महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार
महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से दिए गए बहुमत साबित करने के आदेश को चुनौती देने वाली शिवसेना की याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना को झटका देते हुए फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि राज्यपाल ने अपने विवेक के आधार पर फैसला लिया है। ऐसे में अब मुख्यमंत्री ठाकरे को गुरुवार को बहुमत साबित करना होगा।
राज्यपाल के आदेश पर नहीं लगा सकते रोक- सुप्रीम कोर्ट
तीन घंटे तक सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि वह राज्यपाल के आदेश पर रोक नहीं लगा सकता है। इसलिए कल तय कार्यक्रम के अनुसार फ्लोर टेस्ट होगा। हालांकि, फ्लोर टेस्ट को लेकर कुछ शर्तें भी लगाई हैं। कोर्ट ने कहा कि फ्लोर टेस्ट रोकने की याचिका पर नोटिस जारी किया जा रहा है। फ्लोर टेस्ट का नतीजा 11 जुलाई की सुनवाई के अधीन होगा और इस याचिका के अंतिम परिणाम पर भी निर्भर करेगा।
राज्यपाल ने मामले में दिखाई है जल्दबाजी
वकील सिंघवी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने रात 10 बजे राज्यपाल से मुलाकात की और फिर उन्होंने सुबह 11 बजे फ्लोर टेस्ट का आदेश दे दिया। उन्होंने मामले में बहुत अधिक जल्दबाजी दिखाई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दो विधायक विदेश और दो NCP विधायक कोरोना संक्रमित हैं। इसके बाद भी राज्यपाल ने 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट का आदेश दे दिया। इतना ही नहीं, उन्हें मामले के सुप्रीम कोर्ट में होने की भी जानकारी थी।
स्पीकर के फैसले से पहले कैसे हो सकता है फ्लोर टेस्ट?
वकील सिंघवी ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को बागियों की याचिका खारिज कर देता है और स्पीकर उन्हें अयोग्य करार दे देता तो वह वोट कैसे दे सकते हैं? यह मामला सीधे तौर पर अयोग्यता से जुड़ा है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि 34 विधायकों ने डिप्टी स्पीकर को पत्र लिखकर शिंदे के प्रति समर्थन जताया था। ऐसे में ये 34 विधायक किसकी तरफ हैं, यह तो फ्लोर टेस्ट से ही पता चल पाएगा।
अयोग्यता का फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर की वैधता पर भी सवाल है। नोटिस की वैधता कोर्ट फैसला करेगा। अयोग्यता का मामला कोर्ट में लंबित है, लेकिन इसका फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध है? इस पर सिंघवी ने कहा कि एक तरफ कोर्ट ने अयोग्यता की कार्यवाही पर रोक लगाई है, दूसरी तरफ विधायक कल मतदान करने जा रहे हैं, यह सीधा विरोधाभास है। इससे कोर्ट की कार्यवाही निष्प्रभावी होने का खतरा मंडराता रहेगा।
छह महीने से पहले नहीं कराया जा सकता है दूसरा फ्लोर टेस्ट- सिंघवी
कोर्ट ने पूछा फ्लोर टेस्ट से कैसे कोर्ट की कार्यवाही निष्प्रभावी हो सकती है? क्या फ्लोर टेस्ट की कोई समय सीमा या नियम है? इस पर सिंघवी ने यदि बागियों को अयोग्य घोषित किया जाता है तो फ्लोर टेस्ट के परिणाम नहीं बदले जा सकेंगे। इसी तरह छह महीने में दूसरा फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता है। उन्होंने अयोग्यता पर फैसला आने तक फ्लोर टेस्ट टालने या बागियों को वोट डालने की अनुमति न देने की मांग की।
राज्यपाल ने विपक्ष के नेताओं से बैठक के बाद लिया फैसला लिया-सिंघवी
वकील सिंघवी ने कहा कि सदस्यों की अयोग्यता पर फैसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने पर भी राज्यपाल ने विपक्ष नेता के साथ बैठक के बाद फ्लोर टेस्ट का आदेश दे दिया। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री या मंत्रिमंडल की भी सलाह नही ली।
अयोग्यता का मामला लंबित होने से नहीं रुक सकता फ्लोर टेस्ट- सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बहुमत का फैसला सिर्फ सदन के पटल पर ही हो सकता है। इसी तरह अयोग्यता का मामला लंबित होने से फ्लोर टेस्ट नहीं रुक सकता है। इस पर सिंघवी ने बागी दल बदल विरोध कानून में आ रहे हैं और इच्छा का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। क्या राज्यपाल फ्लोर टेस्ट न बुलाने के लिए कोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते? कल फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो क्या आसमान गिर जाएगा?
शिंदे गुट ने की फ्लोर टेस्ट में देरी न करने की मांग
एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि खुद को हटाने के प्रस्ताव पर फैसला से पहले स्पीकर अयोग्यता पर निर्णय नहीं ले सकते। फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं होनी चाहिए। हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए यह जल्द होना चाहिए। उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट का फैलसा राज्यपाल के विवेक पर आधारित है। इसके तर्कहीन या दुर्भावनापूर्ण होने तक कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता। उद्धव ठाकरे संख्या बल न होने पर पर सत्ता से हटना नहीं चाहते।
फ्लोर टेस्ट में देरी से होगा लोकतंत्र को नुकसान- कौल
वकील कौल ने कहा कि फ्लोर टेस्ट में देरी से लोकतांत्रिक राजनीति को अधिक नुकसान होगा। कोर्ट के असंतुष्ट विधायकों की संख्या पूछने पर उन्होंने कहा कि 55 में से 39 अलग हो चुके। वह असंतुष्ट गुट नहीं, असली शिवसेना हैं, क्योंकि उनके पास बहुमत है। शिवसेना के पास 16 विधायक हैं। राज्यपाल की ओर पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं, बल्कि कानून ने रोका है। राज्यपाल का फैसला गलत नहीं है।
पवित्र गाय नहीं है राज्यपाल- सिंघवी
शिवसेना के वकील सिंघवी ने कहा कि यदि डिप्टी स्पीकर सियासी हो सकते हैं तो गवर्नर क्यों नहीं। राज्यपाल कोई पवित्र गाय नहीं है। राज्यपाल को वैधता के आधार पर फैसला लेना चाहिए था, लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री से बात तक नहीं की।