1,400 करोड़ के घोटाले में मायावती पर शिकंजा, करीबियों के ठिकानों पर ED की छापेमारी
उत्तर प्रदेश में हुए स्मारक घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मायावती पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। लगभग तीन साल से ठंडे बस्ते में पड़े इस मामले में ED ने आज लखनऊ और दिल्ली में कई जगह छापेमारी की। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए लखनऊ और नोएडा में कई स्मारकों का निर्माण किया गया था। इनमें लगभग 1,400 करोड़ का घोटाला सामने आया था, जिसकी अब जांच चल रही है।
विजिलेंस की जांच अंतिम दौर में
स्मारक घोटाले की जांच ED के साथ विजिलेंस विभाग भी कर रहा है। समाजवादी पार्टी की सरकार में रहते हुए ही इस घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी। शुरुआत में इस मामले में तेजी दिखाई गई थी, लेकिन बाद में यह जांच ठंडे बस्ते में चली गई। कहा जा रहा है कि अब विजिलेंस ने अपनी जांच पूरी कर ली है। विजिलेंस की जांच की रिपोर्ट मिलने के बाद ED ने यह कार्रवाई शुरू की है।
नपेंगे पूर्व मंत्री और अधिकारी
इस मामले में बसपा सरकार में मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत तीन दर्जन से ज्यादा इंजीनियरों और अन्य विभागों के अफसरों का फंसना तय माना जा रहा है। हालांकि, अब इन दोनों मंत्रियों ने बसपा छोड़ दी है।
जांच में मिले मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत
विजिलेंस ने इस मामले में दो आरोपों की जांच पूरी कर आरोपितों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगी थी। कहा जा रहा है कि विजिलेंस को अपनी जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं। इन सबूतों के बाद ही आज ED ने मायावती के करीबियों और इन घोटालों में शामिल रहे अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि ED अपनी कार्रवाई में पत्थरों की आपूर्ति करने वाली फर्म्स पर खास नजर रख सकती है।
चुनाव से पहले बसपा के लिए मुसीबत?
लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा ने गठबंधन किया था। जिसके बाद खनन से जुड़े मामले में अखिलेश यादव पर शिकंजा कसा गया था। तब सपा और बसपा दोनों ने इसे गठबंधन रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई कार्रवाई बताया था। अब मायावती के करीबियों पर इस छापेमारी ने बसपा के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। इस घोटाले में बसपा के कई तत्कालीन विधायकों के नाम भी सामने आ सकते हैं।