पॉलिटिकल हफ्ता: योगी आदित्यनाथ की जीत के भाजपा और देश की राजनीति के लिए क्या मायने?
क्या है खबर?
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों में दो नेता सबसे बड़े विजेता बनकर उभरे हैं। इनमें से एक हैं अरविंद केजरीवाल और दूसरे हैं योगी आदित्यनाथ।
आज पॉलिटिकल हफ्ता में हम योगी आदित्यनाथ के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता में वापसी करके एक साथ कई रिकॉर्ड बना दिए।
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि उनकी जीत का भाजपा और देश की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
रिकॉर्ड जीत
सबसे पहले जानें योगी ने क्या-क्या रिकॉर्ड बनाए
विधानसभा चुनाव में जीत के बाद योगी उत्तर प्रदेश के इतिहास के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गए हैं जो अपने पहले पूर्ण कार्यकाल के बाद दोबारा सत्ता में आया है। इसके अलावा वो राज्य के मात्र पांचवें ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिसने सत्ता में वापसी की है।
वह पिछले 37 साल में सत्ता में वापसी करने वाले उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भी हैं। इसके अलावा वो राज्य में दोबारा मुख्यमंत्री बनने वाले पहले भाजपा नेता भी बने हैं।
भाजपा पर असर
भाजपा के दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर स्थापित हुए योगी
उत्तर प्रदेश की प्रचंड जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा के दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता हैं।
हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि वे भाजपा के दूसरे सबसे अहम नेता भी बन गए हैं। फिलहाल ये तमगा गृह मंत्री अमित शाह को दिया जाता है जो पार्टी का पूरा संगठन संभालते हैं।
लेकिन अपनी जीत के बाद योगी इस तमगे पर भी अपनी दावेदारी ठोकने के काबिल हो गए हैं।
प्रमोशन
'प्रमोशन' की दावेदारी के काबिल भी हुए योगी
अपनी इस जीत के साथ योगी 'प्रमोशन' की दावेदारी के योग्य भी हो गए हैं। प्रमोशन यानि प्रधानमंत्री का पद।
मोदी भी मुख्यमंत्री के रास्ते से होते हुए प्रधानमंत्री बने हैं, ऐसे में योगी भी इस आधार पर इसके योग्य हो जाते हैं।
मोदी के प्रधानमंत्री के रहते हुए तो ऐसा संभव नहीं है, हालांकि उनके बाद जरूर योगी प्रधानमंत्री पद की दावेदारी ठोक सकते हैं और वोट खींचने की उनकी क्षमता उनके पक्ष को और मजबूत करेगी।
भविष्य
भाजपा का भविष्य कौन- योगी या शाह?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) समेत पूरा भगवा धड़ा योगी को भाजपा के भविष्य के तौर पर देखता है और ये भी भविष्य के प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी दावेदारी को मजबूत करेगा।
हालांकि इसमें एक अड़चन है- अमित शाह, जो खुद भी हर मायने में मोदी के बाद प्रधानमंत्री के लिए दावेदारी करने के काबिल हैं।
भाजपा का दूसरा सबसे अहम नेता और दूसरा सबसे लोकप्रिय नेता अपने रिश्ते की इस पेचीदगी को कैसे संभालते हैं, ये देखना दिलचस्प होगा।
देश पर असर
क्या केंद्रीय नेतृत्व में योगी की स्वीकार्यता बढ़ेगी?
उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले कई बार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के योगी से सख्त नाराजगी की खबरें आई थीं। उनके काम करने के तरीके को इसकी वजह बताया गया था।
उन पर "लगाम" कसने के लिए मोदी के करीबी एक अधिकारी को राज्य में बड़ी जिम्मेदारी देने की कोशिश भी की गई, हालांकि योगी नहीं माने।
अब देखना होगा कि इस जीत के बाद केंद्रीय नेतृत्व में उनके काम करने के तरीकों को लेकर स्वीकार्यता बढ़ती है या नहीं।
देश पर असर
देश की राजनीति के लिए क्या मायने?
अपनी मुस्लिम विरोधी सोच के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले योगी आदित्यनाथ की जीत भारतीय समाज और राजनीति के बदलते स्वरूप की ओर इशारा करती है। इस जीत ने पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है कि समाज का झुकाव दक्षिणपंथ की तरफ है।
योगी की राह पर चलते हुए अन्य नेता और पार्टियां भी इस झुकाव का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं, ऐसे में देश की राजनीति और सांप्रदायिक हो सकती है।
निरंकुशता
देश की राजनीति पर और क्या असर पड़ सकता है?
मुख्यमंत्री के तौर पर योगी की छवि एक "निरंकुश शासक" की रही है। कानून-व्यवस्था जैसे मोर्चों पर उनके इस रवैये का फायदा भी हुआ, लेकिन उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जो संवैधानिक दायरों से बाहर थे। इनमें अंतरधार्मिक शादी के लिए जिलाधिकारी की मंजूरी से लेकर बिना वारंट के गिरफ्तार करने की ताकत रखने वाली फोर्स तक शामिल हैं।
उनकी जीत को इनकी स्वीकार्यता के तौर पर देखा जा सकता है और देशभर में निरंकुशतावादी प्रवृत्तियां बढ़ सकती हैं।