कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा के सदस्य? जानिए चुनाव की पूरी प्रक्रिया
शुक्रवार को देश के चार राज्यों की कुल 16 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग होगी। इनमें महाराष्ट्र की छह, राजस्थान और कर्नाटक की चार-चार और हरियाणा की चार सीटें शामिल हैं। 11 राज्यों की 41 सीटों पर उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध जीत चुके हैं। राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया आम चुनाव के मुकाबले बेहद जटिल है और ज्यादातर लोगों को इसके बारे में नहीं पता है। आइए आपको इन चुनावों की पूरी प्रक्रिया समझाते हैं।
सबसे पहले चाहिए कैसी होती है राज्यसभा की संरचना
ब्रिटेन के 'हाउस ऑफ लॉर्ड्स' की तर्ज पर काम करने वाली राज्यसभा भारतीय संसद का ऊपरी और स्थाई सदन है और ये कभी भंग नहीं होती। राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं जिनमें से 12 को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं, वहीं 233 सदस्य चुनकर आते हैं। हर सदस्य का कार्यकाल छह साल का होता है और हर दो साल में एक-तिहाई सीटों के लिए मतदान होता है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति (अध्यक्ष) होते हैं।
अप्रत्यक्ष तरीके से होते हैं राज्यसभा के चुनाव
लोकसभा या विधानसभा चुनाव के विपरीत राज्यसभा चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होते हैं। इसका मतलब लोग सीधे वोट डालकर राज्यसभा सांसदों का चुनाव नहीं करते, बल्कि उनके द्वारा चुने गए विधायक वोट डालकर उनका चुनाव करते हैं। इस तरीके से राज्यसभा सांसदों के चुनाव में जनता की अप्रत्यक्ष भागेदारी होती है। किस राज्य में कितनी राज्यसभा सीटें होगीं, ये उसकी जनसंख्या को देखकर तय किया जाता है और राज्य के छोटे-बड़े होने पर इन सीटों पर भी फर्क पड़ता है।
इस तरीके से होती है वोटिंग
राज्यसभा चुनाव में विधायक हर सीट के लिए अलग-अलग वोट नहीं डाल सकते क्योंकि अगर ऐसा होगा तो हर सीट पर सत्तारूढ़ पार्टी ही कब्जा कर लेगी। दरअसल, वोटिंग के वक्त हर विधायक को एक सूची दी जाती है, जिसमें उसे राज्यसभा प्रत्याशियों के लिए अपनी पहली पसंद, दूसरी पसंद और तीसरी पसंद आदि लिखनी होती है। इसके बाद एक फॉर्मूले की मदद से तय किया जाता है कि कौन सा प्रत्याशी जीता।
यह होता है फॉर्मूला
किसी प्रत्याशी को राज्यसभा सीट जीतने के लिए कितने विधायकों का वोट चाहिए, इसके लिए राज्य की कुल विधानसभा सीटों में जितनी सीटों पर राज्यसभा चुनाव होना है, उससे एक अधिक से भाग देते हैं और जो फल आता है उसमें एक जोड़ देते हैं।
उदाहरण के जरिए समझें फॉर्मूला
उदाहरण के तौर पर, अगर एक राज्य में 400 विधानसभा सीटें हैं और तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है तो 400 में 3+1 यानि 4 से भाग देंगे। इसका नतीजा 100 आएगा, जिसमें एक जोड़ने पर 101 आएगा, जो इस राज्य में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए जरूरी विधायकों के वोटों की संख्या है। जब किसी भी प्रत्याशी को पहली पसंद के 101 वोट नहीं मिलते तो दूसरी पसंद के वोटों की गिनती की जाती है।
'हेयर फॉर्मूला' के नाम से जाना जाता है ये फॉर्मूला
राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए जरूरी सीटें निकालने के इस फॉर्मूले को 'हेयर फॉर्मूले' के नाम से जाना जाता है और 1857 में अंग्रेज राजनीतिज्ञ थॉमस हेयर ने इसे तैयार किया था। भारत में इसका प्रयोग राज्यसभा चुनाव के अलावा राष्ट्रपति और विधान परिषद के सदस्यों के चुनाव के लिए भी होता है। इसके अलावा अमेरिका, कनाडा और आयरलैंड जैसे देशों में भी कई स्तर पर चुनाव के लिए हेयर फॉर्मूले का प्रयोग किया जाता है।