ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी NRC के खिलाफ, अब तक विरोध में आए सात मुख्यमंत्री
क्या है खबर?
नागरिकता संशोधन कानून पर सरकार का समर्थन कर चुकी बीजू जनता दल (BJD) ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) का विरोध किया है।
पार्टी प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि अगर केंद्र सरकार पूरे देश में NRC लागू करने का आदेश देती है तो उनकी सरकार राज्य में यह कानून लागू नहीं करेगी।
पटनायक से पहले छह राज्य सरकारें NRC को लागू करने की बात से इनकार कर चुकी हैं।
बयान
लोगों को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा NRC- BJD
बीजू जनता दल ने राज्यसभा और लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का यह कहते हुए समर्थन किया था कि यह किसी भी प्रकार से भारतीय नागरिकों के हितों से छेड़छाड़ नहीं करता। यह केवल विदेशियों से संबंधित कानून है, लेकिन पार्टी NRC के विरोध में उतर आई है।
पुरी से सासंद और पार्टी के वरिष्ठ नेता पिनाकी मिश्रा ने कहा कि NRC नागरिकता साबित करने के बहाने लोगों को निशाना बनाने का कानून है।
बयान
केंद्र सरकार NRC के लिए बाध्य नहीं कर सकती- पिनाकी मिश्रा
मिश्रा ने कहा, "मैं अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाउंगा। मेरे पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है।"
उन्होंने कहा कि NRC से पहला कदम नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) है और यह राज्य सरकार द्वारा किया जा सकता है। केंद्र किसी राज्य को ऐसा करने के लिए विवश नहीं कर सकता।
वहीं मुख्यमंत्री पटनायक ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए अफवाहों से बचने की सलाह दी है।
जानकारी
नीतीश कुमार कर चुके हैं NRC का विरोध
पटनायक से पहले भाजपा के सहयोगी और नागरिकता कानून का समर्थन कर चुके नीतीश कुमार भी देशव्यापी NRC की खिलाफत कर चुके हैं। उन्होंने अपने राज्य में NRC लागू नहीं करने की बात कही है।
विरोध
पांच मुख्यमंत्री नागरिकता कानून और NRC दोनों के खिलाफ
नीतीश कुमार और नवीन पटनायक ने NRC का विरोध किया है। वहीं पश्चिम बंगाल, पंजाब, राजस्थान, छत्तीगढ़ और केरल के मुख्यमंत्री NRC और नागरिकता संशोधन कानून, दोनों के विरोध में हैं।
पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार हैं तो पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) और केरल में लेफ्ट की सरकार है।
इनके अलावा तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) और आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी संसद में नागरिकता कानून का विरोध किया था।
जानकारी
क्या है NRC?
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) एक रजिस्ट्रर है जिसमें भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। फिलहाल यह केवल असम में लागू है, जिसे अमित शाह ने पूरे देश में लागू करने की बात कही थी।
विरोध
11 राज्यों की सरकारें NRC के विरोध में
कांग्रेस, TRS, TMC, BJD, JD(U), CPI (M) और AAP समेत सात सत्ताधारी पार्टियां देशव्यापी NRC के खिलाफ हैं।
इन पार्टियों की पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पुड्डुचेरी, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, केरल, दिल्ली और तेलंगाना में सरकार है।
इन राज्यों में देश की 42.8 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। अगर कांग्रेस, NCP और शिवसेना गठबंधन की सरकार वाले महाराष्ट्र की जनसंख्या को इसमें मिलाया जाए तो इन राज्यों में देश की 52.08 प्रतिशत जनसंख्या रहती है।
राज्यसभा
बदल सकते हैं राज्यसभा के समीकरण
NRC के मुद्दे पर विपक्ष को BJD और JD(U) का साथ मिला है। ऐसे में संसद में संख्याबल भी बदल सकता है।
विपक्ष के पास राज्यसभा में 99 वोट हैं, जबकि नागरिकता कानून के खिलाफ 106 वोट पड़े थे।
राज्यसभा में BJD के सात और JD(U) के छह सांसद है। दो निर्दलीय और एक नामित सदस्य के अलावा अगर शिवसेना के तीन सांसद विपक्ष के साथ आते हैं तो विपक्ष का संख्याबल बहुमत के करीब पहुंच सकता है।