मंगल ग्रह पर पहली बार हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली है NASA, यह है पूरा मिशन
क्या है खबर?
दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी NASA पहली बार एक अनोखा प्रयोग करने जा रही है।
NASA मंगल ग्रह पर हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली है और साबित करना चाहती है कि पृथ्वी की तरह दूसरे ग्रहों पर उड़ान संभव है।
गुरुवार को मार्स 2020 स्पेसक्राफ्ट लाल ग्रह मंगल पर पहुंच रहा है, जिसके साथ भेजा गया छोटा इनजेन्युइटी हेलीकॉप्टर इस ग्रह पर उड़ान भरेगा।
मंगल ग्रह की सतह से ऊपर उठते वक्त हेलीकॉप्टर नए वायुमंडल से जुड़ी चुनौतियों का सामना करेगा।
हेलीकॉप्टर
मिनी-ड्रोन जितना छोटा होगा हेलीकॉप्टर
मंगल ग्रह पर उड़ान भरने वाला इनजेन्युइटी (Ingenuity) किसी सामान्य हेलीकॉप्टर की तुलना में बेहद छोटा है और किसी मिनी-ड्रोन जैसा दिखता है।
केवल चार पाउंड (करीब 1.8 किलोग्राम) वजन वाले इस हेलीकॉप्टर को मंगल ग्रह पर उड़ान भरने के लिए धरती की तुलना में अपने ब्लेड्स पांच गुना ज्यादा तेजी से (एक मिनट में करीब 2,400 बार) घुमाने होंगे।
हालांकि, मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तुलना में केवल एक तिहाई गुरुत्वाकर्षण है, जिसका फायदा इसे मिलेगा।
मजबूती
कार्बन फाइबर से बने हैं हेलीकॉप्टर ब्लेड्स
इनजेन्युइटी हेलीकॉप्टर की बॉडी किसी बॉक्स जैसी है और इसमें चार कार्बन फाइबर ब्लेड्स दिए गए हैं।
दो कैमरा, कंप्यूटर्स और नेविगेशन सेंसर्स वाले इस हेलीकॉप्टर के ब्लेड्स विपरीत दिशा में घूमेंगे।
बैटरी रिचार्ज करने के लिए इसमें सोलर सेल्स दिए गए हैं, जिनकी ऊर्जा मंगल ग्रह की रातों में इसे गर्म रखेगी। बता दें, वहां रात में तापमान माइनस 90 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
हेलीकॉप्टर को पर्सिवियरेंस रोवर के साथ मंगल ग्रह पर भेजा जा रहा है।
फ्लाइट
90 सेकेंड की कई छोटी उड़ानें
मिशन के पहले एक महीने के अंदर इस हेलीकॉप्टर की करीब पांच उड़ानों की योजना बनाई गई है।
इनजेन्युइटी मंगल ग्रह पर 10-15 फीट की ऊंचाई पर और 160 फीट (करीब 50 मीटर) की दूरी तक उड़ान भरेगा। इसकी हर उड़ान करीब डेढ़ मिनट की होगी।
पृथ्वी से बहुत दूर होने के चलते इसकी उड़ान को यहां से कंट्रोल करना संभव नहीं है और सेंसर्स और कंप्यूटर की मदद से यह पहले से तय किए गए पाथ पर उड़ान भरेगा।
मकसद
मंगल ग्रह पर हेलीकॉप्टर उड़ाने की वजह क्या?
NASA ने इनजेन्युइटी के मिशन को 'टेक्नोलॉजी के प्रदर्शन' से जुड़ा मिशन बताया है, यानी कि इस प्रोजेक्ट से नई क्षमताओं का पता चलेगा।
इनजेन्युइटी के चीफ इंजीनियर बॉब बलराम ने कहा, "अगर यह मिशन सफल रहा तो मंगल ग्रह को जानने के नए दरवाजे हमारे लिए खुल जाएंगे।"
इसके बाद दूसरे ग्रहों की जानकारी जुटाने के लिए सुस्त रोवर भेजने के बजाय NASA ऐसे ड्रोन भेजने पर विचार कर सकती है, जो कम वक्त में ज्यादा डाटा जुटा सकें।
जानकारी
एस्ट्रोबायोलॉजी मिशन पर पर्सिवियरेंस रोवर
NASA मंगल ग्रह पर कई रोवर भेज चुकी है और अब भेजा गया पर्सिवियरेंस एक एस्ट्रोबायोलॉजी मिशन से जुड़ा है। इसका मकसद मंगल ग्रह पर मौजूद तत्वों के बारे में पता लगाना है। इनजेन्युइटी हेलीकॉप्टर को इसी रोवर का हिस्सा बनाकर भेजा गया है।