आईफोन 14 की तरह एंड्रॉयड 14 पर भी मिलेगी सैटेलाइट कॉलिंग की सुविधा
स्मार्टफोन पर जल्द सैटेलाइट कॉलिंग की सुविधा देखने को मिलेगी, जिसके लिए हाल ही में एलन मस्क की कंपनी स्पेस-X और टी-मोबाइल ने अपनी साझेदारी की घोषणा की थी। अब, गूगल कंपनी ने भी ऐलान किया है कि वह एंड्रॉयड 14 पर सैटेलाइट कनेक्टिविटी जोड़ने पर काम कर रहा है। इसकी मदद से स्मार्टफोन्स बिना सेल्युलर नेटवर्क के कॉल और मैसेज भेज सकेंगे। बता दें, आगामी आईफोन 14 सीरीज में सैटेलाइट कॉलिंग की सुविधा देखने को मिल सकती है।
गूगल ने की आगामी सैटेलाइट कॉलिंग फीचर की पुष्टि
गूगल प्लैटफॉर्म और ईकोसिस्टम के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट हिरोशिमा लॉकहाइमर ने ट्वीट के जरिए सैटेलाइट कॉलिंग फीचर की पुष्टि की है। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि उन स्मार्टफोन यूजर्स के अनुभव के लिए सोचना रोमांचक है, जो सैटेलाइट से कनेक्ट हो सकते हैं। आगे इन्होंने कहा, "जब हमने G1 को 2008 में लॉन्च किया था तो यह 3G+WiFi पर काम करने के लिए बड़ा कठिन था। अब हम सैटेलाइट के लिए इसे डिजाइन कर रहे हैं।"
गूगल और ईकोसिस्टम के सीनियर VC हिरोशिमा लॉकहाइमर का ट्वीट
एंड्रॉयड के अगले संस्करण में मिलेगी सैटेलाइट कनेक्टिविटी
ट्वीट में लॉकहाइमर आगे कहते हैं, "एंड्रॉयड के अगले संस्करण में सैटेलाइट कनेक्टिविटी चालू करने के लिए अपने पार्टनर का समर्थन के लिए उत्साहित हैं।" 9To5Google की रिपोर्ट के मुताबिक, एंड्रॉयड के जिस अगले संस्करण की बात हो रही है वह एंड्रॉयड 14 ही है।
सैटेलाइट कनेक्टिविटी का क्या उपयोग है?
सैटेलाइट कनेक्टिविटी 4G और 5G जैसी सेवाओं के विपरीत होगी, इनमें कनेक्टिविटी के लिए टावर की जगह सैटेलाइट का इस्तेमाल होगा। सैटेलाइट कनेक्टिविटी उन क्षेत्रों को लाभान्वित करेगी, जहां कोई पारंपरिक कनेक्टिविटी विकल्प के तौर पर नहीं होगी। यह आपात स्थिति में मददगार साबित होगी, क्योंकि लोग दुनिया में कहीं से भी आपातकालीन सेवाओं या अपने प्रियजनों से जुड़ सकते हैं। स्मार्टफोन्स में यह सुविधा मिलना संचार क्रांति के विकास में अहम कदम माना जा रहा है।
क्या सैटेलाइट कनेक्टिविटी 5G से बेहतर होगी?
सैटेलाइट कनेक्टिविटी 5G कनेक्टिविटी की जगह नहीं ले सकती है। यह सेलुलर डेड जोन या ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोगी है, जहां पारंपरिक कनेक्टिविटी की कमी है। स्पेस एक्सप्लोर रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट कनेक्शन में बैंडविड्थ प्रति सेल्युलर जोन में 2 से 4 मेगाबिट तक सीमित होने की संभावना है। वहीं, 5G की स्पीड 10 गीगाबाइट प्रति सेकेंड होगी। बता दें कि जितनी ज्यादा बैंडविथ होगी उतनी तेजी से अधिक डाटा ट्रांसफर किया जा सकेगा।
सैटेलाइट कनेक्टिविटी फीचर की होंगी कुछ सीमाएं
सैटेलाइट कम्युनिकेशन की प्रक्रिया धीमी होने के चलते फोन के साथ भेजे गए सिग्नल मिलने में एक-दो मिनट तक का वक्त लग सकता है। इसके अलावा सिग्नल भेजने वाले यूजर का खुले आसमान के नीचे रहना जरूरी होगा, जिससे LEO सैटेलाइट कम्युनिकेशन फीचर अच्छे से काम कर सके। सैटेलाइट कॉलिंग का फीचर सभी देशों में नहीं मिलेगा और इसके काम करने का तरीका भी अलग-अलग देशों में अलग हो सकता है।
रिलायंस जियो भारत में देगी सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा
भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं देने का ऐलान किया है। कंपनी ने इसके लिए लग्जमबर्ग की टेलिकम्युनिकेशन कंपनी SES के साथ साझेदारी कर रही है। नए जॉइंट वेंचर को जियो स्पेस टेक्नोलॉजी लिमिटेड नाम दिया गया है।