विधानसभा चुनाव क्यों नहीं लड़ते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार?
बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है और 28 अक्टूबर को पहले चरण का मतदान होगा। जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं। भाजपा और जदयू गठबंधन नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। इन सबके बीच क्या आप जानते हैं कि नीतीश कुमार ने तीन दशक से भी ज्यादा समय से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है?
इन मुख्यमंत्रियों ने भी नहीं लड़ा विधानसभा चुनाव
नीतीश के अलावा योगी आदित्यनाथ और उद्धव ठाकरे ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने इस पद की शपथ लेने के लिए विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। योगी और ठाकरे पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन नीतीश कुमार चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
नीतीश ने 1985 में अंतिम बार लड़ा था विधानसभा चुनाव
नीतीश कुमार ने 1977 में पहली बार बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। हरनौत विधानसभा सीट से उम्मीदवार बने नीतीश कुमार को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। सात साल बाद 1985 में वो पहली बार चुनाव जीतकर विधायक बने। यह उनका आखिरी विधानसभा चुनाव था। उसके बाद से लेकर आज तक यानी पिछले 35 सालों में नीतीश कुमार विधानसभा चुनावों में बतौर उम्मीदवार नहीं उतरे हैं। हालांकि, इस दौरान वो लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं।
2004 में लड़ा था आखिरी लोकसभा चुनाव
नीतीश कुमार अब तक छह बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। उन्होंने अपना आखिरी लोकसभा 2004 में लड़ा था। उन चुनावों में वो नालंदा से सांसद बनकर लोकसभा आए थे, लेकिन 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। कुछ महीनों को निकाल दें तो वो 2005 से लेकर अब तक बिहार के मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ा था।
2015 में लालू के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरे थे नीतीश
प्रधानमंत्री मोदी के साथ वैचारिक मतभेदों के चलते मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद उन्होंने जीतनराम मांझी को बिहार की कमान सौंपी थी, लेकिन वो थोड़े ही दिन इस पद पर रहे। 2015 में बिहार चुनाव से पहले वो फिर से मुख्यमंत्री बने। इस चुनाव में उन्होंने लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और साफ बहुमत से अपनी सरकार बनाई। 2017 में लालू का साथ छोड़कर वो वापस भाजपा के साथ NDA में आ गए।
बिना चुनाव लड़े मुख्यमंत्री कैसे बने नीतीश कुमार?
कानून के अनुसार, मुख्यमंत्री को राज्य की विधायिका का सदस्य होना जरूरी है। बिहार देश के उन छह राज्यों में शामिल हैं, जहां विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद की भी व्यवस्था है। आसान भाषा में बात करें तो जैसे संसद में लोकसभा और राज्यसभा, दो सदन होते हैं, वैसे ही इन राज्यों में विधानसभा और विधान परिषद हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद भी है।
2005 में किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे नीतीश
इंडिया टुडे के अनुसार, साल 2005 में जब नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब वो राज्य की विधायिका के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। वो अगले साल बिहार विधान परिषद के सदस्य बने थे।
2018 में तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य बने नीतीश
अब आते हैं सवाल के जवाब पर। बिना विधानसभा चुनाव लड़े नीतीश कुमार मुख्यमंत्री इस वजह से बन पाए क्योंकि वो विधान परिषद के सदस्य हैं। विधान परिषद के सदस्य भी छह साल के लिए चुने जाते हैं। नीतीश 2108 में लगातार तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे और उनका कार्यकाल 2024 तक है। ऐसे में इस बार भी अगर उनकी पार्टी को बहुमत मिलता है तो वो बिना किसी परेशानी के मुख्यमंत्री बन सकेंगे।
चुनाव क्यों नहीं लड़ते नीतीश?
नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव न लड़ने के सवाल का जवाब पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान दिया था। उन्होंने कहा कि वो एक सीट पर ही अपना ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहते। इसलिए वो विधानसभा चुनावों में नहीं उतरते हैं।