तीन साल और RBI के गवर्नर रहेंगे शक्तिकांत दास, सरकार ने बढ़ाया कार्यकाल
केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ा दिया है। उनका मौजूद कार्यकाल 10 दिसंबर को पूरा हो रहा था। कार्यकाल में वृद्धि के बाद अब वह दिसंबर, 2024 तक इस पद पर बने रह सकेंगे। केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनके कार्यकाल के विस्तार पर मुहर लगा दी है और आज सुबह इस संबंध में आधिकारिक बयान जारी किया गया।
कौन हैं शक्तिकांत दास?
शक्तिकांत दास मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं और उनका जन्म 26 फरवरी, 1957 को भुवनेश्वर में हुआ था। दास दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़े हुए हैं और उन्होंने इतिहास में M.A. किया है। 1980 बैच के तमिलनाडु कैडर के भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (IAS) दास के पास फाइनेंस, टैक्स और इंडस्ट्री समेत कई क्षेत्रों में व्यापक अनुभव है और वे राज्य और केंद्र, दोनों तरह की सरकारों के साथ काम कर चुके हैं।
पहली बार UPA सरकार में वित्त संयुक्त सचिव बने थे शक्तिकांत
शक्तिकांत दास किसी न किसी तरह से केंद्र सरकार के आठ बजटों से सीधे तौर पर जुड़े रहे हैं। उन्हें सबसे पहले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार में 2008 में वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त किया गया था। तब पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे। दिसंबर, 2013 में उनका यहां से रसायन और उवर्रक मंत्रालय में तबादला हो गया, लेकिन 2014 में भाजपा की सरकार आने पर उन्हें फिर से वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव बना दिया गया।
कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं दास
शक्तिकांत दास विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB), न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) में भारत के वैकल्पिक गवर्नर के रूप में भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), G20, BRICS और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। दास को एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है जो जटिल मुद्दों पर आम सहमति बनाने पर विश्वास रखते हैं।
नोटबंदी के फैसले में दास ने निभाई थी प्रमुख भूमिका
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले में दास की प्रमुख भूमिका रही थी। कहा जाता है कि नोटबंदी के फैसले का ड्राफ्ट बनाने वालों में वह भी शामिल थे। फैसले की आलोचना के बाद उन्होंने मामले में सरकार का बचाव भी किया था। उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद उन्हें 11 दिसंबर, 2018 को तीन साल के लिए RBI का गवर्नर नियुक्त किया गया था। अपने कार्यकाल में उन्होंने कोविड महामारी के दौरान कई अहम फैसले लिए।