सस्ते लोन के झांसे में ना आएं, RBI रिपोर्ट में सामने आईं 600 फर्जी लोन ऐप्स
स्मार्टफोन यूजर्स को फंसाने और उनके अकाउंट में सेंध लगाने के लिए स्कैमर्स तरह-तरह के तरीके आजमाते हैं और फेक ऐप्स भी उनमें शामिल हैं। अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के एक वर्किंग ग्रुप ने डिजिटल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल ऐप्स की मदद से लोन देने का दावा कर रहीं फर्जी ऐप्स का पता लगाया है। इस ग्रुप ने भारत में यूजर्स को नुकसान पहुंचा रहीं 600 ऐप्स की जानकारी अपनी रिपोर्ट में दी है।
RBI वर्किंग ग्रुप ने की ऐप्स की जांच
डिजिटल लोन देने की प्रक्रिया में सुधार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को इससे जुड़े सुझाव देने के लिए वर्किंग ग्रुप ने ऐसी मौजूदा ऐप्स की जांच शुरू की। ग्रुप ने पाया कि लोन, इंस्टैंट लोन और क्विक लोन जैसे कीवर्ड्स सर्च करते ही 1,100 से ज्यादा यूनीक लोन ऐप्स दिखने लगती हैं। ये ऐप्स जनवरी, 2021 से फरवरी, 2021 के बीच करीब 81 एंड्रॉयड ऐप स्टोर्स पर उपलब्ध थीं और इनमें से सैकड़ों ऐप्स फर्जी और अवैध हैं।
यूजर्स को नुकसान पहुंचा रही थीं ये ऐप्स
रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसी 600 ऐप्स एंड्रॉयड यूजर्स के लिए अलग-अलग ऐप स्टोर्स पर उपलब्ध थीं। किसी रेग्युलेटरी बॉडी के अंदर काम ना करने के चलते ये ऐप्स मनमानी दर पर ब्याज लेती थीं। इसके अलावा ये ऐप्स यूजर्स का डाटा का ऐक्सेस करती थीं और वक्त पर भुगतान ना किए जाने पर अलग-अलग ढंग से लोन लेने वाले को परेशान करती थीं। इस बारे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी लगातार शिकायतें मिल रही थीं।
लोन ऐप्स से जुड़ी हजारों शिकायतें मिलीं
RBI पैनल ने बताया कि रिजर्व बैंक और स्टेट लेवल कॉर्डिनेशन कमेटी (SLCC) मैकेनिज्म की ओर से तैयार किए गए पोर्टल 'सचेत' पर उन्हें यूजर्स से लोन देने वाली ऐप्स की ढेरों शिकायतें बीते एक साल में मिलीं। जनवरी, 2021 से मार्च, 2021 के बीच इस तरह की करीब 2,562 शिकायतें इस पोर्टल पर दर्ज की गईं। ये शिकायतें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र और फिर कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और गुजरात से की गईं।
लगातार बढ़ रहे फेक ऐप्स के मामले
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर शिकायतों में लोन देने वाली उन ऐप्स का जिक्र है, जिन्हें रिजर्व बैंक रेग्युलेट नहीं करता। इन ऐप्स को NBFCs (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी), यूनीकॉर्पोरेट बॉडीज और इंजिविजुअल्स चला रहे हैं, जिनकी RBI को कोई जवाबदेही नहीं होती। इस तरह की ऐप्स से जुड़ी शिकायतें लगातार बढ़ने के चलते RBI इनसे जुड़े कड़े नियम बनाने जा रही है। गूगल ऐसी ऐप्स को आधिकारिक प्ले स्टोर से लगातार बैन करती रहती है।
इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
अपने एंड्रॉयड डिवाइस को इस तरह की फेक ऐप्स से बचाने के लिए जरूरी है कि आप प्ले स्टोर से ट्रस्टेड ऐप्स ही इंस्टॉल करें। किसी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके रिव्यूज और रेटिंग्स देखी जा सकती हैं। उन ऐप्स पर भरोसा करें, जिन्हें लाखों बार डाउनलोड किया गया हो और पॉजिटिव रिव्यू मिले हों। फटाफट लोन के चक्कर में ना पड़ें और बेहतर है कि सही चैनल की मदद से ही लोन लिया जाए।