जम्मू-कश्मीर में इस साल के अंत तक हो सकते हैं चुनाव, राजनाथ सिंह ने दिए संकेत
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अहम बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस साल के अंत तक चुनावी प्रक्रिया शुरू हो सकती है। हाल ही में संपन्न हुए परिसीमन की प्रक्रिया की बात करते हुए सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सरंचना बदलने जा रही है और अब कश्मीर में 47 और जम्मू में 43 सीटें होंगी। आइये पूरी खबर जानते हैं।
चुनावी प्रक्रिया शुरू होने की प्रबल संभावनाएं- सिंह
जम्मू-कश्मीर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, "मुझे लगता है कि इस साल के अंत तक चुनावी प्रक्रिया भी प्रारंभ हो। इसकी प्रबल संभावना है।" सिंह से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि परिसीमन की कार्रवाई पूरी होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव करवाए जाएंगे। अब चूंकि परिसीमन आयोग अपनी रिपोर्ट जारी कर चुका है तो इस दिशा में कदम उठाने जाने की संभावना बढ़ गई है।
राज्य का दर्जा बहाल करने की भी बात कह चुके हैं शाह
इस साल जनवरी में कश्मीर दौरे पर गए अमित शाह ने कहा था 'स्थिति सामान्य' होने के बाद जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होते ही विधानसभा चुनाव होंगे। तब शाह ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियां भले ही कुछ कहें, लेकिन जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा। उन्होंने कहा था, "मैंने संसद में आश्वासन दिया है कि जैसे ही स्थिति सामान्य हो जाएगी, जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा।"
पिछले महीने परिसीमन आयोग ने जारी की थी रिपोर्ट
पिछले महीने परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की सीटें 83 से बढ़कर 90 हो जाएंगी। सात नई सीटों में से छह जम्मू में और एक कश्मीर में होगी। इसके साथ ही जम्मू में कुल सीटों की संख्या 37 से बढ़कर 43 और कश्मीर में 46 से बढ़कर 47 हो जाएगी। हालांकि, लोकसभा सीटों की संख्या नहीं बदली है और जम्मू-कश्मीर में पहले की तरह पांच लोकसभा सीटें ही रहेंगी।
कई पार्टियां कर रहीं विरोध
जम्मू-कश्मीर के कुछ राजनीतिक दल परिसीमन का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने इसे संविधान का उल्लंघन बताते हुए कहा कि इससे यहां के लोगों को शक्तियों को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। परिसीमन आयोग को अपनी सिफारिशें सौंपने के लिए एक साल का वक्त दिया गया था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाया गया। शुरुआती दौर में नेशनल कॉन्फ्रेंस बैठकों में शामिल नहीं हुई थी। पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इस रिपोर्ट का खारिज किया है।
2019 में समाप्त किया गया अनुच्छेद 370
केंद्र सरकार ने अगस्त, 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अलग और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया है। चुनाव से पूर्व यह भाजपा के बड़े वादों में से एक था और मई, 2019 में दूसरी बार सत्ता संभालने के कुछ ही महीने बाद मोदी सरकार ने यह वादा पूरा किया।