बिहार के शेल्टर होम कांड में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ CBI जांच का आदेश
क्या है खबर?
शनिवार को प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) की एक विशेष अदालत ने बिहार के शेल्टर होम कांड में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ CBI जांच का आदेश दिया है।
कोर्ट ने मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी धर्मेंद्र सिंह और सामाजिक कल्याण मुख्य सचिव अतुल प्रसाद के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं।
मामले में आरोपी और गिरफ्तार हो चुके डॉ अश्विनी ने नीतीश कुमार के खिलाफ जांच के लिए अर्जी दाखिल की थी।
नशीले इंजेक्शन
लड़कियों को नशीले इंजेक्शन देता था अश्विनी
अश्विनी मामले में पीड़ित लड़कियों को यौन शोषण से पहले ड्रग्स के इंजेक्शन देता था। उसे पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया गया था।
उसने अपनी अर्जी में आरोप लगाया था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) मामले में तथ्यों को दबाने की कोशिश कर रही है जिनसे मामले में इन तीनों की भूमिका सामने आ सकती हैं।
नकी इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए POCSO जज मनोज कुमार ने नीतीश कुमार समेत तीनों आरोपियों की CBI जांच का आदेश दिया।
नीतीश कुमार
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी बिहार सरकार को फटकार
इससे पहले बिहार स्थित शेल्टर होम्स की जानकारी ना देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार को फटकार लगाई थी।
कोर्ट ने 7 फरवरी को मामले को बिहार के CBI कोर्ट से दिल्ली के साकेत के POCSO कोर्ट भेज दिया था।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने POCSO कोर्ट को 6 महीने के अंदर मामले की सुनवाई खत्म करने का निर्देश जारी किया था और कहा था कि इससे आगे कोई समय नहीं दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट
'बच्चों को छोड़ दो'
राज्य सरकार पर भरोसे की कमी दिखाते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था, "बस बहुत हुआ। आप अपने अधिकारियों को बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करने की इजाजत नहीं दे सकते। बच्चों को छोड़ दो।"
नवंबर में कोर्ट ने बिहार के शेल्टर होम्स में बच्चों के यौन और मानसिक शोषण से जुड़े 16 मामलों को CBI के हवाले कर दिया था।
कोर्ट ने तब CBI को 31 जनवरी तक मामले में रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था।
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड
क्या है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड?
बता दें कि मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में यौन शोषण का मामला जून 2018 में सामने आया था।
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने अपनी रिपोर्ट में इसका भंड़ाफोड़ किया था।
इस बालिका गृह का संचालन ब्रजेश ठाकुर की NGO करती थी।
ब्रजेश से अपने पति चंद्रशेखर वर्मा की नजदीकी के कारण बिहार की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को अगस्त में इस्तीफा देना पड़ा था।
ब्रजेश मामले में मुख्य आरोपी है।