चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग आज, मिशन की सफलता से बढ़ जाएगा भारत का कद
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) आज दोपहर 2:35 बजे चंद्रयान-3 को लॉन्च करेगा। इस मिशन के जरिए ISRO चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का दूसरा प्रयास करेगा। चंद्रयान-3 का 26 घंटे का काउंटडाउन (उल्टी गिनती) बीते दिन की दोपहर 1:05 बजे से जारी है। इससे पहले ISRO ने लगभग 4 वर्ष पहले 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया था, लेकिन इसकी सॉफ्ट लैंडिग में सफलता नहीं मिली थी। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
LVM-3 से लॉन्च किया जाएगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LMV-3) द्वारा लॉन्च किया जाएगा। LMV-3 को पहले GSLV (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) मार्क-3 नाम से जाना जाता था। यह लॉन्च व्हीकल 3 स्टेज रॉकेट है। दो ठोस प्रोपल्शन S200 स्ट्रैप-ऑन हैं, जो टेक ऑफ के लिए थ्रस्ट प्रदान करते हैं। इसके अलावा L110 तरल स्टेज और C25 क्रायोजेनिक स्टेज हैं। लॉन्च व्हीकल से ठोस बूस्टर अलग होने के बाद तरल स्टेज और तरल स्टेज अलग होने पर क्रायोजेनिक स्टेज काम शुरू करता है।
समस्या की स्थिति में वैकल्पिक लैंडिंग साइट पर जाने में सक्षम है चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 सफल रहता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश होगा। ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया था कि चंद्रयान-3 में किसी समस्या की स्थिति में वैकल्पिक लैंडिंग साइट पर जाने की उन्नत क्षमताएं हैं। चंद्रयान-3 की लागत की बात करें तो इस मिशन के लिए लगभग 615 करोड़ रुपये का बजट आवंटित हुआ है। ISRO के अनुसार, इसमें से अनुमानित लॉन्चिंग लागत लगभग 75 करोड़ रुपये है।
चंद्रयान-3 में हैं कई वैज्ञानिक पेलोड और 3 मॉड्यूल
पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को चांद को बेहतर ढंग से समझने में मदद करने के लिए चंद्रयान-3 अपने साथ कई वैज्ञानिक पेलोड ले जा रहा है। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में लैंडर, प्रोपल्शन और रोवर समेत 3 मॉड्यूल है। रोवर मॉड्यूल लैंडर के भीतर ही रखा रहेगा। यह लैंडर के चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग के बाद उसके भीतर से निकलेगा और चांद की सतह पर घूमेगा और विभिन्न जानकारियां जुटाएगा।
सफलता सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं ये बदलाव
सोमनाथ ने कुछ समय पहले कहा था कि लॉन्च के दौरान किसी भी मुश्किल से बचने के लिए चंद्रयान-3 के हार्डवेयर, डिजाइन, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और सेंसर को सुधारा गया है। चंद्रयान के लैंडिंग लेग भी मजबूत किए गए हैं। उन्होंने बताया था कि इसके एल्गोरिदम को भी बदला गया है और निर्धारित लैंडिंग स्थान पर कोई दिक्कत होने पर चंद्रयान को दूसरे एरिया में उतरने में मदद करने के लिए नया सॉफ्टवेयर जोड़ा गया है।
दक्षिणी ध्रुव पर होगी चंद्रयान-3 की लैंडिंग
ISRO के वैज्ञानिकों के अनुसार, लैंडर मॉड्यूल चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 23 या 24 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है। लैंडिंग के लिए चांद के दक्षिणी ध्रुव को चुना गया है। दरअसल, चांद का दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव की तुलना में बड़ा है। दक्षिणी ध्रुव का काफी हिस्सा हजारों वर्षों से सूर्य की रोशनी न पहुंचने से स्थायी रूप से छाया वाला क्षेत्र भी है, जिससे यहां बर्फ जमी है और पानी मिलने की संभावना है।