कौन हैं लोकसभा के नए स्पीकर ओम बिरला? जानें
भारतीय जनता पार्टी के नेता ओम बिरला को लोकसभा स्पीकर चुना गया है। बुधवार को हुए चुनाव में उनका जीतना पहले से तय था। उन्होंने इस प्रतिष्ठित पद पर सुमित्रा महाजन की जगह ली है। 56 वर्षीय बिरला कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से सांसद है। बतौर सांसद यह उनका दूसरा कार्यकाल है और वो तीन बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। अगले पांच साल संसद का निचला सदन चलाने में उनकी भूमिका सबसे अहम होगी।
स्कूल से हुई राजनीतिक सफर की शुरुआत
महज 17 साल की उम्र से सार्वजनिक जीवन में उतरने वाले बिड़ला का जन्म 23 नवंबर, 1962 को हुआ था। साल 1979 में उन्हें कोटा के गुमानपुरा के सरकारी स्कूल में छात्र संघ का अध्यक्ष चुना गया। कॉमर्स में मास्टर्स करने वाले बिड़ला साथ-साथ राजनीतिक सफर भी तय करते गए और कोटा के राजस्थान कॉलेज ऑफ कॉमर्स में संयुक्त सचिव बन गए। RSS से जुड़ने के बाद वो चार साल तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के कोटा जिलाध्यक्ष भी रहे।
मोदी और शाह की पसंद है बिरला
जवानी के दिनों में छह साल तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष रहने वाले बिरला को लोकसभा स्पीकर पद के लिए प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने चुना था। प्रधानमंत्री मोदी कोटा में किए गए उनके काम की तारीफ कर चुके हैं।
2003 में पहली बार विधायक बने बिरला
बिरला ने रामजन्मभूमि आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया था। इसमें भाजपा और विश्व हिंदू परिषद आदि सगंठनों के कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में 16वीं सदी में बनी मस्जिद को ध्वस्त किया था। इस आंदोलन में भाग लेने के कारण बिरला को उत्तर प्रदेश में जेल भी हुई। साल 2003 में उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा। दक्षिण कोटा विधानसभा सीट पर उन्होंने इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को 10,000 से ज्यादा वोटों से मात दी थी।
वसुंधरा सरकार में संभाली थी अहम जिम्मेदारी
बिरला ने 2003 के बाद 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में भी जीत दर्ज की। लगातार तीन बार विधायक बनने वाले बिरला 2003 से 2008 के बीच वसुंधरा सरकार संसदीय सचिव बनाए गए थे। उनके राजनीतिक कौशल का मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में भी इस्तेमाल किया। तब उन्हें एनर्जी पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी और सामाजिक न्याय मंत्रालय की अहम कमेटी में बतौर सदस्य शामिल किया गया था।
जमीनी स्तर पर किए हैं बड़े काम
राजनीति के अलावा बिरला के पास संगठन का भी काफी अनुभव है। जब बूथ स्तर प्रबंधन की बात आती है तो कम ही नेता है जो बिरला को मात दे पाए। पिछले साल चुनावों से पहले जब राजस्थान में वसुंधरा राजे का नाराजगी का सामना करना पड़ रहा था तब उन्हें भाजपा के संगठन का काम सौंपा गया था। उन्होंने गरीबों को कपड़े और किताबें बांटने का अभियान चलाया था। उन्होंने मुफ्त दवाओं के लिए स्टोर्स की भी शुरुआत की।
वरिष्ठ सदस्यों को बनाया जाता था लोकसभा स्पीकर
आमतौर पर लोकसभा स्पीकर पद के लिए वरिष्ठ सदस्यों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां पहली या दूसरी बार के सासंदों को लोकसभा स्पीकर बनाया गया है। मुरली मनोहर जोशी को साल 2002 में लोकसभा स्पीकर बनाया गया था। बतौर लोकसभा सांसद यह उनका पहला कार्यकाल था। उन्हें जीएमसी बालयोगी की जगह स्पीकर बनाया गया था, जिनकी एक हेलिकॉप्टर हादसे में मौत हो गई थी।