'असली शिवसेना' मामले में उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट से झटका, खारिज की याचिका
क्या है खबर?
शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है।
पांच जजों वाली संविधान पीठ ने उद्धव गुट की अर्जी को खारिज करते हुए चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से एकनाथ शिंदे गुट को थोड़ी राहत मिली है।
ऐसे में अब मामले में चुनाव आयोग का फैसला ही मान्य होगा और वह उद्धव गुट के लिए चिंता का कारण है।
सुनवाई
चुनाव चिन्ह को लेकर आगे बढ़ सकता है चुनाव आयोग- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि मामले में चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। ऐसे में आयोग इस पर निर्णय ले सकता है कि शिवसेना का कौन सा गुट असली है और किसे शिवसेना का चुनाव चिन्ह दिया जाना चाहिए। ऐसे में उद्धव गुट की याचिका खारिज की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर के अधिकार और विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुनवाई जारी रहेगी।
दायरा
चुनाव चिन्ह के लिए स्पीकर और आयोग दायर देखने की है जरूरत- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या स्पीकर के पास उस प्रक्रिया को तय करने की शक्ति है जो पहले से ही चुनाव आयोग के दायरे में है? सबसे पहले यह देखना होगा कि चुनाव चिन्ह के लिए स्पीकर और आयोग का दायरा क्या है?
उन्होंने कहा कि 10वीं अनुसूची के तहत स्पीकर यह तय करता है कि सदस्य अयोग्य है या नहीं। वह यह तय करने के लिए सबूत नहीं देता कि गुट राजनीतिक पार्टी का सदस्य हैं या नहीं।
दलील
उद्धव गुट के वकील ने क्या दी दलील?
उद्धव गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 10वीं अनुसूची के मद्देनजर पार्टी में किसी गुट में फूट का फैसला आयोग कैसे कर सकता है, यह एक बडा सवाल है।
उन्होंने कहा कि वो आयोग के पास किस आधार पर गए हैं? कोर्ट को तय करना है कि विधायकों की अयोग्यता पर उसके फैसले से पहले आयोग चुनाव चिन्ह पर फैसला कर सकता है या नहीं। हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलील स्वीकार नहीं की।
पृष्ठभूमि
क्या है शिवसेना की पूरी अंदरूनी लड़ाई?
जून में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी और इससे शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी।
इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी और अभी वह मुख्यमंत्री हैं। वह शिवसेना पार्टी पर कब्जा करने की कोशिश भी कर रहे हैं और चुनाव आयोग में याचिका देकर शिवसेना का चुनाव चिन्ह देने की मांग की थी।
जानकारी
शिंदे गुट ने क्या दिया था तर्क?
चुनाव आयोग को भेजी गई याचिका में शिंदे गुट ने तर्क है कि शिवसेना के ज्यादातर विधायक और सांसद उनके खेमे का हिस्सा है। ऐसे में उनका गुट ही असली शिवसेना है और आयोग को पार्टी का चुनाव चिन्ह उन्हें आवंटित करना चाहिए।
विरोध
उद्धव गुट ने की थी आयोग की कार्रवाई पर रोक की मांग
शिंदे की याचिका के बाद उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले में चुनाव आयोग के कार्रवाई करने पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके बाद शिंदे गुट भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था।
मामले में 4 अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से शिंदे गुट की याचिका पर अभी कोई फैसला नहीं लेने को कहा था। उस दौरान मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त के लिए निर्धारित की गई थी।
ट्रांसफर
23 अगस्त को संवैधानिक पीठ को भेजा गया था मामला
इस मामले में 23 अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की साधारण पीठ ने शिवसेना और शिंदे की ओर से दाखिल उन याचिकाओं को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज दिया था, जिनमें दलबदल, विलय और अयोग्यता से जुड़े कई संवैधानिक सवाल उठाए गए थे।
उस दौरान उद्धव गुट के वकील ने कहा था कि अगर बागी 40 विधायकों को निलंबित कर दिया जाता है तो उनके दावे का क्या आधार रहेगा?