हिजाब विवाद: कर्नाटक सरकार का नया आदेश, 'कानून व्यवस्था बिगाड़ने वाले कपड़ों' पर रोक लगाई
कर्नाटक में कक्षाओं में हिजाब पहनने को लेकर चल रहे विवाद के बीच राज्य सरकार ने ड्रेस कोड लागू कर दिया है। शनिवार को जारी आदेश में कहा गया है कि छात्र और छात्राएं ऐसे कपड़े नहीं पहन सकेंगे, जिससे 'समानता, अखंडता और कानून-व्यवस्था' को नुकसान पहुंचता हो। सरकार ने कहा है कि हाई कोर्ट में सुनवाई होने तक यह आदेश लागू रहेगा। हाई कोर्ट इस मामले में 8 फरवरी को सुनवाई करेगा।
कैसे हुई थी विवाद की शुरुआत?
हिजाब विवाद की शुरुआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने से हुई थी। कॉलेज प्रशासन का कहना था कि छात्राएं कैंपस में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लास में नहीं। यदि उन्हें परेशानी है तो वे ऑनलाइन क्लास का विकल्प ले सकती हैं। छात्राओं ने कालेज का फैसला मानने से इनकार करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया और बाद में कुछ छात्राएं हाई कोर्ट चली गईं।
शनिवार को आया नया आदेश
पहले उडुपी और चिकमंगलूर से से शुरू हुआ यह विवाद धीरे-धीरे राज्य के दूसरे जिलों में भी पहुंचने लगा और कई जगह हिजाब पहनकर आई छात्राओं को कक्षाओं में प्रवेश से रोक दिया गया था। पैर पसारते विवाद के बीच शनिवार को राज्य सरकार ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 की धारा 133 (2) लागू करने का आदेश जारी किया है। इसके तहत सभी स्कूलों के विद्यार्थियों तय वर्दी पहनकर स्कूल आना अनिवार्य है।
आदेश में लिखी गई हैं ये बातें
राज्य सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि सभी सरकारी स्कूलों में छात्र तय वर्दी पहनकर आएंगे। निजी स्कूल के छात्र भी प्रबंधन की तरफ से की गई वर्दी पहनेंगे। अगर किसी स्कूल या कॉलेज में कोई वर्दी तय नहीं है तो विद्यार्थी ऐसे कपड़े पहनकर नहीं आ सकते, जो सामुदायिक सौहार्द, समानता और शांति व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के कारण बन सकते हैं। बता दें कि राज्य में साल 2018 में भी ऐसा ही विवाद सामने आया था।
मूल अधिकार का उल्लंघन नहीं है आदेश- राज्य सरकार
राज्य सरकार का कहना है कि कक्षाओं के भीतर छात्राओं को हिजाब पहनने से रोकना संविधान में दिए धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन नहीं है। सरकार ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के 2017 के एक आदेश का हवाला दिया है, जिसमें मोटे तौर पर कहा गया है कि बड़े लोकहित को कायम रखने और संस्थानों और छात्रों के बीच संबंध सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत अधिकार की जगह सार्वजनिक हित प्रबल होता है।
मुख्यमंत्री ने की शिक्षा और कानूनी विभाग से बातचीत
हिजाब विवाद को 'साजिश' करार देते हुए राज्य सरकार में मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि छात्राएं चाहें तो घर से कॉलेज तक बुरका या हिजाब पहनकर आ सकती हैं, लेकिन कक्षाओं में प्रवेश के बाद सभी एक जैसी वर्दी में होने चाहिए। जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कानून और शिक्षा विभाग के साथ बातचीत की है। बताया जा रहा है कि सरकार ने इस मामले में कानूनी राय भी ली है।
छात्राओं के समर्थन में उतरी कांग्रेस
कांग्रेस ने इस मामले में हिजाब पहनने से रोकी जा रही छात्राओं के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की है। पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, 'छात्रों के हिजाब को उनकी शिक्षा में आड़े आने देकर हम भारत की बेटियों का भविष्य लूट रहे हैं। मां सरस्वती सभी को ज्ञान देती हैं। वह भेद नहीं करती।' कांग्रेस विधायक कनीज फातिमा ने भी शनिवार को उडुपी जाकर छात्राओं का साथ दिया था।