चीन कल अंतरिक्ष में भेजेगा पहला नागरिक एस्ट्रोनॉट, जानें इस मिशन से जुड़ी जानकारी
क्या है खबर?
चीन अंतरिक्ष में पहले नागरिक एस्ट्रोनॉट को भेजने के लिए तैयार है।
चीनी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि 30 मई को शेनझाउ-16 मिशन के तहत एक नागरिक को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। अभी तक केवल सेना से जुड़े लोग अंतरिक्ष में जाते रहे हैं।
एजेंसी के मुताबिक, उनका मिशन सुबह 1:31 बजे जियुक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से उड़ान भरने के लिए तैयार है।
आइये इस मिशन और चालक दल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
दल
चालक दल में शामिल हैं ये 3 लोग
इस मिशन के चालकदल के बारे में अंतरिक्ष एजेंसी के प्रवक्ता लिन शिकियांग ने कहा कि इसमें पेलोड विशेषज्ञ गुई हाईचाओ शामिल हैं।
बता दें कि हाईचाओ बीजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स में प्रोफेसर हैं और वो स्पेस साइंस एक्सपेरिमेंटल पेलोड के ऑन-ऑर्बिट ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभालेंगे।
इस मिशन के कमांडर जिंप हैपेंग हैं और तीसरे सदस्य झू यांग्झू हैं।
इससे पहले अब तक अंतरिक्ष में भेजे गए सभी चीनी एस्ट्रोनॉट्स पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हिस्सा रहे हैं।
चीन
2029 तक मानवयुक्त चंद्र मिशन शुरू करना चाहती है चीन
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश चीन ने मनुष्यों को चंद्रमा पर भेजने की उम्मीद के साथ अपने सैन्य-संचालित अंतरिक्ष प्रोग्राम में अरबों डॉलर का निवेश किया है।
इसके साथ चीन अब अमेरिका और रूस की बराबरी करने की तरफ पहुंच रहा है।
दरअसल, चीन भी चंद्रमा पर एक बेस बनाने की योजना बना रहा है और उसका लक्ष्य 2029 तक एक मानवयुक्त चंद्र मिशन शुरू करने का है।
अंतरिक्ष
लो-अर्थ ऑर्बिट में रहेगा तियांगोंग
चीन ने पिछले साल तीसरे स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन तियांगोंग का निर्माण पूरा किया है। T-आकार के तियांगोंग का अंतिम मॉड्यूल नवंबर में कोर स्ट्रक्चर के साथ सफलतापूर्वक डॉक किया गया था।
चीनी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, स्टेशन में दुनिया की पहली अंतरिक्ष-आधारित कोल्ड एटॉमिक क्लॉक सिस्टम सहित कई अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरण हैं।
तियांगोंग के लगभग 10 वर्षों तक ग्रह के ऊपर 400-450 किलोमीटर के बीच लो-अर्थ ऑर्बिट में रहने की उम्मीद है।
तियांगोंग
ISS से बाहर है चीन
चीन अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) की तर्ज पर वैश्विक सहयोग के लिए तियांगोंग का इस्तेमाल करने की योजना नहीं बना रहा है।
हालांकि, उसने यह जरूर कहा है कि वह विदेशी सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन अभी तक नहीं पता चला है कि सहयोग किस स्तर तक का होगा।
बता दें कि चीन को 2011 से ISS से बाहर रखा गया है, जब अमेरिका ने नासा को चीन के साथ जुड़ने से प्रतिबंधित कर दिया था।