लोकसभा चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं गठबंधन, जानें कौन है किसके साथ
क्या है खबर?
इस बार लोकसभा चुनाव में कड़ा और नजदीकी मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।
चुनाव में प्रत्येक प्रतिशत वोट महत्वपूर्ण रहने वाला है और इसलिए गठबंधन परिणाम में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
यही कारण है कि जहां विपक्ष 'महागठबंधन' की संभावना तलाशता रहा है, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा अपने सहयोगियों को बनाने में लगी हुई है।
महत्वपूर्ण राज्यों में कौन सी पार्टी किसके साथ है, आइए इस पर एक नजर डालते हैं।
उत्तर प्रदेश
यूपी में कांग्रेस विपक्ष के गठबंधन से बाहर
सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में मायावती की बसपा और अखिलेश यादव की सपा ने गठबंधन किया है और कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखा गया है।
पश्चिम यूपी की 8 लोकसभा सीटों पर प्रभाव रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल ने भी सपा-बसपा गठबंधन में शामिल होकर भाजपा की मुसीबतें बढ़ा दी है।
एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने के बावजूद कांग्रेस और गठबंधन कुछ सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारेंगे।
भारतीय जनता पार्टी
भाजपा रही सहयोगियों को मनाने में कामयाब
कांग्रेस का गठबंधन से बाहर होना भाजपा के लिए राहत भरी खबर है और वह यूपी में अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी।
दोनों सहयोगी भाजपा से नाराज बताए जा रहे थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अपने छोटे सहयोगियों को यूपी सरकार के अंतर्गत आने वाली विभिन्न कमेटियों में अहम पद लेकर भाजपा उन्हें मनाने में सफल रही।
हालांकि, उसके लिए 2014 का प्रदर्शन दोहराना अभी भी मुश्किल नजर आ रहा है।
बिहार
बिहार में भाजपा का गठबंधन आगे
बिहार की बात करें तो भाजपा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की JDU और रामविलास पासवान की LJP के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी।
भाजपा, JDU और LJP क्रमशः 17, 17 और 6 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
भाजपा ने राज्य में अपने सहयोगियों के लिए बड़ा दिल दिखाया है।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस, लालू प्रसाद यादव की RJD, उप्रेंद कुशवाहा की RLSP और जीतनराम मांझी की HAM के साथ है।
हालांकि, इन पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर अभी कोई समझौता नहीं हुआ।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में कांटे की टक्कर
महाराष्ट्र में भाजपा अपने नाराज सहयोगी शिवसेना को ज्यादा सीट देकर बनाने में कामयाब रही है।
राज्य में भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
शिवसेना पिछले काफी समय से भाजपा से गठबंधन तोड़ने की धमकी दे रही थी।
कांग्रेस, शरद पवार की NCP के साथ मिलकर भाजपा-शिवसेना गठबंधन का मुकाबला करेगी।
खबरों के अनुसार, दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर भी सहमति बन गई है। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक घोषणा होना बाकी है।
तमिलनाडु
तमिलनाडु में कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले ज्यादा सीटें
दक्षिण भारत के बड़े राज्य तमिलनाडु की बात करें तो जहां भाजपा राज्य की सत्ता में काबिज AIADMK के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी, वहीं कांग्रेस राज्य के मुख्य विपक्षी दल DMK के साथ चुनाव में उतरेगी।
भाजपा और AIADMK में हुए समझौते के अनुसार, AIADMK 27 और भाजपा 5 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
वहीं कांग्रेस और DMK के बीच हुए समझौते के मुताबिक DMK 20 और कांग्रेस 10 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
दिल्ली और अन्य राज्य
दिल्ली में AAP का ऑफर ठुकरा चुकी है कांग्रेस
दिल्ली में कांग्रेस AAP से गठबंधन से साफ इनकार कर चुकी है और भाजपा के साथ उनका मुकाबला त्रिकोणीय होने जा रहा है।
कर्नाटक में कांग्रेस-JDS के गठबंधन की सरकार है, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और अन्य उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत के राज्यों में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में होने जा रहा है।
उत्तर-पूर्व राज्यों में एकमात्र प्रभावी गठबंधन भाजपा का NEDA है।
बिना गठबंधन के राज्य
इन राज्यों में नहीं हुआ कोई गठबंधन
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में किसी भी बड़ी पार्टी ने अभी तक कोई गठबंधन नहीं किया है।
कांग्रेस जहां आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की TDP को गठबंधन के लिए बनाने में नाकाम रही, वहीं भाजपा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की TRS को अपने पाले में खींचने में नाकाम रही।
बंगाल में ममता कांग्रेस और लेफ्ट किसी से भी गठंबधन की इच्छुक नहीं है और तीनों पार्टियां अलग चुनाव लड़ सकती हैं।
भाजपा vs कांग्रेस
गठबंधन के मोर्चे पर भाजपा आगे
सहयोगियों को बनाने और गठबंधन को लेकर भाजपा और कांग्रेस का रवैया बिल्कुल अलग रहा है।
जहां सत्ता पर काबिज होने के बावजूद भाजपा ने सहयोगियों को अधिक सीट देकर उन्हें मनाया है, वहीं कमजोर होने के बावजूद कांग्रेस ने अधिक सीटों की मांग करके कई सहयोगियों को गंवाया है।
इससे साफ है कि भाजपा गठबंधन के महत्व को समझ रही है, वहीं उसे हर कीमत पर हराने की बात कहने वाली कांग्रेस इसकी 'कीमत' चुकाने के तैयार नहीं है।