केजरीवाल के इस्तीफा देने से AAP को कितना फायदा होगा, क्या है रणनीति?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चौंकाने भरे फैसले में इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि 2 दिन बाद वे मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे और विधायक दल के नेता नया मुख्यमंत्री चुनेंगे। केजरीवाल इसे भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ अग्निपरीक्षा बता रहे हैं। उनके इस कदम को हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। आइए जानते हैं केजरीवाल के इस्तीफा के क्या असर हो सकता है।
केजरीवाल को मिलेगी जनता की सहानुभूति?
केजरीवाल की गिरफ्तारी के दौरान आम लोगों की ओर से कोई विरोध नहीं देखा गया था। माना जा रहा है कि इस्तीफा देकर वे जनता की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करेंगे। केजरीवाल ऐसा पहले कई बार कर चुके हैं। जब वे अंतरिम जमानत पर बाहर थे तो पार्टी ने 'जेल के बदले वोट' अभियान चलाया था। कई भाषणों में वे 'आपका बेटा', 'बुजुर्ग माता-पिता' और 'खून का एक-एक कतरा देश के लिए' जैसी बातें कह चुके हैं।
मिलेगा छवि सुधारने का समय
केजरीवाल के बंगले की साज-सज्जा में करोड़ों के खर्च, जल विभाग और मोहल्ला क्लिनिक में कथित घोटाले की खबरें, शराब नीति में पार्टी के नेताओं के जेल जाने जैसे मामलों ने AAP कि छवि का कड़ा नुकसान पहुंचाया है। भ्रष्टाचार से लड़ाई और ईमानदार नेता का नारा देकर सत्ता में आई AAP को इससे जरूर नुकसान हुआ है। ऐसे में केजरीवाल के इस कदम से पार्टी और खुद की छवि को बदलने का संदेश जाएगा।
AAP के लिए इस कदम के क्या मायने हैं?
AAP पिछले कुछ महीने से लगातार चर्चा में बनी हुई है। फिलहाल पार्टी का आधार दिल्ली और पंजाब में ही है, लेकिन केजरीवाल के इस्तीफे की चर्चा पूरे देशभर में होगी। केजरीवाल AAP के राष्ट्रीय संयोजक हैं। दिल्ली के अलावा पंजाब, गुजरात और गोवा में पार्टी चुनाव लड़ चुकी है। आने वाले महीनों में महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं। पार्टी के पास इन राज्यों में भी जनाधार बढ़ाने का मौका होगा।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिलेगा फायदा?
हरियाणा में AAP ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। केजरीवाल अब यहां प्रचार पर पूरा ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। केजरीवाल खुद हरियाणा के हैं। पार्टी उन्हें हरियाणा के लाल के तौर पर पेश कर रही है। पहले चर्चा थी कि AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। NCR से सटे इलाकों में AAP का प्रभाव माना जाता है। ये सब बातें हरियाणा में AAP के पक्ष में जा सकती है।
दिल्ली चुनावों के लिहाज से कितना प्रभावी है फैसला?
AAP ने 2015 और 2020 में रिकॉर्ड मत प्रतिशत के साथ दिल्ली में चुनाव जीता। लेकिन इस दौरान उनके द्वारा किए गए कई वादे अभी भी पूरे नहीं हुए। मानसून में जलभराव से लेकर गर्मी में पानी के लिए हाहाकार को लेकर AAP विपक्ष के निशाने पर रही। इसके अलावा 10 साल के शासन के बाद एंटी इनकंबेंसी को देखते हुए प्रदर्शन को दोहराना भी चुनौती है। ऐसे में केजरीवाल का कदम पार्टी को बढ़त दिला सकता है।