कौन हैं ISRO के नए प्रमुख बनने जा रहे हैं एस सोमनाथ?
केंद्र सरकार ने रॉकेट वैज्ञानिक एस सोमनाथ को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का नया प्रमुख बनाया है। इसके अलावा उन्हें अंतरिक्ष विभाग का सचिव भी बनाया गया है। दोनों पदों पर उनका कार्यकाल तीन साल का होगा। सोमनाथ फिलहाल विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक हैं और ISRO में वो के सिवन की जगह लेंगे, जो शुक्रवार को रिटायर हो रहे हैं। सोमनाथ ने बताया कि वो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के विस्तार पर काम करेंगे।
देश में स्पेस इंटरप्राइज बनाना प्राथमिकता- सोमनाथ
मीडिया से बात करते हुए सोमनाथ ने कहा कि उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी देश में स्पेस एंटरप्राइज बनाना है, जहां सभी हितधारक एक जगह इकट्ठे होकर अंतरिक्ष कार्यक्रमों को विस्तार दे सकें। 58 वर्षीय सोमनाथ ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री की हुई है। केरल के रहने वाले सोमनाथ 1985 में VSSC से जुड़े थे। 1995 से 2002 के बीच उन्होंने पोलर स्पेस लॉन्चिंग व्हीकल (PSLV) इंटीग्रेशन पर काम किया था और वो इस प्रोजेक्ट के मैनेजर थे।
अंतरिक्ष कार्यक्रमों में काम करने का लंबा अनुभव
सोमनाथ के करियर की बात करें तो उनकी देखरेख में PSLV लिक्विड स्टेज के 11 मिशन सफलतापूर्वक संपन्न हुए हैं। उन्होंने उस टीम का भी नेतृत्व किया था, जिसने चंद्रयान-2 मिशन में भेजे विक्रम लैंडर का थ्रोटेबल इंजन बनाया था। इसके अलावा उन्होंने 2003 में GSLV मार्क III प्रोजेक्ट में बतौर डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी काम किया था। एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के फेलो सोमनाथ इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉट्स के कॉरेस्पोंडिंग मेंबर भी हैं।
सिवन और सोमनाथ में कई समानताएं
के सिवन और सोमनाथ के बीच कई समानताएं हैं। दोनों ने बेंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री की है। दोनों ही ISRO के सबसे बड़े पद पर पहुंचने से पहले VSSC में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) के निदेशक रहे हैं। इसके अलावा दोनों ने GSLV के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया है। सिवन के ISRO प्रमुख बनने के बाद सोमनाथ उनकी जगह VSSC निदेशक बने थे।
ISRO प्रमुख बनने वाले चौथे मलयाली हैं सोमनाथ
एस सोमनाथ केरल में पैदा हुए ऐसे चौथे वैज्ञानिक हैं, जो ISRO के प्रमुख पद तक पहुंचे हैं। उनसे पहले के कस्तुरीरंगन, जी माधवन नायर और के राधाकृष्णन ISRO के प्रमुख बने थे। वरिष्ठता के हिसाब से सोमनाथ को ISRO प्रमुख बनना 2019 में ही तय हो गया था। अब सिवन के रिटायर होने के बाद वो इस पद पर बैठेंगे। उन्हें लॉन्च व्हीकल सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन और डायनामिक्स समेत कई क्षेत्रों का विशेषज्ञ माना जाता है।
गगनयान मिशन पर नजर
एस सोमनाथ को ऐसे समय पर ISRO की कमान सौंपी गई है, जब गगनयान मिशन के लिए क्रायोजेनिक इंजन ने 720-सेकंड क्वालिफाइंग टेस्ट सफलतापूर्वक पास कर लिया है। गगनयान भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा, जो अगले साल लॉन्च हो सकता है। कोरोना महामारी के कारण इसकी लॉन्चिंग में देरी हो रही है। इस मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होने का अनुमान है और लंबे समय से इस मिशन की तैयारी चल रही है।