जानें क्यों ऐतिहासिक है दिल्ली का रामलीला मैदान जहां तीसरी बार शपथ लेंगे अरविंद केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख अरविंद केजरीवाल 16 फरवरी को लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनके शपथ ग्रहण समारोह के लिए ऐतिहासिक रामलीला मैदान को चुना गया है। रामलीला मैदान स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर अन्ना आंदोलन तक कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। आइए आपको ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं और रामलीला मैदान के इतिहास के बारे में बताते हैं।
तालाब भरकर बनाया गया था रामलीला मैदान
अजमेरी गेट और तुर्कमान गेट के बीच स्थित रामलीला मैदान 10 एकड़ में फैला हुआ है। मान्यता है कि पहले यहां एक तालाब हुआ करता था जिसे 1930 के दशक में भरकर एक मैदान तैयार किया गया ताकि यहां वार्षिक रामलीला हो सके। तभी से यहां हर साल रामलीला होती है। पुलिस के अनुसार, मैदान में 25 से 30 हजार लोग आ सकते हैं। हालांकि, मैदान की क्षमता पुलिस के आंकड़ों से अधिक होने की बात कही जाती है।
गांधी से लेकर नेहरू और सरदार पटेल ने किया रामलीला मैदान का इस्तेमाल
अगर आजादी से पहले की बात करें तो महात्मा गांधी से लेकर जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल समेत कई बड़े नेताओं ने क्रांति के लिए रामलीला मैदान को ही चुना था। मोहम्मद अली जिन्ना ने भी मैदान में कई रैलियां की थीं और माना जाता है कि 1945 में ऐसी ही एक रैली के दौरान भीड़ ने उन्हें मौलाना की उपाधि दी थी जिसे उन्होंने ये कहते हुए ठुकरा दिया कि वो धार्मिक नहीं बल्कि एक राजनीतिक नेता हैं।
इंग्लैंड की महारानी ने रामलीला मैदान में किया था जनसभा को संबोधित
आजादी के बाद दिसंबर 1952 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के खिलाफ जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने रामलीला मैदान में ही सत्याग्रह शुरू किया था। उनके इस सत्याग्रह से सरकार पर बड़ा असर पड़ा था। इसके बाद 28 जनवरी, 1961 को तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू के साथ ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने एक जनसभा को संबोधित किया था। महारानी की झलक पाने के लिए लोगों का हुजूम जमा हो गया था।
जयप्रकाश नारायण ने यहीं किया था इंदिरा सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान
आपातकाल से ठीक पहले रामलीला मैदान से ही जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ क्रांति की हुंकार भरी थी। 25 जून, 1975 को हुई इस रैली में जयप्रकाश ने इंदिरा सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया था और इसमें कवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है' का नारा जमकर गूंजा था। इसी रात को इंदिरा ने आपातकाल लगा दिया था।
आपातकाल के बाद मोर्चाबंदी के लिए भी रामलीला मैदान का प्रयोग
आपातकाल के अंतिम दिनों में विपक्षी पार्टियों ने राजनीतिक मोर्चाबंदी के लिए भी रामलीला मैदान का इस्तेमाल किया। फरवरी, 1977 में यहां जनता पार्टी के बैनर तले मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता एक मंच पर आए।
2011 में बाबा रामदेव और अन्ना हजारे ने किया आंदोलन
हालिया दौर की बात करें तो 2011 में रामलीला मैदान दो बड़े आंदोलनों का गवाह बना। पहले जून में बाबा रामदेव ने यहां कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन किया, लेकिन 5 जून की रात दिल्ली पुलिस के प्रदर्शनकारियों पर लाठी बरसाने के बाद प्रदर्शन को खत्म करना पड़ा। इसके बाद अगस्त में यहां अन्ना हजारे के नेतृत्व में जन लोकपाल आंदोलन हुआ जिसने बड़ी संख्या में लोगों को अपनी तरफ खींचा।
अन्ना आंदोलन से ही हुआ था AAP और नेता केजरीवाल का जन्म
राजनीति में AAP और अरविंद केजरीवाल का जन्म इसी अन्ना आंदोलन से हुआ था और यही कारण है कि केजरीवाल इस मैदान को इतनी अहमियत देते हैं। 2013 और 2015 में भी अपने शपथ ग्रहण के लिए उन्होंने इसी मैदान को चुना था।