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    कोरोना वायरस: बिहार की बिगड़ती स्थिति, देश के लिए बनी चिंता का सबब

    कोरोना वायरस: बिहार की बिगड़ती स्थिति, देश के लिए बनी चिंता का सबब
    लेखन भारत शर्मा
    Jul 20, 2020, 08:26 pm 1 मिनट में पढ़ें
    कोरोना वायरस: बिहार की बिगड़ती स्थिति, देश के लिए बनी चिंता का सबब

    कोरोना वायरस महामारी ने भारत में तबाही मचाई हुई है। अब बिहार राज्य भी बड़ी तेजी से महामारी की चपेट में आ रहा है। यहां के आठ जिले देश के नए कोरोना हॉटस्पॉट बनने के कगार पर खड़े हैं। राज्य में जांच की संख्या कम है और अस्पतालों में वर्कलोड बढ़ता जा रहा है। मरीजों को उपचार के लिए बेड नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में अब वहां की स्थिति को संभालने के लिए केंद्रीय टीम भेजी गई है।

    वर्तमान में कम है मृतकों की संख्या, लेकिन बिगड़ते दिख रहे हैं हालात

    बिहार में अब तक सामने आए संक्रमण के 26,379 मामलों में से 179 लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों की यह संख्या सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली जैसे राज्यों की तुलना में बहुत कम नजर आ रही है, लेकिन बिहार में संक्रमण के प्रसार का खतरा सबसे अधिक है। द लांसेट के एक अध्ययन के अनुसार भारत के 20 सबसे कमजोर जिलों में से आठ बिहार के हैं। इनमें दरभंगा जिला शीर्ष पर है।

    तेजी से बढ़ते संक्रमण के कारण भयावह हुई भागलपुर की स्थिति

    संक्रमण के मामले में भागलपुर राज्य का दूसरा सबसे प्रभावित जिला है। यहां अब तक 1,601 मामले सामने आए हैं और 16 की मौत हो चुकी है। राजधानी पटना में 3,696 मामले सामने आ चुके हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि भागलपुर में 8 जून तक महज 245 मामले थे, लेकिन अब संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जिले का सबसे बड़ा जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल स्टाफ की कमी और खराब सुविधाओं से जूझ रहा है।

    अस्पताल की व्यवस्थाओं से नाखुश हैं लोग

    हाल ही में अपने बेटे को अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराने वाले 60 वर्षीय बुजुर्ग ने कहा कि अस्पताल में कोई भी मरीजों की देखभाल नहीं कर रहा है। उन्होंने IE को बताया, "शौचालय की नियमित रूप से सफाई नहीं की जाती है। एक महिला ने नर्सों से ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग की, लेकिन उन्होंने उपलब्ध नहीं कराया।" एक अन्य व्यक्ति को अपने 55 वर्षीय पिता की जांच कराने के लिए धक्के खाने पड़े।

    सरकार के नियम मरीजों के लिए बने परेशानी का कारण

    संक्रमितों की उपचार के लिए बिहार सरकार ने नया नियम बनाया है। जिसमें बिना लक्षण वाले संक्रमितों को अपने घर पर ही आइसोलेशन में रहना होगा। ऐसे में एक कमरे में पांच लोगों वाले परिवार के लिए यह नियम परेशानी का कारण बना हुआ है।

    अस्पताल में भर्ती होने के लिए लड़ना पड़ रहा है युद्ध

    कोरोना महामारी के बीच कोरोना संक्रमितों को बिहार के अस्पतालों में भर्ती होने के लिए युद्ध लड़ना पड़ता है। राज्य पहले कोरोना अस्पताल NMCH में एक मरीज की पत्नी ने बताया कि उसके पति को तीन-चार दिन से बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। वह सबसे पहले PMCH अस्पताल गई, लेकिन वहां उन्हें NMCH भेज दिया। वहां वह सुबह से शाम तक बैठी रही, लेकिन उसका नंबर नहीं आया।उसके पति दिनभर तड़पते रहे।

    अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों की है बड़ी कमी

    बिहार के लिए सबसे बड़ी समस्या अस्प्तालों में डॉक्टरों की कमी होना है। IMA बिहार के सचिव सुनील कुमार ने बताया कि पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज के एनेस्थेसिया विभाग में 25 सीनियर रेजिडेंट्स के पद हैं, लेकिन कार्यरत एक भी नहीं है। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सकों के करीब 3,000 से अधिक पद खाली पड़े हैं। भागलपुर में आइसोलेशन वार्ड प्रभारी डॉ हेमशंकर शर्मा ने बताया कि 50-60 रेजिडेंट डॉक्टरों की सख्त जरूरत है।

    आबादी के अनुसार महज तीन प्रतिशत लोगों की हुई हैं जांच

    बिहार में भले ही वर्तमान में संक्रमितों की संख्या अन्य प्रभावित राज्यों की तुलना में कम हैं, लेकिन इसका कारण पर्याप्त जांच नहीं होना। राज्य में अब तक महज 3,68,232 लोगों की जांच हुई, जो आबादी का तीन प्रतिशत है। कहने को बिहार सरकार ने पटना शहरी क्षेत्र के 25 स्वास्थ्य केंद्रों पर रैपिड एंटीजन टेस्ट शुरू कर दिया है, लेकिन हर केंद्र पर लंबी कतरों लगी हैं। राज्य में वर्तमान में प्रतिदिन महज 10,000 ही जांच हो रही है।

    अस्पतालों में बरती जा रही है लापरवाही

    राज्य में अस्पतालों में भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। NMCH अस्पताल परिसर में खुलेआम इस्तेमाल किए गए PPE किट, मास्क, ग्लव्स आदि पड़े मिल जाते हैं। इनका पर्याप्त निस्तारण नहीं होता है। इससे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।

    IMA बिहार ने की चिकित्साकर्मियों को 15 दिन की छुट्टी देने की मांग

    एक तरह जहां बिहार के अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य में अब तक 200 से अधिक डॉक्टर और चिकित्साकर्मी संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें दो की मौत भी हो चुकी है। बिगड़ते हालातों के कारण IMA बिहार ने राज्य में युद्ध स्तर पर काम कर रहे चिकित्साकर्मियों की प्रत्येक 15 दिन में जांच कराने तथा उनकी सुरक्षा के लिए सभी रोस्टर के अनुसार 15 दिन की छुट्टी देने की मांग की है।

    यहां देखें एक डॉक्टर का वीडियो

    Sorry state of #COVID19 affairs in the state of #Bihar ... doctors are having to travel in and out of #COVID__19 speciality hospitals on a thela. Same goes with patients. Listen to Dr Amarinder Kumar. #coronavirus pic.twitter.com/RwXep3nq6M

    — Sidhant Mamtany (@SidMamtany) July 16, 2020

    विधानसभा चुनाव और मानसून बजा रहे खतरे की घंटी

    बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा होने हैं और इसको लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही है। इसी बीच कुछ दलों ने आशंका जताई है कि चुनाव राज्य में संक्रमण को तेजी से फैलाने का काम करेगा। राजद, कांग्रेस, CPI, CPM, CPI-ML, RLSP और HAM जैसे विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव पर पुनर्विचार करने को कहा है। इसी तरह मानसून में आने वाली बाढ़ भी राज्य की कोरोना के खिलाफ तैयारियों को धराशाही कर सकती है।

    कोरोना संकट में एकजुट होने की जगह खींची जा रही है टांग

    बिहार की वर्तमान स्थिति ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरोधियों को नया मुद्दा दे दिया है। विपक्ष भी सरकार का साथ देने की जगह उसकी टांग खींचने में लगा है। राजद के तेजस्वी यादव ने हाल ही में कहा, "नीतीशजी 12.6 करोड़ बिहारियों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वह अपनी छवि खराब होने से बचाने के लिए कोरोना संक्रमितों के वास्तविक आंकड़ों को दबा रहे हैं। क्या आपकी छवि हमारे लोगों के जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण है।"

    केंद्रीय टीम ने किया बिहार का दौरा, एंटीजन परीक्षण पर रखा फोकस

    बिहार की स्थिति को समझने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने राज्य का दौरा किया। इसमें टीम को राज्य में संचालित अस्पतालों में अव्यवस्थाओं का आलम मिला। इस पर टीम का विस्तार किया गया है। ऐसे में अब केंद्रीय टीम ने राज्य में अधिक से अधिक एंटीजन जांच पर फोकस कर दिया है। जांच किट मंगलवार से सभी उपखंड अस्पतालों और अगले सप्ताह सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध होगी।

    क्या इस स्थिति के बाद भी बिहार की स्थिति में किया जा सकता है सुधार?

    आने वाले दिनों में राज्य में तेजी से संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी। गंभीर रोगियों को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराना और सुविधाएं देना सरकार के लिए चुनौती होगी। सवाल यह है कि क्या इस स्थिति के बाद आगे के हालातों में सुधार हो सकता है?

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