#NewsBytesExplainer: क्या है विशेषाधिकार हनन और रमेश बिधूड़ी पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की संसद में की गई टिप्पणी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। भाजपा ने बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी (BSP) सांसद दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिख मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का मांग की है। आइए समझते हैं कि बिधूड़ी पर क्या कार्रवाई हो सकती है।
सबसे पहले जानिए संसद में क्या हुआ था?
गुरुवार (21 सितंबर) को लोकसभा में चंद्रयान-3 की सफलता पर चर्चा चल रही थी। इस दौरान दक्षिणी दिल्ली से भाजपा के 2 बार के सांसद बिधूड़ी बोल रहे थे। इस बीच उत्तर प्रदेश के अमरोहा से BSP सांसद दानिश अली भी विपक्ष की ओर से कुछ बोलने लगे। इससे झल्लाए बिधूड़ी ने दानिश को गाली देनी शुरू कर दी। उनके खिलाफ धार्मिक और असंसदीय टिप्पणियां कीं। बाद में इन टिप्पणियों को संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया।
दानिश ने स्पीकर को लिखे पत्र में क्या मांग की?
पूरे घटनाक्रम के बाद दानिश ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिख इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वह बिधूड़ी के खिलाफ नियम 222, 226 और 227 के तहत नोटिस देना चाहते हैं। पत्र में लिखा कि बिधूड़ी ने लोकसभा में उनके खिलाफ 'आतंकवादी', 'उग्रवादी' और कई आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। दानिश ने चेतावनी दी कि अगर कार्रवाई न हुई तो वे संसद नहीं आएंगे।
4 विपक्षी पार्टियों ने भी बिरला को लिखा पत्र
इस मामले में 4 विपक्षी पार्टियों ने भी स्पीकर बिरला को पत्र लिख बिधूड़ी पर कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) मामले को संसद की विशेषाधिकार समिति को भेजने की मांग की है। पत्र में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी का उदहारण देते हुए लिखा गया है कि मानसून सत्र के दौरान एक अपमानजनक टिप्पणी के लिए चौधरी को निलंबित कर दिया गया था।
रमेश की टिप्पणी को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
संविधान के अनुच्छेद 105 (2) के तहत, संसद में कही गई किसी भी बात के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। यानी रमेश की इस बात को किसी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को संसद में कुछ भी बोलने की छूट मिली हुई है। अगर कोई सांसद असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करता है तो उस पर स्पीकर को कार्रवाई करने का अधिकार होता है।
विशेषाधिकार हनन का मामला क्या है?
बिधूड़ी का मामला विशेषाधिकार हनन से जुड़ा हुआ है। जब भी संसद सदस्यों द्वारा किसी अधिकार का उल्लंघन किया जाता है तो इसे विशेषाधिकार हनन कहा जाता है। ऐसे मामलों की जांच के लिए विशेषाधिकार समिति होती है। हालांकि, ये स्पीकर पर निर्भर करता है कि वो मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजते हैं या नहीं। जांच के बाद समिति संसद को रिपोर्ट देती है। इस रिपोर्ट पर संसद मुहर लगाता है और सदस्य पर कार्रवाई की जाती है।
विशेषाधिकार हनन पर कार्रवाई की प्रक्रिया क्या है?
लोकसभा के नियम 227 के तहत, सदन का कोई भी सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से किसी दूसरे सदस्य के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ला सकता है। इसकी सूचना लोकसभा महासचिव को पहले से देनी होती है। प्रस्ताव की अनुमति देना या न देना स्पीकर पर निर्भर करता है। अगर अनुमति मिलती है तो मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया जाता है। लोकसभा की विशेषाधिकार समिति में 15, जबकि राज्यसभा में 10 सदस्य होते हैं।
रमेश पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
विशेषाधिकार हनन का दोषी पाए जाने पर सांसद को निलंबित किया जा सकता है या सदन से बहिष्कृत किया जा सकता है। हालांकि, ये सदन पर निर्भर करता है कि वो आरोपी सांसद को माफ कर सकती है, चेतावनी देकर छोड़ सकती है या जेल भेज सकती है। विशेषाधिकार हनन के पुराने मामले देखें तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जेल जाना पड़ा था और वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी को राज्सयभा से निष्कासित कर दिया गया था।