विधानसभा चुनावों में हार के बाद फिर उठने लगी कांग्रेस में बदलाव की आवाज
क्या है खबर?
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद एक बार फिर कांग्रेस के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं और पार्टी के भीतर भी बदलाव की आवाजों ने जोर पकड़ लिया है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य गुलाम नबी आजाद ने नतीजों पर निराशा व्यक्त करते हुए उम्मीद जताई कि पार्टी अपनी खामियों को सुधारने पर काम करेगी।
पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट नेता आज आजाद के आवास पर बैठक कर सकते हैं।
जानकारी
किसी भी राज्य में नहीं मिली कांग्रेस को जीत
गुरुवार को घोषित हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को निराशा हाथ लगी है। उसे उत्तराखंड, गोवा, उत्तर प्रदेश, मणिपुर और पंजाब में कहीं भी कामयाबी नहीं मिली है। पंजाब को भी पार्टी ने अपने हाथों से गंवा दिया है।
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आगे की रणनीति के लिए बैठक करेगा G-23 समूह
कांग्रेस नेतृत्व से अंसतुष्ट नेताओं का समूह G-23 आज गुलाम नबी आजाद के निवास पर बैठक कर सकता है। सूत्रों का कहना है कि अभी सबसे बड़ा मुद्दा पार्टी को एकजुट रखना और टूट से बचाना है।
इंडियन एक्सप्रेस ने एक युवा कांग्रेस नेता के हवाले से लिखा है कि पार्टी नेतृत्व में भरोसे की कमी है। सिर्फ यह कहकर काम नहीं चलाया जा सकता है कि भाजपा ने हिंदू-मुसलमान और ध्रुवीकरण की राजनीति के सहारे चुनाव जीता है।
बयान
काम नहीं आई उत्तर प्रदेश में प्रियंका की मेहनत
पार्टी के एक और नेता ने कहा कि प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में 209 रैलियां और रोड शो किए थे। राहुल और प्रियंका हाथरस भी गए और उन्होंने लखीमपुर खीरी में किसानों के परिवारों से भी मुलाकात की, लेकिन कुछ काम नहीं आया। महिला केंद्रित अभियान भी अपनी छाप नहीं छोड़ सका।
उन्होंने आगे कहा, "यह मानना पड़ेगा कि हम और हमारे नेताओं में लोगों का भरोसा नहीं है, जिससे हम अपना संदेश नहीं पहुंचा पा रहे हैं।"
कांग्रेस
शशि थरूर ने भी किया भी बदलाव का समर्थन
लोकसभा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी नेतृत्व में बदलाव की जरूरत बताई है।
उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि कांग्रेस में भरोसा रखने वाले सभी लोगों को नतीजों से दुख हुआ है। अब वक्त आ गया है कि कांग्रेस नेतृत्व में इस तरह से बदलाव हो कि यह लोगों को प्रेरित करे।
उन्होंने आगे लिखा, 'यह साफ हो गया है कि अगर हमें सफल होना है तो बदलाव करना जरूरी है।'
बयान
चौहान बोले- गंभीरता ने नहीं लड़े गए चुनाव
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने नतीजों पर निराशा जताई है, लेकिन कहा कि ये उम्मीदों के विपरित नहीं है।
उन्होंने कहा, "सब कुछ गलत हुआ है। गंभीरता से चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं दिखाई गई। हमें मोदी और शाह की तरह पूरी मजबूती के साथ लड़ना चाहिए था। पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन के बाद संगठन में भ्रम था। हमारी पारी पूरी हो गई है, लेकिन कांग्रेस में युवाओं का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।"
कांग्रेस का प्रदर्शन
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे, तब नौ राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन अब केवल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार बची है।
2014 के बाद से अब तक हुए कुल 45 चुनावों में से कांग्रेस को केवल पांच में जीत हासिल हुई है। इस दौरान कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो चुके हैं।
कांग्रेस के भीतर भी लंबे समय से बदलाव की आवाज उठ रही है।