चुनाव सुधारों को केंद्र की मंजूरी, वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की मिलेगी इजाजत

केंद्र सरकार ने चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए चुनाव आयोग की सिफारिशों के आधार पर कई अहम बदलाव करने का फैसला किया है। इसमें अब मतदाता स्वैच्छिक आधार पर अपने वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से लिंक कर सकेंगे। इसी तरह पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं को पंजीयन के लिए चार मौके दिए जाएंगे और महिला सेवा अधिकारी के पति को भी वोट डालने का अधिकार दिया गया है। इससे चुनाव प्रक्रिया और मजबूत होगी।
NDTV के अनुसार, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को मजबूत करने, मतदान प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाने, चुनाव आयोग को अधिक शक्ति देने और फर्जी वोटर आईडी को हटाने के लिए चार प्रमुख सुधार करने की सिफारिश की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने इन सुधारों पर विचार करने के बाद इन्हें मंजूरी दे दी है। सरकार की मंजूरी मिलने से अब चुनाव प्रक्रिया के पहले की तुलना में और आसान और पारदर्शी होने का रास्ता साफ होगा।
केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर पैन-आधार लिंकिंग की तर्ज पर अब आधार कार्ड को वोटर आईडी या मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की इजाजत देने का निर्णय किया है। हालांकि, यह अनुमति सुप्रीम कोर्ट के निजता का अधिकार निर्णय और आनुपातिकता का परीक्षण के मद्देनजर स्वैच्छिक आधार पर दी जाएगी। यानी वोटर आईडी को आधार से लिंक करने के लिए किसी पर दबाव नहीं बनाया जाएगा।
चुनाव आयोग ने कहा है कि उसकी ओर से संचालित पायलेट प्रोजेक्ट्स बेहद सकारात्मक अैर सफल रहे हैं और यह चुनाव प्रक्रिया में दोहराव को रोकने का काम करेंगे। अब पहली बार मतदान करने वालों को साल में एक बार की जगह चार बार पंजीयन के मौके दिए जाएंगे। ऐसे में अब कोई भी नया मतदाता पंजीयन की कमी के कारण मतदान से वंचित नहीं रहेगा। अब तक युवाओं को पंजीयन के कम मौकों के कारण परेशानी हो रही थी।
नए चुनाव सुधारों में चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरह से लिंगभेद मुक्त करने का भी निर्णय किया है। इसके तहत अब महिला सेवा अधिकारी के पति के भी मतदान करने का अधिकार दिया जाएगा। मौजूदा नियमों के अनुसार, अब तक यह सुविधा केवल पुरुष सेवा अधिकारी की पत्नी के लिए ही उपलब्ध थी और महिला सेवा मतदाता के पति को इसकी इजाजत नहीं थी। ऐसे में आयोग ने इसे समान रूप से करने का सुझाव दिया था।
नए सुधारों में चुनाव आयोग को चुनाव संचालित करने के लिए किसी परिसर को अधिग्रहीत करने के सभी अधिकार दिए गए हैं। दरअसल, चुनाव के दौरान स्कूल आदि को अधिग्रहीत करने को लेकर कुछ ऐतराज सामने आए थे। इससे आयोग को परिसर अधिग्रहण में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इस पर सरकार ने आयोग को ज्यादा अधिकार देने का फैसला किया है। सरकार इन चुनाव सुधारों को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश करेगी।