चीन के ताइवान के पास जारी सैन्य अभ्यास की कर रहे हैं निगरानी- अमेरिका
अमेरिका ने कहा है कि वह ताइवान के आसपास जारी चीन के सैन्य अभ्यास की बारीकी से निगरानी कर रहा है। अमेरिका ने आगे कहा कि उसके पास क्षेत्रीय स्तर पर शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संसाधन और क्षमता मौजूद है। बता दें कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पूर्वी थिएटर कमांड ने रविवार को ताइवान की सीमा के पास 'यूनाइटेड शार्प सोर्ड' नामक तीन दिवसीय सैन्य अभ्यास की शुरुआत की है।
अमेरिका ने अपने बयान में क्या कहा?
ताइवान में मौजूद एक अमेरिकी संस्थान के प्रवक्ता ने कहा, "हम बीजिंग द्वारा उठाए गए कदमों की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।" प्रवक्ता ने आगे कहा कि चीन के साथ संचार के सभी माध्यम खुले हैं और अमेरिका ने लगातार संयम बरतने और यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं करने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि यह संस्थान ताइवान में अमेरिका के दूतावास के तौर पर फिलहाल कार्य कर रहा है।
ताइवान ने की चीन के सैन्य अभ्यास की निंदा
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि द्वीप के आसपास 8 चीनी युद्धपोतों और 42 लड़ाकू विमानों की मौजूदगी का पता चला है। ताइवान ने सैन्य अभ्यास की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि चीन के 29 लड़ाकू विमानों ने उसके दक्षिण-पश्चिमी वायु क्षेत्र में प्रवेश किया है, जिनकी संख्या इस साल अब तक एक दिन में सर्वाधिक है। अधिकारियों ने एक वीडियो फुटेज भी जारी की, जिसमें एक चीनी युद्धपोत चेतावनी देते हुए दिख रहा है।
अमेरिका के दौरे पर गई थीं ताइवान की राष्ट्रपति
ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन हाल ही में अमेरिका के दौरे से लौटी हैं। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी संसद के स्पीकर केविन मैक्कार्थी के साथ मुलाकात भी की थी। यह ताइवान के किसी राष्ट्रपति का अमेरिका जाकर स्पीकर से मिलने का पहला मौका था। इसके लिए उन्होंने अमेरिका का आभार भी जताया था। गौरतलब है कि पिछले साल अमेरिकी संसद की तत्कालीन स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान की यात्रा पर आई थीं।
दौरे के एक दिन बाद हुई सैन्य अभ्यास की शुरुआत
चीन ने ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन की अमेरिकी यात्रा के एक दिन बाद इस सैन्य अभ्यास की शुरुआत की है। चीन ने उनकी और अमेरिकी स्पीकर की मुलाकात का भी कड़ा विरोध किया है। ताइवान ने आरोप लगाया कि चीन त्साई की अमेरिकी यात्रा को सैन्य अभ्यास करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, जिसने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है"।
चीन-ताइवान के बीच क्या है विवाद?
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद चीन पर कम्युनिस्ट पार्टी का कब्जा हो गया और सत्ताधारी नेशनलिस्ट पार्टी (कुओमिंतांग) की हार हुई। इसके बाद कुओमिंताग के लोग चीन छोड़कर ताइवान चले गए। चीन ताइवान को खुद से अलग हुए एक प्रांत मानता है और उस पर अधिकार जताता है। वहीं, ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है जिसकी अपनी सरकार और संविधान है। फिलहाल दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को संप्रभु देश की मान्यता देते हैं।