भारत का सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी स्कैम; हजारों निवेशकों ने गंवाए कुल एक लाख करोड़ रुपये
क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन बेशक पिछले दो साल में ज्यादा चर्चा में आए हों, लेकिन भारत में इनसे जुड़े स्कैम की शुरुआत सात साल पहले हो गई थी। सबसे बड़ा क्रिप्टो स्कैम गेनबिटकॉइन (GainBitcoin) साल 2015 में पोंजी स्कीम के तौर पर शुरू हुआ, जिसने निवेशकों से 10 गुना मंथली रिटर्न का वादा किया था। स्कैम के मास्टरमाइंड अमित भारद्वाज ने यह स्कैम बिटकॉइन-आधारित निवेश स्कीम के तौर पर शुरू किया था, जिसमें निवेशकों के एक लाख करोड़ रुपये डूब गए।
डूब गए हजारों निवेशकों के पैसे
समाचार एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब एक लाख निवेशक इस स्कैम का हिस्सा बने। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने इस स्कैम में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कुल रकम गंवा दी। इस स्कैम से जुड़ी 40 से ज्यादा FIRs दर्ज की गई हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 13 FIRs महाराष्ट्र में दर्ज की गई हैं। स्कैम में हुए कुल नुकसान की सटीक जानकारी अब तक सामने नहीं आ सकी है।
न्यूजबाइट्स प्लस
पिछले साल नवंबर में बिटकॉइन अपनी अब तक की सबसे ज्यादा वैल्यू 68,000 डॉलर (करीब 53 लाख रुपये) पर पहुंचा। वहीं, अब यह सबसे कम वैल्यू 21,000 डॉलर (करीब 16.4 लाख रुपये) पर पहुंच चुका है।
मार्च, 2018 में हुई थी अमित की गिरफ्तारी
गेनबिटकॉइन स्कैम मामले में सबसे बड़े आरोपी अमित भारद्वाज को मार्च, 2018 में गिरफ्तार किया गया था। इस साल की शुरुआत में दिल का दौरा पड़ने से अमित की मौत हो गई। हालांकि, स्कैम से जुड़े जो आंकड़े अब तक सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो भारद्वाज ने 3,85,000 से 6,00,000 के बीच बिटकॉइन्स जमा किए थे, जिनकी मौजूदा मार्केट वैल्यू के हिसाब से कीमत एक लाख करोड़ (एक ट्रिलियन) रुपये से ज्यादा होगी।
ऐसे दिया सबसे बड़े क्रिप्टो स्कैम को अंजाम
पिरामिड पोंजी स्कीम्स की तरह गेनबिटकॉइन स्कैम ने नए निवेशकों को लुभावने रिटर्न का भरोसा देते हुए लुभाया। अमित ने अपने साथ सात लोगों को 'सेवन स्टार्स' नाम से जोड़ा और उनसे ज्यादा से ज्यादा निवेशक लाने को कहे। इस स्कीम ने पूरे निवेश पर 18 महीने के लिए 10 प्रतिशत का मंथली रिटर्न देने का वादा किया। यानी कि 1,000 रुपये के निवेश के बदले 18 महीने तक 100-100 रुपये मिलने की बात कही गई।
इस तरह तैयार हुआ अरबों रुपये का ढांचा
बड़े रिटर्न के लालच में हजारों निवेशकों ने पैसे लगाए और शुरू में स्कीम का हिस्सा बनने वालों को अच्छा रिटर्न भी मिला। पुराने निवेशकों को नए निवेशकों से मिलने वाला पैसा ही रिटर्न के तौर पर मिलता रहा। यह प्रक्रिया तब तक चलती रही, जब तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश में क्रिप्टो एक्सचेंजेस पर रोक नहीं लगा दी। नए निवेशक कम होते ही बाकियों को पैसे मिलना बंद हो गए और स्कीम धराशायी हो गई।
प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है आगे की जांच
मार्च, 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मामले से जुड़े एक आरोपी को स्कैम से जुड़े यूजरनेम, पासवर्ड्स और उसके क्रिप्टो वॉलेट का ऐक्सेस देने के निर्देश दिए जाएं। ED का कहना है कि मामला पोंजी स्कीम से जुड़ा होने के चलते, 'क्रिप्टो करेंसी की वैधता' आड़े नहीं आनी चाहिए। दावा है कि क्रिप्टो वॉलेट्स के यूजरनेम और पासवर्ड से जुड़ी जानकारी अमित भारद्वाज के भाई के पास है।