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    होम / खबरें / देश की खबरें / उत्तराखंड के केदारनाथ धाम पर फिर मंडरा रहा आपदा का खतरा, ISRO ने जारी की रिपोर्ट   
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    उत्तराखंड के केदारनाथ धाम पर फिर मंडरा रहा आपदा का खतरा, ISRO ने जारी की रिपोर्ट   
    ISRO ने देशभर 147 संवेदनशील जिलों की सूची जारी की है

    उत्तराखंड के केदारनाथ धाम पर फिर मंडरा रहा आपदा का खतरा, ISRO ने जारी की रिपोर्ट   

    लेखन नवीन
    Mar 10, 2023
    06:57 pm

    क्या है खबर?

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) ने उत्तराखंड के दो पहाड़ी जिलों को भूस्खलन के लिहाज से देश में सबसे संवेदनशील माना है।

    ISRO के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने देशभर के कुल 147 जिलों की सूची जारी है, जिनके ऊपर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है।

    इस सूची में उत्तराखंड के दो जिले रुद्रप्रयाग और टिहरी शीर्ष पर हैं। साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा ने रुद्रप्रयाग जिले में ही सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी।

    उत्तराखंड

    NRSC की रिपोर्ट में उत्तराखंड के सभी जिले शामिल

    NRSC ने उत्तराखंड के सभी 13 जिलों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। रुद्रप्रयाग और टिहरी क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं, जबकि हरिद्वार और उधम सिंह नगर को इस सूची में क्रमश: 146वें और 147वें स्थान पर रखा गया है।

    इस सूची में चमोली को 19वें, उत्तरकाशी को 21वें, पौड़ी को 23वें, देहरादून को 29वें, बागेश्वर को 50वें, चंपावत को 65वें, नैनीताल को 68वें, अल्मोड़ा को 81वें और पिथौरागढ़ को 86वें स्थान पर रखा गया है।

    तबाही

    2013 में रुद्रप्रयाग में आई थी भीषण आपदा   

    उत्तराखंड के चारों धामों में से सबसे सुप्रसिद्ध केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में ही स्थित है। साल 2013 में यहां भीषण आपदा आई थी, जिसमें हजारों की संख्या में लोग मारे गए थे।

    रुद्रप्रयाग का सिरोबगड़ और नारकोटा क्षेत्र भूस्खलन से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां पर पूरे साल भूस्खलन की सूचना मिलती रहती है।

    उत्तराखंड में बारिश के मौसम में भूस्खलन की घटनाएं काफी बढ़ जाती हैं और प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टि से यह पहाड़ी प्रदेश अतिसंवदेनशील है।

    चमोली

    चमोली के जोशीमठ में धंस रही है जमीन 

    बीते दिनों चमोली में लगभग 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ में भूधंसाव हुआ, जिसके कारण यहां करीब 600 घरों में भी दरारें आ गई हैं।

    उत्तराखंड सरकार ने यहां प्रभावित 600 परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट करने के आदेश दिए हैं और प्रभावित को यहां से विस्थापित किया जा रहा है।

    भू-वैज्ञानिकों ने इसे प्राकृतिक से अधिक मानवजनित आपदा बताया है। उन्होंने कहा कि सालों से जोशीमठ में बेतरतीब निर्माण कार्यों के चलते यहां जमीन धंस रही है

    रिपोर्ट

    पहली बार हुआ इतना बड़े पैमाने में अध्ययन

    NRSC का कहना है कि यह पहला मौका है जब वैज्ञानिकों ने 17 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 147 जिलों में साल 1998 से 2022 के बीच रिकॉर्ड किए गए 80,000 भूस्खलन के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है।

    साल 2000 और 2017 के बीच मिजोरम में अधिकतम 12,385, उत्तराखंड में 11,219, जम्मू-कश्मीर में 7,280 और हिमाचल प्रदेश में 1,561 भूस्खलन दर्ज किए गए, जबकि दक्षिणी राज्यों में सबसे अधिक 6,039 भूस्खलन केरल में दर्ज हुए हैं।

    अध्ययन

    NRSC ने उपग्रह के डाटा से किया अध्ययन 

    वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए उपग्रह के डाटा का अध्ययन किया गया है। इससे पहाड़ी ढलान में विस्थापन का भी पता लगाया जा सकता है।

    इसमें 2011 में सिक्किम भूंकप और 2013 की केदारनाथ आपदा जैसी सभी प्राकृतिक घटनाओं के बाद हुए बड़े बदलावों का भी अध्ययन किया गया है।

    इस रिपोर्ट में उत्तराखंड के अलावा 10 सबसे अधिक भूस्खलन वाले जिलों में चार केरल, दो जम्मू-कश्मीर और दो सिक्किम से हैं।

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