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    राजनीति

    2004 से 2019: संसद में लगातार बढ़ी है आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की संख्या, जानिए आंकड़े

    2004 से 2019: संसद में लगातार बढ़ी है आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की संख्या, जानिए आंकड़े
    लेखन प्रमोद कुमार
    संपादन Manoj Panchal
    Feb 13, 2020, 08:17 pm 1 मिनट में पढ़ें
    2004 से 2019: संसद में लगातार बढ़ी है आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की संख्या, जानिए आंकड़े

    गुुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रोकने के लिए एक अहम फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने के कारण मीडिया और सोशल मीडिया में प्रचारित करने होंगे। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब हर चुनावों के साथ दागी सांसदों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। आइये, पिछले कुछ लोकसभा चुनावों पर नजर डालते हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को क्या फैसला दिया?

    गुरुवार को जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और एस रविंद्र भट की दो सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों की उपलब्धियों और उन पर चल रहे आपराधिक मामलों को समाचार पत्रों, समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर भी प्रचारित करना होगा। साथ ही उन्हें आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने का कारण प्रचारित करने का आदेश दिया है। अगर कोई पार्टी ऐसा नहीं करती है तो उस पर अवमानना का केस चलेगा।

    2004 में चुनकर आए 128 दागी उम्मीदवार

    14वीं लोकसभा के चुनाव जीतकर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार बनी थी। चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक, 2004 में चुनकर आए 128 सांसदों के खिलाफ 429 आपराधिक मामले लंबित थे। इनमें से 58 सांसदों के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश या रेप जैसे गंभीर प्रवृति के 296 आपराधिक मामले दर्ज थे।

    क्या रहा था 15वीं लोकसभा का हाल?

    2009 में हुए चुनावों में चुनकर आए 543 सांसदों में से 162 (29.83 प्रतिशत) सांसदों खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। इस लोकसभा में 14वीं लोकसभा के मुकाबले 26 प्रतिशत अधिक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसद चुनकर आए थे। इनमें से 76 के खिलाफ गंभीर प्रवृति के 275 मामले दर्ज थे। इस सत्र में कांग्रेस के 206 में से 44, भाजपा के 116 में से 44 सांसदों और JMM, MDMK, AIMIM जैसी पार्टियों के सभी सांंसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे।

    ये था 16वीं लोकसभा का हाल

    16वीं लोकसभा के लिए 2014 में चुनाव हुए। इन चुनावों में भाजपा ने बहुमत के साथ सरकार बनाई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। इन चुनावों में चुनकर आए कुल सांसदों में से 185 (34 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। इनमें से 112 के खिलाफ गंभीर प्रवृति के मामले दर्ज थे। इस सत्र में भाजपा के 63 सांसद, कांग्रेस और AIADMK के 3-3, शिवसेना के 18 और तृणमूल कांग्रेस के चार सांसदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे।

    इस बार 233 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज

    2019 के लोकसभा चुनावों में चुनकर आए आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसदों की संख्या में 2014 की तुलना में 26 फीसदी इजाफा हुआ। 17वीं लोकसभा में चुनकर आए कुल सांसदों में से 233 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 159 के खिलाफ खिलाफ गंभीर प्रवृति के मामले दर्ज हैं। दागी उम्मीदवारों में सबसे अधिक 116 सांसद भाजपा के हैं जबकि कांग्रेस के 29, जनता दल (यूनाइटेड) के 13 और DMK के 10 सांसद हैं।

    लोकसभा में ऐसे बढ़ी है आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की संख्या

    ऊपर दिए गए आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो पता चलता है कि 2004 के मुकाबले 2019 में 82 प्रतिशत अधिक सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं। 2004 में ये संख्या जहां 128 थी, 2009 में यह बढ़कर 162 हो गई। इसके बाद 2014 में 185 सांसद तो 2019 में इतिहास में सबसे ज्यादा 233 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसद चुने गए। केवल यही नहीं, जिन नेताओं पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, संसद में उनकी संख्या भी लगातार बढ़ी है।

    राज्य स्तर पर भी कुछ ऐसा ही है हाल

    हाल ही में दिल्ली चुनाव के नतीजे घोषित किए गए हैं। इनमें से 62 सीटें आम आदमी पार्टी और आठ सीटें भाजपा के खाते में गई हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले विधायकों की बात करें तो इस बार 70 में से 43 विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें AAP के 38 और भाजपा के पांच विधायक हैं। पिछली विधानसभा में दागी विधायकों की संख्या 24 थी। इनमें से AAP के 23 और भाजपा का एक विधायक था।

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