आखिर मंगल ग्रह वैज्ञानिकों को इतना क्यों लुभाता है?
शुक्रवार रात को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA का पर्सिवियरेंस रोवर सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की सतह पर लैंड हो गया। यह लाल ग्रह पर भेजा गया अब तक का सबसे एडवांस लैब है। इसके नतीजे कुछ दशकों में मंगल पर जीवन की खोज की कोशिशों को नई दिशा देंगे। मंगल बेहद बंजर है और यहां वातावरण काफी सख्त है। फिर भी एलन मस्क की चर्चित राकेट कंपनी स्पेस-X समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों को यह ग्रह लुभाता है। आइए जानें इसका कारण।
दशकों से चल रहीं मंगल को समझने की कोशिशें
इंसानों द्वारा मंगल ग्रह को समझने की कोशिशों का सिलसिला 1960 के दशक में शुरू हुआ था। 70 के दशक के मध्य में वाइकिंग मिशन के जरिये चांद की मिट्टी का पहला रसायनिक विश्लेषण किया गया। साथ ही यहां जैविक गतिविधियों का पता लगाने के लिए भी कई प्रयोग किए गए, लेकिन इनसे लाल ग्रह पर जीवन के सबूत नहीं मिले। इसके बाद वैज्ञानिकों ने अपने प्रयासों को और तेज किया और लगातार इस दिशा में आगे बढ़ते चले गए।
1984 में मिली थी बड़ी सफलता
1984 में एक अध्ययन में पता चला कि सिनोन, क्रिप्टॉन, नियॉन और आर्गॉन आदि गैसों की आइसोटॉपिक सरंचना वाइकिंग स्पेसक्राफ्ट द्वारा चांद के वायुमंडल में मापे गए आइसोटॉपिक रेशो से मिलती है। इस खोज ने मंगल के जियोकेमिकल विकास की समझ बढ़ाने में मदद की।
इस सदी से पहले तक मंगल को समझा जाता था सूखा ग्रह
20वीं सदी तक मंगल को एक सूखा ग्रह माना जाता था। 2001 में मार्स ऑडिसी स्पेसक्राफ्ट पर लगे गामा रे स्पेक्ट्रोमीटर ने मंगल की सतह पर हाइड्रोजन सिग्नेचर का पता लगाया। इससे मंगल की सतह पर वाटर आइस मौजूद रहने के संकेत मिले। इसके बाद मंगल की सतह पर पानी की मौजूदगी का पता लगाने के लिए NASA ने 2007 में दक्षिणी ध्रुव के पास एक स्पेसक्राफ्ट भेजा। स्पेसक्राफ्ट ने पहली बार वहां पानी की मौजूदगी का पता लगाया था।
इंसानों के बसने के लायक है मंगल
वैज्ञानिकों के आकर्षण का दूसरा कारण है कि पृथ्वी के बाहर केवल मंगल ही ऐसा ग्रह है, जहां भविष्य में इंसान बस सकते हैं। शुक्र और बुध पर औसतन तापमान 400 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहता है, जहां इंसान का रहना असंभव है। इसके अलावा बृहस्पति आदि ग्रह गैस से बने हुए हैं और यहां तापमान बेहद ठंडा है। इनकी तुलना में मंगल इंसान के बसने के लिए ज्यादा उपयुक्त है। यहां तापमान 20 से -125 डिग्री तक रहता है।
वैज्ञानिकों को इतना लुभाता क्यों है मंगल ग्रह?
यह ऐसा गृह है, जहां जीवन मौजूद होने के कुछ संकेत हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि तीन-चार अरब साल पहले मंगल पर जीवन रहा था। उस समय यहां वातावरण पृथ्वी जैसा था, जिससे वहां पानी रहा। अगर वहां भी कभी धरती जैसा वातावरण रहा था तो यह संभव है कि मंगल पर किसी न किसी रूप में जीवन रहा होगा। वैज्ञानिकों को यह भी लगता है कि धरती के कई बैक्टीरिया मंगल की सतह पर जिंदा रह सकते हैं।
मंगल और धरती पर एक जैसा था शुरुआती समय
BBC अर्थ पर छपे एक पुराने लेख में जर्मन वैज्ञानिक डिर्क वैग्नर कहते हैं कि मंगल और धरती के शुरुआती दिनों में दोनों में कई समानताएं थी। दोनों का तापमान और हवा का दबाव कम था। दोनों ही जगहों पर ऑक्सीजन नहीं थी। उस समय धरती पर सिर्फ समुद्र थे तो मंगल पर भी पानी के संकेत मिलते हैं। उन्होंने कहा कि जब ऐसे माहौल में धरती पर जीवन शुरू हो गया तो शायद मंगल पर भी ऐसा हुआ होगा।
मंगल पर जीवन का क्या हुआ?
वैग्नर ने आगे कहा कि इसके बारे में जानकारी नहीं है कि मंगल का वातावरण बदलने के बाद क्या हुआ। यह भी हो सकता है कि वहां मौजूद सारे जीव विलुप्त हो गए या फिर मंगल की सतह के नीचे दबे हों।
पर्सिवियरेंस रोवर की क्या भूमिका रहने वाली है?
अब NASA के पर्सिवियरेंस रोवर की तरफ दोबारा लौटते हैं। यह रोवर मंगल पर जीवन की तलाश के साथ-साथ लाल ग्रह पर इंसानी मिशन की संभावना भी तलाशेगा। यह मंगल से नमूने लाने की कई चरणों की योजना का एक हिस्सा है। इसके तहत अगले कुछ सालों में मंगल की मिट्टी के नमूनों का धरती के अलग-अलग हिस्सों में अध्ययन होगा, जिससे शायद इस सवाल का जवाब मिल सकेगा कि मंगल पर कभी जीवन था या नहीं।