से भी गुजरना पड़ा। दरअसल, मंगल ग्रह से पृथ्वी पर सिग्नल आने में समय लगता है। जब NASA को पर्सिवियरेंस के मंगल के वायुमंडल में प्रवेश करने के सिग्नल मिले, तब तक असल में यह लैंड कर चुका था। इसके बाद सुरक्षित लैंडिंग के सिग्नल मिलने के बीच के सात मिनट को NASA वैज्ञानिकों ने 'खौफ के सात मिनट' बताये।
लैंडिंग के समय आती हैं ये चुनौतियां
मंगल के वायुमंडल में प्रवेश के समय रोवर की गति 20,000 किलोमीटर प्रति घंटा थी। वायुमंडल में प्रवेश करने पर घर्षण के कारण तापमान बढ़ जाता है। इससे रोवर को नुकसान पहुंचने या गति नियंत्रित न होने के कारण लैंडिंग में परेशानी की आशंका रहती है। अगर यह सफलतापूर्वक हो भी जाए तो रोवर को सही गति के साथ गड्डों और नुकीली चट्टानों से बचाकर सही सतह पर उतारना भी बड़ी चुनौती होती है।
पर्सिवियरेंस ने भेजी यह तस्वीर
अब तक का सबसे महत्वकांक्षी मिशन
NASA के वैज्ञानिक पर्सिवियरेंस को अब तक मंगल पर भेजे गए सभी मिशनों में से सबसे ज्यादा महत्वाकांक्षी बताया है। यह मिशन कोरोना वायरस महामारी से सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका के लिए भी खुशी लेकर आया है। इस पूरे मिशन का नाम पर्सिवियरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है। 1,000 किलोग्राम वजनी यह रोवर प्लूटोनियम ईंधन से चलेगा। इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे, दो माइक्रोफोन और एक ड्रिल मशीन लगी हुई है।
30 जुलाई को लॉन्च हुआ था पर्सिवियरेंस
पर्सिवियरेंस रोवर ने पिछले साल 30 जुलाई को केनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। लगभग छह महीने में 47.2 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय कर यह रोवर मंगल की सतह पर पहुंचा है। यह मंगल के एक साल (धरती पर 687 दिन) तक वहां रहेगा। NASA अगले कुछ सालों में दो और मिशन मंगल की सतह पर भेजेगा, जो वहां से सैंपल एकत्रित कर वापस धरती पर लाएंगे। इनसे मंगल के रहस्य सुलझाने में मदद मिलेगी।
मंगल पर जीवन की तलाश करेगा पर्सिवियरेंस
पर्सिवियरेंस मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की तलाश करेगा। यह वहां की सतह का अध्ययन करेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि तीन-चार अरब साल पहले मंगल पर जीवन रहा था। यह रोवर उसी खोज को आगे बढ़ाएगा।