टेस्ला के निवेश के बाद पहली बार 47,000 डॉलर के पार पहुंची बिटकॉइन की कीमत
दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने 1.5 अरब डॉलर (करीब 109.3 अरब रुपये) का निवेश किया है। पहली बार बिटकॉइन की वैल्यू करीब 47,493 डॉलर (करीब 34.6 लाख रुपये) पर पहुंच गई है और इसमें 6.3 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। टेस्ला की ओर से किए गए निवेश का फायदा बिटकॉइन इस्तेमाल करने वालों को मिलेगा और कंपनी ने इससे जुड़े कई प्लान्स की जानकारी भी दी है।
बिटकॉइन से खरीद पाएंगे टेस्ला की कारें
टेस्ला ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के अलावा बताया है कि इसकी इलेक्ट्रिक कारों को खरीदने के लिए ग्राहक बिटकॉइन्स जैसे डिजिटल टोकन्स की मदद से भुगतान कर सकेंगे। यह विवादित क्रिप्टोकरेंसी को मेनस्ट्रीम बनाने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और टेस्ला फाउंडर एलन मस्क पिछले कुछ महीनों से बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी के बारे में अपने सोशल मीडिया अकाउंट से लिख रहे हैं, जिसके चलते इसके इस्तेमाल से जुड़ी चर्चाएं तेज हुई हैं।
बड़े बाजार में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल
टेल्सा की ओर से की गई शुरुआत ब्लॉकचेन-ड्रिवेन डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल को मेनस्ट्रीम बना सकती है। आने वाले वक्त में यूजर्स बड़े बाजार में भी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर प्रोडक्ट्स खरीद पाएंगे। खास बात यह है कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू बदलती रहती है। यानी कि बेहद कम वक्त में इनकी वैल्यू तेजी से बढ़ सकती है, जिसका फायदा टेस्ला और उसके ग्राहकों दोनों को मिलेगा।
क्या कैश से बेहतर है क्रिप्टोकरेंसी?
ढेर सारा कैश प्रिंट करने और मार्केट में उतारने से महंगाई बढ़ती है और कैश की परचेजिंग पावर वक्त बीतने पर कम होती जाती है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी के साथ ऐसा नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी को बेहतर वैल्यू के लिए होल्ड किया जा सकता है, या फिर इसकी वैल्यू कम होने की स्थिति में रिलीज किया जा सकता है। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी पर नियंत्रण आसान नहीं है क्योंकि कोई संस्था या नियामक संगठन इसके मार्केट में फ्लो को मॉनीटर नहीं करता।
क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
बिटकॉइन, रिपल और टेथर जैसी क्रिप्टोकरेंसी दरअसल डिजिटल असेट्स होते हैं, जिनकी तय वैल्यू के आधार पर उन्हें एक्सचेंज किया जा सकता है। इन्हें ऐसी वर्चुअल करेंसी की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, जो सिक्योरिटी के लिए क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करती है।
भारत सरकार लगाना चाहती है बैन
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के नियंत्रण से जुड़ी दिक्कतों के चलते भारत सरकार बिटकॉइन और रिपल जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने वाला कानून ला सकती है। सरकार प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने के बाद रुपये के डिजिटल वर्जन को क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर उतार सकती है, जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नियंत्रित कर सके। बैन से जुड़ा बिल बीते दिनों लोकसभा में पेश किया गया और इसमें भारत की आधिकारिक डिजिटल करेंसी का फ्रेमवर्क तैयार करनी की बात कही गई है।