RBI ने बरकरार रखी 4% रेपो रेट, जानिये इसमें बदलाव से क्या असर होता है?
क्या है खबर?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा है।
इसी तरह रिवर्स रेपो रेट को भी बिना बदलाव के 3.5 प्रतिशत पर रखा गया है।
मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति में कमी आई है और समय की जरूरत अब ग्रोथ को सहारा देने की है।
आइये, समझते हैं कि इन दरों में बदलाव का क्या मतलब होता है।
जानकारी
क्या होती है रेपो रेट?
सबसे पहले रेपो रेट को समझने की जरूरत है। जिस प्रकार लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं उसी प्रकार बैंकों को केंद्रीय बैंक यानी RBI से लोन लेना पड़ता है।
ये बैंक RBI से लोन लेने के बाद जिस दर पर ब्याज चुकाते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है।
रेपो रेट को देश में महंगाई नियंत्रित करने और विकास को गति देने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
असर
रेपो रेट कम होने से क्या होता है?
इसको इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि अगर रेपो रेट कम होती है तो बैंकों को RBI से कम ब्याज पर लोन मिलेगा।
बैंक इसका फायदा अपने ग्राहकों को भी देते हैं। इसका मतलब हुआ कि रेपो रेट कम होने से आम लोगों को कम ब्याज दर घर और गाड़ी समेत दूसरी जरूरतों के लिए बैंक से लोन मिल सकेगा।
रेपो रेट कम होने से विकास की गति बढ़ती है, लेकिन महंगाई बढ़ने की भी संभावना होती है।
असर
रेपो रेट कम होने से बढ़ता है निवेश
रेपो रेट कम होने से लोगों और कंपनियों को कम ब्याज दरों पर बैंकों से लोन मिल जाता है।
ऐसी स्थिति में उनके पास पर्याप्त पैसा होगा और वो इसे जमीन खरीदने, वाहन खरीदने और बाजार में निवेश करेंगे। अर्थव्यवस्था में निवेश होने से विकास होगा, लेकिन ऐसी स्थिति में महंगाई बढ़ने का खतरा भी रहता है।
लोगों के पास ज्यादा पैसा होने से बाजार में मांग अधिक होगी, जिसका सीधा असर कीमत पर पड़ता है। इससे महंगाई बढ़ती है।
असर
रेपो रेट बढ़ाने से क्या होता है?
इसी तरह अगर रेपो रेट बढ़ाई जाती है तो बैंकों को लोन के लिए ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा और इसका असर आम लोगों पर भी पड़ेगा। कई बार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो बढ़ाई जाती है।
उदाहरण के लिए अगर रेपो रेट को मौजूदा 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.25 प्रतिशत किया जाता तो बैंक RBI से कम लोन लेते और लोग भी लोन महंगा होने के कारण बाजार में पैसा लगाने से बचते हैं।
जानकारी
रिवर्स रेपो रेट क्या होता है और यह कैसे असर डालती है?
वहीं रिवर्स रेपो रेट वो होती है, जिस ब्याज दर पर RBI देश के बैंकों से लोन लेता है।
बाजार में नकदी की मात्रा बढ़ने के बाद RBI महंगाई बढ़ने से रोकने के लिए रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है।
इससे बैंक अपना ज्यादा पैसा RBI को देंगे, जिसके बदले केंद्रीय बैंक उन्हें ज्यादा ब्याज देंगे।
बाजार में नकदी बढ़ने के कारण तेज होने वाली मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए RBI रिवर्स रेपो रेट में इजाफा करता है।