
उत्तर प्रदेश: क्या रहे थे 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे और इस बार क्या है संभावना?
क्या है खबर?
देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। 11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत वोट डाले जाएंगे। चुनावों के नतीजे 23 मई को घोषित होंगे।
पूरा देश इन चुनावों और परिणामों पर नजर जमाए बैठा है। हम आपको इन चुनावों की नई अपडेट के साथ पिछली बार यानी 2014 के लोकसभा चुुनावों के परिणामों के बारे में भी बताएंगे।
आज हम उत्तर प्रदेश के 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बारे में बात करेंगे।
मोदी लहर
मोदी लहर के आगे कोई नहीं टिक पाया
राज्य में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं। 2014 में भारतीय जनता पार्टी की यहां ऐसी लहर आई कि विरोधी पार्टियों को एक-एक सीट के लिए संघर्ष करना पड़ा।
भाजपा ने यहां कुल 71 सीटें जीतीं और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल ने दो सीटें जीती।
तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पार्टी राज्य में सत्ता में होते हुए भी महज पांच सीट जीत पाई तो कांग्रेस की तरफ से राहुल और सोनिया गांधी को छोड़कर कोई अपनी सीट नहीं जीत पाया।
बसपा
बहुजन समाज पार्टी का खाता भी नहीं खुला
मोदी लहर में सबसे ज्यादा नुकसान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का हुआ था। पूरे देश में चार प्रतिशत वोट प्राप्त करने के बाद भी पार्टी को कहीं भी एक सीट नसीब नहीं हुई।
उत्तर प्रदेश में भी पार्टी का यही हाल हुआ। चुनावों में मजबूत दावेदार मानी जा रही बसपा राज्य में 19.6 प्रतिशत वोट पाकर भी अपना खाता नहीं खोल सकी। पार्टी के सारे बड़े नेता अपनी सीट हार गए।
मतदान
राज्य में हुआ था 58 प्रतिशत मतदान
उत्तर प्रदेश में 2014 लोकसभा चुनावों के समय 7 करोड़ 59 लाख 61 हजार 829 पुरुष और 6 करोड़ 28 लाख 41 हजार 617 महिला मतदाता समेत कुल 13 करोड़ 88 लाख 10 हजार 557 मतदाता थे।
राज्य में इन चुनावों में 58.44 प्रतिशत मत डाले गए थे। राज्य की 80 लोकसभा सीटें देश की कुल 545 सीटों का 15.75 प्रतिशत है।
डाटा
किस पार्टी को मिले कितने प्रतिशत वोट
वोट शेयर के हिसाब से बात की जाए तो 2014 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को सबसे ज्यादा 42.3 प्रतिशत, समाजवादी पार्टी को 22.2 प्रतिशत, बहुजन समाज पार्टी को 19.6, कांग्रेस को 7.5 प्रतिशत और अपना दल को 0.9 प्रतिशत वोट मिले थे।
मौजूदा स्थिति
फिलहाल क्या स्थिति?
फिलहाल राज्य में भाजपा और उसके सहयोगियों के पास राज्य की 70 लोकसभा सीटें हैं।
2014 के बाद हुए चार उपचुनावों में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। मुलायम सिंह द्वारा छोड़ी गई सीट पर हुए चुनाव में तेज प्रताप सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी।
इसके बाद कैराना, फूलपूर और गोरखपुर सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इन सीटों पर भी भाजपा को कामयाबी नहीं मिली और विपक्ष ने मिलकर तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी।
तैयारियां
2019 लोकसभा चुनावों की क्या हैं तैयारियां
कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। देश के सबसे बड़े सूबे की सियासत को लेकर सभी पार्टियां अपनी तैयारियां पूरी करने में लगी है।
सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन कर चुनावी मैदान में हुंकार भरेगी। वहीं कांग्रेस ने भी इस बार प्रियंका गांधी को राजनीति में उतार कर भाजपा को चुनौती देने की तैयारी कर ली है।
कांग्रेस और सपा ने अपने कुछ उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं।
चुनौती
भाजपा को मिलेगी कड़ी चुनौती
2014 के लोकसभा चुनावों में 71 सीटें जीतने वाली पार्टी को इस बार कड़ी चुनौती मिल सकती है।
लोकसभा उपचुनावों में मिली हार से पार्टी के मनोबल पर फर्क पड़ा है, वहीं सपा-बसपा गठबंधन और प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री से पार्टी की चुनौती बढ़ी है।
साथ ही उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल भी अपनी शर्तों के आधार पर भाजपा से मोलभाव करने में लगी है।
ऐसी स्थिति में पार्टी का रास्ता इस बार कठिन होने वाला है।