
राजनाथ सिंह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए 'इंडिया' नाम को क्यों बताया खतरनाक?
क्या है खबर?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी पार्टियों के गठबंधन INDIA पर निशाना साधते हुए 'इंडिया' नाम को खतरनाक बताया है।
उनका संदर्भ 2004 के लोकसभा चुनाव की तरफ था, जिसके प्रचार की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 'इंडिया शाइनिंग' अभियान के साथ की थी।
हालांकि, भाजपा यह चुनाव हार गई और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) का नेतृत्व करते हुए 10 वर्षों तक सत्ता में रही।
बयान
राजनाथ ने क्या कहा?
राजनाथ ने सोमवार को जैसलमेर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, "विपक्ष के इस गठबंधन की स्थिति क्या है? नाम बड़ा और दर्शन छोटा। उन्होंने नाम INDIA रख लिया है, लेकिन मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि यह नाम बहुत खतरनाक है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमने भी 'इंडिया शाइनिंग' का नारा दिया था और चुनाव हार गए। अब आपने (विपक्ष) अपना नाम इंडिया कर लिया है तो आपकी हार निश्चित है।"
अभियान
क्या था भाजपा का 'इंडिया शाइनिंग' अभियान?
भाजपा ने अग्रणी विज्ञापन कंपनी ग्रे वर्ल्डवाइड द्वारा किर्यान्वित 'इंडिया शाइनिंग' अभियान पर 150 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पार्टी की अंतरराष्ट्रीय छवि को सुधारना था।
विशेषज्ञों के मुताबिक, भाजपा दर्शाना चाहती थी कि भारत आगे बढ़ रहा है और उसे उम्मीद थी कि इस अभियान से अधिक अंतरराष्ट्रीय निवेश प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
बता दें कि उस समय यह अभियान भारत का सबसे बड़ा चुनावी अभियान था।
अभियान
कांग्रेस ने कैसे दी थी भाजपा के अभियान को टक्कर?
कांग्रेस ने भी 'इंडिया शाइनिंग' अभियान का मुकाबला करने के लिए पेशेवर मदद भी ली थी।
कांग्रेस ने भाजपा के दावों पर एक पंक्ति 'आम आदमी को क्या मिला?' का सवाल करते हुए निशाना साधा था।
कांग्रेस के अधिकांश विज्ञापनों में देश की स्थिति पर जोर देने के लिए कम रंगों का प्रयोग किया गया था और इनमें लिखा जाता था, 'कांग्रेस का हाथ, गरीबों के साथ' यानी कांग्रेस गरीबों के साथ है।
ये अभियान सफल रहा।
नतीजे
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2004 की शुरुआत में संसद को भंग करने का निर्णय लिया था, जिसके कारण लोकसभा चुनाव निर्धारित समय से लगभग 6 महीने पहले अप्रैल-मई में हुए थे।
हालांकि, भाजपा को इन चुनावों में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा केवल 138 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल हो पाई थी और कांग्रेस और उसके सहयोगियों को 219 सीटें मिली थीं। कांग्रेस 145 सीटों पर विजयी हुई थी।