भाजपा का आंतरिक मूल्यांकन, इन कारणों से मिली दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार
देश की सत्ता पर काबिज भाजपा को पिछले महीने दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार रास नहीं आ रही है। भाजपा प्रबंधन हार के कारणों को पता लगाने में जुटा है। इसी कड़ी में भाजपा की ओर से शुक्रवार को आयोजित की गई आंतरिक मूल्यांकन बैठक में हार के कारणों पर चर्चा की गई और इसमें भाजपा ने हार के लिए दो बड़े कारणों को जिम्मेदार माना है। इसमें दलित और सिख समुदाय का समर्थन नहीं मिलना प्रमुख था।
बैठक में इन भाजपा नेताओं ने की हार पर चर्चा
भाजपा की ओर से आयोजित आंतरिक मूल्यांकन बैठक में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिल्ली इकाई के प्रभारी श्याम जाजू और दिल्ली भाजपा के महासचिव (संगठन) सिद्धार्थन शामिल हुए थे। इसी प्रकार केंद्रीय मंत्री और विधानसभा चुनावों के लिए दिल्ली के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने भी कुछ समय के लिए बैठक में हिस्सा लिया था, लेकिन बाद में वह किसी आवश्यक कार्य के चलते वहां से चले गए थे।
चुनाव में हार झेलने वाले 50 प्रत्याशियों ने बताए अपने-अपने कारण
आंतरिक मूल्यांकन बैठक में भाजपा की शर्ष पदाधिकारियों के अलावा चुनाव में हार का मुंह देखने वाले करीब 50 प्रत्याशियों ने भी हिस्सा लिया था। समीक्षा के दौरान सभी ने एक-एक कर अपनी हार के लिए जिम्मेदार कारणों को बताया। इस दौरान अधिकतर प्रत्याशियों ने चुनाव में दलित और सिख मतदाताओं का समर्थन नहीं मिलना हार का प्रमुख कारण बताया था। उनका कहना था कि वह अथक प्रयासों के बाद भी उन्हें अपनी ओर नहीं मोड़ सके।
प्रत्याशियों ने इन कारणों को भी ठहराया जिम्मेदार
बैठक में जहां अधिकतर प्रत्याशियों ने सिखो और दलितों का समर्थन नहीं मिलने की बात कहीं, वहीं कुछ प्रत्याशियों ने पार्टी की ओर से टिकट घोषित करने और चुनाव घोषणा पत्र जारी करने में की गई देरी को बड़ा कारण बताया। उनका कहना था कि इसके कारण पार्टी लोगों का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाई। इसके अलावा प्रत्याशियों ने यह भी कहा कि जिन उम्मीदवारों के टिकट कटे थे, उन्होंने बागी की भूमिका निभाकर पार्टी को नुकसान पहुंचाया है।
बैठक में शामिल नहीं होने वालों से मांगा जाएगा स्पष्टीकरण
आंतरिक आंकलन बैठके आधार पर पार्टी की ओर से हार के कारणों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर भाजपा नेतृत्व को सौंपी जाएगी। इसके अलावा बैठक में शामिल नहीं होने वाले प्रत्याशियों से स्पष्टीकरण भी मांगा जाएगा।
भाजपा को मिली थी महज आठ सीटों पर जीत
बता दें कि भाजपा की ओर से विधानसभा की 70 सीटों में से 67 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, वहीं तीन सीटें गठबंधन के अन्य दलों को दी गई थीं। इनमें से भाजपा महज आठ सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। वहीं मुख्यमंत्री केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (AAP) ने 62 सीटों पर कब्जा जमाते हुए सत्ता हासिल की थी। हालांकि, भाजपा को पिछले चुनाव की तुलना में पांच सीटों का फायदा हुआ है।
भाजपा के मतदान प्रतिशत में हुआ इजाफा
विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा के वोट प्रतिशत में 6.48% का इजाफा हुआ है। साल 2015 में AAP को 54.3% और भाजपा को 32.3% वोट मिले थे। वहीं इस बार AAP का वोट प्रतिशत गिरकर 53.57% और भाजपा का बढ़कर 38.51% हो गया है।